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गुरूवार, नवम्बर 13, 2025

बुध ग्रह स्तोत्रम्

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बुध ग्रह स्तोत्रम्(Budha Graha Stotram) में यह श्लोक बुध ग्रह की स्तुति के रूप में है, जो उनके शौर्य, विद्या और शक्ति को प्रकट करता है। इस श्लोक का अर्थ और महत्व इस प्रकार है:

बुध ग्रह स्तोत्रम् Budha Graha Stotram

उत्पातरूपो जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युतिः।
सूर्यप्रियकरो विद्वान् पीडां हरतु मे बुधः।

utpaataroopo jagataam chandraputro mahaadyutih’.
sooryapriyakaro vidvaan peed’aam haratu me budhah’.

श्लोक का अर्थ:

  • “उत्पातरूपो जगतां”: बुध ग्रह इस संसार का एक उत्पत्ति रूप है। इसका अर्थ है कि बुध का प्रभाव इस संसार पर बहुत ही शक्तिशाली और रचनात्मक होता है।
  • “चन्द्रपुत्रो महाद्युतिः”: बुध ग्रह चंद्रमा के पुत्र हैं और उनका तेज बहुत ही महत्त्वपूर्ण और प्रचंड है। यहाँ चंद्रमा के पुत्र के रूप में बुध की प्रतिष्ठा को उजागर किया गया है।
  • “सूर्यप्रियकरो विद्वान्”: बुध ग्रह सूर्य के प्रिय हैं और विद्वानों का आदर्श माने जाते हैं। बुध ग्रह का संबंध बुद्धिमत्ता और ज्ञान से है, अतः उन्हें विद्वान और समझदारी का प्रतीक माना जाता है।
  • “पीडां हरतु मे बुधः”: यहाँ पर श्लोककर्ता ने बुध ग्रह से निवेदन किया है कि वे उनकी पीड़ा को हर लें। बुध ग्रह का प्रभाव मानसिक तनाव, समस्याएँ और कठिनाइयों को कम करने में सहायक होता है, इसलिए यह श्लोक उनका आह्वान करता है कि वे शुभ फल प्रदान करें और कष्टों को दूर करें।

बुध ग्रह का महत्व:

बुध ग्रह को ज्योतिष में बुद्धि, वाणी, ज्ञान, संचार, व्यापार और गणित से संबंधित ग्रह माना जाता है। यह ग्रह मानसिक स्थिति, तर्क शक्ति, और निर्णय लेने की क्षमता पर प्रभाव डालता है। यदि बुध का फल शुभ होता है, तो व्यक्ति को बुद्धिमत्ता, संचार कला और समाज में अच्छा स्थान प्राप्त होता है। वहीं, यदि बुध अशुभ स्थिति में हो, तो व्यक्ति को मानसिक समस्याओं, संचार में बाधा और जीवन में भ्रम की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।

बुध ग्रह की पूजा और उपाय:

  • पूजा विधि: बुध ग्रह की पूजा के लिए विशेष रूप से ग्रीन कपड़ा पहनने और हरी वस्तुओं का दान करने की सलाह दी जाती है। इसके साथ ही, व्रत और उपवासी रहकर बुध ग्रह की उपासना करना लाभकारी माना जाता है।
  • मंत्र: बुध ग्रह के मंत्र का जाप भी किया जाता है:
    “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः”
    यह मंत्र बुध ग्रह को प्रसन्न करने और उसके अच्छे प्रभाव को प्राप्त करने के लिए उच्चारण किया जाता है।
  • रंग: बुध ग्रह का रंग हरा होता है, अतः हरे रंग की चीजों का सेवन और पहनना बुध ग्रह के सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाता है।

बुध ग्रह स्तोत्रम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs for Budha Graha Stotram)

  1. बुध ग्रह स्तोत्रम् क्या है?

    बुध ग्रह स्तोत्रम् एक पवित्र हिन्दू शास्त्र है, जिसे विशेष रूप से बुध ग्रह को प्रसन्न करने और उसके अशुभ प्रभावों से मुक्ति पाने के लिए मंत्रित किया जाता है। यह स्तोत्र बुध ग्रह के प्रभाव को शांत करने के लिए उच्चारित किया जाता है, जो व्यक्ति के जीवन में बुध ग्रह के कारण आने वाली समस्याओं का समाधान करता है।

  2. बुध ग्रह स्तोत्रम् का पाठ क्यों करना चाहिए?

    बुध ग्रह का सम्बंध ज्ञान, संवाद, शिक्षा, व्यापार, और बुद्धिमानी से होता है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध कमजोर होता है, तो उसे कई प्रकार की मानसिक समस्याएं, व्यापारिक हानि और शैक्षिक अड़चनें हो सकती हैं। इस स्तोत्र का पाठ करके व्यक्ति बुध ग्रह के शुभ प्रभावों को अपने जीवन में आकर्षित कर सकता है और इन समस्याओं का समाधान पा सकता है।

  3. बुध ग्रह स्तोत्रम् के लाभ क्या हैं?

    बुध ग्रह स्तोत्रम् का पाठ करने से निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं:
    बुद्धिमानी में वृद्धि और मानसिक शक्ति में सुधार।
    व्यापार और आर्थिक समृद्धि में वृद्धि।
    शिक्षा में सफलता और परीक्षा में अच्छे परिणाम।
    बुध ग्रह के नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति।
    जीवन में मानसिक शांति और संतुलन।

  4. बुध ग्रह स्तोत्रम् का सही तरीके से पाठ कैसे करें?

    बुध ग्रह स्तोत्रम् का पाठ सुबह या सोमवार और बुधवार को शुभ माना जाता है। इसे एक शांत वातावरण में, साफ जगह पर बैठकर, विधिपूर्वक पाठ करना चाहिए। पाठ करते समय ध्यान लगाना और मन से श्रद्धा के साथ मंत्रों का उच्चारण करना जरूरी होता है। इसके अलावा, अगर संभव हो तो, ताम्र पात्र में जल भरकर उसे बुध ग्रह के मंत्रों से अभिमंत्रित करें और उस जल को पीने से और अधिक लाभ होता है।

  5. क्या बुध ग्रह स्तोत्रम् का पाठ किसी विशेष समय पर करना चाहिए?

    बुध ग्रह स्तोत्रम् का पाठ बुधवार के दिन विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है क्योंकि बुधवार का दिन बुध ग्रह के लिए समर्पित होता है। इसके अलावा, किसी भी दिन सुबह का समय सबसे शुभ होता है। यदि संभव हो, तो इस स्तोत्र का पाठ 108 बार करना चाहिए, क्योंकि यह संख्या विशेष रूप से शुभ मानी जाती है।

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