दारिद्र्यदहनशिवस्तोत्रम् (वसिष्ठविरचितम्) शिव भगवान के प्रति गहरी भक्ति और श्रद्धा को व्यक्त करने वाला एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है। इसे विशेष रूप से वसिष्ठ ऋषि द्वारा रचित माना जाता है, जो भारतीय पौराणिक कथाओं के महान ऋषियों में से एक थे। इस स्तोत्र का मुख्य उद्देश्य दरिद्रता, दुख, और जीवन की आर्थिक समस्याओं को समाप्त करना है। इसका नियमित पाठ करने से भक्तों को आर्थिक समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
स्तोत्र का महत्व:
दारिद्र्यदहनशिवस्तोत्रम् का पाठ करने से व्यक्ति अपने जीवन में आर्थिक समस्याओं, बाधाओं और दुखों से मुक्ति पा सकता है। “दारिद्र्य” का अर्थ है दरिद्रता या गरीबी, और “दहन” का अर्थ है नाश या समाप्ति। इसलिए, यह स्तोत्र गरीबी और दुखों को नष्ट करने वाला माना जाता है। शिव की महिमा का वर्णन करते हुए, यह स्तोत्र भक्तों के जीवन में समृद्धि और खुशहाली लाने का वादा करता है।
स्तोत्र की विशेषताएँ:
- आर्थिक समस्याओं का समाधान: इसका पाठ विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी है, जो जीवन में आर्थिक कठिनाइयों से जूझ रहे हैं। स्तोत्र में भगवान शिव से प्रार्थना की जाती है कि वे भक्तों की दरिद्रता का नाश करें और उन्हें धन-संपत्ति से समृद्ध करें।
- शिव की महिमा का गुणगान: स्तोत्र में भगवान शिव की शक्ति, करुणा और कृपा का वर्णन किया गया है। शिव की उपासना को संसार के सभी दुखों और बाधाओं का समाधान माना जाता है।
- नियमित पाठ का प्रभाव: यह मान्यता है कि जो भक्त इस स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करते हैं, उनके जीवन में धन की कमी नहीं होती और वे सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्त होते हैं। इसे विशेष रूप से सोमवार को शिवलिंग के सामने बैठकर या किसी मंदिर में पढ़ना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
- आध्यात्मिक लाभ: दारिद्र्यदहनशिवस्तोत्रम् न केवल आर्थिक समृद्धि लाने में मदद करता है, बल्कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति भी प्रदान करता है। इसके पाठ से मन को शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
पाठ विधि:
- इस स्तोत्र का पाठ सुबह के समय, स्नान करने के बाद करना श्रेष्ठ माना जाता है।
- शिवलिंग या भगवान शिव की मूर्ति के समक्ष बैठकर इसे पूरी श्रद्धा और ध्यान के साथ पढ़ना चाहिए।
- शिव जी को जल, दूध, या गंगाजल अर्पण करते हुए इस स्तोत्र का पाठ करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।
दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं (वसिष्ठविरचितम्) Daridra Dahan Shiva Stotram
विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय
कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय ।
कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥१॥
गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय
कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय ।
गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥२॥
भक्तप्रियाय भवरोगभयापहाय
उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय ।
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुकृत्यकाय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥३॥
चर्मांबराय शवभस्मविलेपनाय
भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय ।
मंजीरपादयुगलाय जटाधराय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥४॥
पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय
हेमांशुकाय भुवनत्रय मण्डिताय ।
आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥५॥
गौरीविलासभवनाय महेश्वराय
पञ्चाननाय शरणागतकल्पकाय ।
शर्वाय सर्वजगतामधिपाय तस्मै
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥६॥
भानुप्रियाय भवसागरतारणाय
कालान्तकाय कमलासनपूजिताय ।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥७॥
रामप्रियाय राघुनाथवरप्रदाय
नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय ।
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥८॥
मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय
गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय ।
मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥९॥
वसिष्ठेनकृतं स्तोत्रं सर्व दारिद्र्यनाशनम् ।
सर्वसंपत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम् ॥१०॥