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मंगलवार, जनवरी 14, 2025

Durga Namaskara Stotram – दुर्गा नमस्कार स्तोत्रम्

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दुर्गा नमस्कार स्तोत्रम्(Durga Namaskara Stotram) हिंदू धर्म में देवी दुर्गा की स्तुति और आराधना के लिए एक प्रमुख स्तोत्र है। यह स्तोत्र देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों, शक्तियों और गुणों का वर्णन करता है। इसे पढ़ने से साधक को न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलता है, बल्कि यह उनकी मनोकामनाओं की पूर्ति में भी सहायक होता है।

दुर्गा नमस्कार स्तोत्रम् का महत्व Durga Namaskara Stotram Importance

दुर्गा नमस्कार स्तोत्रम् विशेष रूप से नवरात्रि के दिनों में, दुर्गा पूजा के समय, और किसी भी संकट या बाधा को दूर करने के लिए पढ़ा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसे पढ़ने से देवी दुर्गा अपने भक्तों को शक्ति, साहस और सुरक्षा प्रदान करती हैं। यह स्तोत्र दुर्गा सप्तशती, देवी भागवत और अन्य पुराणों में वर्णित देवी की महिमा का संक्षेप रूप है।

दुर्गा नमस्कार स्तोत्रम् और संरचना

दुर्गा नमस्कार स्तोत्रम् का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। इसमें देवी दुर्गा को उनकी शक्ति, करुणा, और रक्षक रूप में नमस्कार किया जाता है। यह स्तोत्र श्लोकों के रूप में होता है, जिनमें देवी के विभिन्न नाम और उनके कार्यों का उल्लेख होता है।

नमस्ते हे स्वस्तिप्रदवरदहस्ते सुहसिते
महासिंहासीने दरदुरितसंहारणरते ।
सुमार्गे मां दुर्गे जननि तव भर्गान्वितकृपा
दहन्ती दुश्चिन्तां दिशतु विलसन्ती प्रतिदिशम् ॥

अनन्या गौरी त्वं हिमगिरि-सुकन्या सुमहिता
पराम्बा हेरम्बाकलितमुखबिम्बा मधुमती ।
स्वभावैर्भव्या त्वं मुनिमनुजसेव्या जनहिता
ममान्तःसन्तापं हृदयगतपापं हर शिवे ॥

अपर्णा त्वं स्वर्णाधिकमधुरवर्णा सुनयना
सुहास्या सल्लास्या भुवनसमुपास्या सुलपना ।
जगद्धात्री पात्री प्रगतिशुभदात्री भगवती
प्रदेहि त्वं हार्दं परमसमुदारं प्रियकरम् ॥

धरा दुष्टैर्भ्रष्टैः परधनसुपुष्टैः कवलिता
दुराचारद्वारा खिलखलबलोद्वेगदलिता ।
महाकाली त्वं वै कलुषकषणानां प्रशमनी
महेशानी हन्त्री महिषदनुजानां विजयिनी ॥

इदानीं मेदिन्या हृदयमतिदीनं प्रतिदिनं
विपद्ग्रस्तं त्रस्तं निगदति समस्तं जनपदम् ।
महाशङ्कातङ्कैर्व्यथितपृथिवीयं प्रमथिता
नराणामार्त्तिं ते हरतु रणमूर्त्तिः शरणदा ॥

समग्रे संसारे प्रसरतु तवोग्रं गुरुतरं
स्वरूपं संहर्त्तुं दनुजकुलजातं कलिमलम् ।
पुनः सौम्या रम्या निहितममतास्नेहसुतनु-
र्मनोव्योम्नि व्याप्ता जनयतु जनानां हृदि मुदम् ॥

अनिन्द्या त्वं वन्द्या जगदुरसि वृन्दारकगणैः
प्रशान्ते मे स्वान्ते विकशतु नितान्तं तव कथा ।
दयादृष्टिर्देया सकलमनसां शोकहरणी
सदुक्त्या मे भक्त्या तव चरणपद्मे प्रणतयः ॥

भवेद् गुर्वी चार्वी चिरदिवसमुर्वी गतभया
सदन्ना सम्पन्ना सरससरणी ते करुणया ।
समुत्साहं हासं प्रियदशहरापर्वसहितं
सपर्या ते पर्यावरणकृतकार्या वितनुताम् ॥

दुर्गा नमस्कार स्तोत्रम् पाठ करने के लाभ Durga Namaskara Stotram Benifits

  1. आध्यात्मिक उन्नति: दुर्गा नमस्कार स्तोत्रम् का नियमित पाठ साधक के भीतर आत्मिक शांति और स्थिरता लाता है।
  2. संकट निवारण: इसे पढ़ने से जीवन के सभी प्रकार के संकट, बाधाएँ, और भय दूर होते हैं।
  3. साहस और आत्मविश्वास: यह स्तोत्र व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास और साहस का संचार करता है।
  4. मनोकामना पूर्ति: देवी दुर्गा की कृपा से साधक की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
  5. नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा: इसे पढ़ने से नकारात्मक शक्तियों और बुरी दृष्टि से सुरक्षा मिलती है।

दुर्गा नमस्कार स्तोत्रम् पाठ विधि

  • सुबह स्नान आदि से शुद्ध होकर साफ स्थान पर बैठें।
  • एक दीपक जलाएं और देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें।
  • दुर्गा मंत्र “ॐ दुं दुर्गायै नमः” का उच्चारण करते हुए स्तोत्र का पाठ करें।
  • ध्यान रखें कि पाठ शांत मन और पूर्ण श्रद्धा के साथ करें।

दुर्गा नमस्कार स्तोत्रम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs for Durga Namaskara Stotram)

दुर्गा नमस्कार स्तोत्रम् क्या है?

दुर्गा नमस्कार स्तोत्रम् एक पवित्र प्रार्थना है जो देवी दुर्गा की स्तुति और आराधना के लिए रची गई है।

दुर्गा नमस्कार स्तोत्रम् का महत्व क्या है?

यह स्तोत्र भक्तों को देवी दुर्गा की कृपा, शक्ति, और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है। इसे नित्य पाठ करने से भय, संकट और दुर्भाग्य दूर होते हैं।

दुर्गा नमस्कार स्तोत्रम् का पाठ कब करना चाहिए?

दुर्गा नमस्कार स्तोत्रम् का पाठ प्रातःकाल और संध्या के समय, शांत और पवित्र मन से करना शुभ माना जाता है।

दुर्गा नमस्कार स्तोत्रम् में कितने श्लोक होते हैं?

दुर्गा नमस्कार स्तोत्रम् में 13 श्लोक होते हैं, जिनमें देवी दुर्गा की महिमा और उनकी कृपा का वर्णन किया गया है।

दुर्गा नमस्कार स्तोत्रम् का पाठ कैसे शुरू करना चाहिए?

पाठ शुरू करने से पहले स्नान करें, पवित्र स्थान पर बैठें और देवी दुर्गा का ध्यान करके उनका आह्वान करें। तत्पश्चात स्तोत्र का पाठ आरंभ करें।

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