भूतनाथ अष्टकम्(Bhootanatha Ashtakam) हिंदू धर्म के एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है, जिसे भगवान शिव के एक रूप, भूतनाथ (जो भूत-प्रेतों के भगवान माने जाते हैं) की स्तुति के रूप में लिखा गया है। यह अष्टकम् (आठ श्लोकों का संग्रह) भगवान शिव की महिमा का गुणगान करता है, विशेष रूप से उनके भूतनाथ रूप का। यह स्तोत्र शिव भक्तों के लिए एक अत्यधिक पवित्र और प्रभावशाली मंत्र है, जो न केवल मानसिक शांति और समृद्धि प्रदान करता है, बल्कि भूत-प्रेतों से सुरक्षा भी प्रदान करता है।
भूतनाथ अष्टकम् का महत्व Importance of Bhootanatha Ashtakam
भूतनाथ अष्टकम् का पाठ विशेष रूप से उन व्यक्तियों द्वारा किया जाता है, जो मानसिक शांति, कठिनाईयों से उबरने, और भूत-प्रेतों की नकारात्मक शक्तियों से बचाव की कामना करते हैं। यह स्तोत्र नकारात्मक ऊर्जा से निपटने में सहायक होता है और भक्तों को नकारात्मक प्रभावों से बचाने का कार्य करता है।
भूतनाथ अष्टकम् के श्लोक Bhootanatha Ashtakam Sloksa
श्रीविष्णुपुत्रं शिवदिव्यबालं मोक्षप्रदं दिव्यजनाभिवन्द्यम्।
कैलासनाथप्रणवस्वरूपं श्रीभूतनाथं मनसा स्मरामि।
अज्ञानघोरान्धधर्मप्रदीपं प्रज्ञानदानप्रणवं कुमारम्।
लक्ष्मीविलासैकनिवासरङ्गं श्रीभूतनाथं मनसा स्मरामि।
लोकैकवीरं करुणातरङ्गं सद्भक्तदृश्यं स्मरविस्मयाङ्गम्।
भक्तैकलक्ष्यं स्मरसङ्गभङ्गं श्रीभूतनाथं मनसा स्मरामि।
लक्ष्मी तव प्रौढमनोहरश्रीसौन्दर्यसर्वस्वविलासरङ्गम्।
आनन्दसम्पूर्णकटाक्षलोलं श्रीभूतनाथं मनसा स्मरामि।
पूर्णकटाक्षप्रभयाविमिश्रं सम्पूर्णसुस्मेरविचित्रवक्त्रम्।
मायाविमोहप्रकरप्रणाशं श्रीभूतनाथं मनसा स्मरामि।
विश्वाभिरामं गुणपूर्णवर्णं देहप्रभानिर्जितकामदेवम्।
कुपेट्यदुःखर्वविषादनाशं श्रीभूतनाथं मनसा स्मरामि।
मालाभिरामं परिपूर्णरूपं कालानुरूपप्रकाटावतारम्।
कालान्तकानन्दकरं महेशं श्रीभूतनाथं मनसा स्मरामि।
पापापहं तापविनाशमीशं सर्वाधिपत्यपरमात्मनाथम्।
श्रीसूर्यचन्द्राग्निविचित्रनेत्रं श्रीभूतनाथं मनसा स्मरामि।
भूतनाथ अष्टकम् का प्रभाव
- मन: शांति – इस स्तोत्र के नियमित पाठ से मानसिक शांति प्राप्त होती है। यह किसी भी प्रकार के मानसिक तनाव, भय और चिंता को दूर करने में मदद करता है।
- नकारात्मकता से रक्षा – भूतनाथ अष्टकम् का पाठ उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो नकारात्मकता, भूत-प्रेत या आत्माओं से परेशान हैं।
- शिव कृपा – यह स्तोत्र भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण साधन है। यह भक्तों को उनके जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करता है।
- आध्यात्मिक उन्नति – इस स्तोत्र का नियमित पाठ भक्तों की आध्यात्मिक उन्नति में मदद करता है। यह भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति को और मजबूत करता है।
Bhootanatha Ashtakam – भूतनाथ अष्टकम्
shreevishnuputram shivadivyabaalam mokshapradam divyajanaabhivandyam.
kailaasanaathapranavasvaroopam shreebhootanaatham manasaa smaraami.
ajnyaanaghoraandhadharmapradeepam prajnyaanadaanapranavam kumaaram.
lakshmeevilaasaikanivaasarangam shreebhootanaatham manasaa smaraami.
lokaikaveeram karunaatarangam sadbhaktadri’shyam smaravismayaangam.
bhaktaikalakshyam smarasangabhangam shreebhootanaatham manasaa smaraami.
lakshmee tava praud’hamanoharashreesaundaryasarvasvavilaasarangam.
aanandasampoornakat’aakshalolam shreebhootanaatham manasaa smaraami.
poornakat’aakshaprabhayaavimishram sampoornasusmeravichitravaktram.
maayaavimohaprakarapranaasham shreebhootanaatham manasaa smaraami.
vishvaabhiraamam gunapoornavarnam dehaprabhaanirjitakaamadevam.
kupet’yaduh’kharvavishaadanaasham shreebhootanaatham manasaa smaraami.
maalaabhiraamam paripoornaroopam kaalaanuroopaprakaat’aavataaram.
kaalaantakaanandakaram mahesham shreebhootanaatham manasaa smaraami.
paapaapaham taapavinaashameesham sarvaadhipatyaparamaatmanaatham.
shreesooryachandraagnivichitranetram shreebhootanaatham manasaa smaraami.
भूतनाथ अष्टकम् का पाठ विधि
- सबसे पहले, श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान शिव के भूतनाथ रूप का ध्यान करें।
- अष्टकम् का पाठ साफ, शांत और ध्यान केंद्रित स्थान पर करें।
- पाठ करते समय मन, वचन और क्रिया से भगवान शिव का स्मरण करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने की भावना रखें।
- पाठ के बाद भगवान शिव को नमस्कार और उन्हें प्रसन्न करने के लिए पूजा अर्चना करें।
भूतनाथ अष्टकम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
भूतनाथ अष्टकम् क्या है?
भूतनाथ अष्टकम् एक प्रसिद्ध हिंदू भक्ति गीत है, जिसे भगवान शिव के भूतनाथ रूप की पूजा में समर्पित किया गया है। यह अष्टकर्म (आठ श्लोकों का समूह) भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है और भक्तों को उनके दिव्य गुणों के प्रति आस्था और श्रद्धा प्रकट करने के लिए प्रेरित करता है।
भूतनाथ अष्टकम् का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?
भूतनाथ अष्टकम् का पाठ विशेष रूप से सोमवार और महाशिवरात्रि जैसे पवित्र अवसरों पर किया जाता है। इसे शांति, आशीर्वाद और भूत-प्रेत से मुक्ति पाने के लिए पढ़ा जाता है। शुद्ध मन और श्रद्धा के साथ अष्टकम् का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। इसे किसी भी शांति स्थान या शिवालय में भी किया जा सकता है।
भूतनाथ अष्टकम् के लाभ क्या हैं?
भूतनाथ अष्टकम् के पाठ से मानसिक शांति, आंतरिक सुख, और जीवन में सकारात्मकता आती है। यह शांति देने वाला और भूत-प्रेतों से रक्षा करने वाला माना जाता है। इसके अलावा, यह भक्ति और श्रद्धा के साथ भगवान शिव की कृपा को आकर्षित करने का एक शक्तिशाली साधन है। भक्तों का विश्वास है कि इस अष्टकम् के नियमित पाठ से जीवन में दुराचार, शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
भूतनाथ अष्टकम् के श्लोकों का महत्व क्या है?
भूतनाथ अष्टकम् के प्रत्येक श्लोक का गहरा अर्थ है और यह भक्तों को भगवान शिव के भूतनाथ रूप की महिमा से अवगत कराता है। प्रत्येक श्लोक में भगवान शिव की उपासना और उनके दिव्य गुणों का बखान किया गया है। श्लोकों का पाठ करने से भक्तों को आत्मिक शांति, शक्ति और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है।
भूतनाथ अष्टकम् का पाठ कैसे किया जाता है?
भूतनाथ अष्टकम् का पाठ करते समय, सबसे पहले भगवान शिव की पूजा करें। फिर अष्टकम् के आठ श्लोकों को श्रद्धापूर्वक पढ़ें। हर श्लोक के बाद “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें। यह ध्यान रखें कि पाठ करते समय ध्यान पूरी तरह से भगवान शिव पर केंद्रित हो। साथ ही, अच्छे परिणामों के लिए नियमित रूप से इस अष्टकम् का पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है।