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मंगलवार, नवम्बर 4, 2025

भावसोदरी अष्टक स्तोत्रम्

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Bhavasodari Ashtaka Stotram

भावसोदरी अष्टक स्तोत्रम् एक प्रसिद्ध संस्कृत स्तोत्र है, जो भगवान शिव की स्तुति में रचित है। यह स्तोत्र भगवान शिव के विभिन्न गुणों, स्वरूपों और उनकी महिमा का वर्णन करता है, जिससे भक्तों को आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं।

भावसोदरी अष्टक स्तोत्रम् का पाठ करने के लाभ

  • आध्यात्मिक उन्नति: इस स्तोत्र का नियमित पाठ आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
  • मानसिक शांति: यह स्तोत्र मानसिक तनाव को कम करके शांति और संतुलन प्रदान करता है।
  • कष्टों से मुक्ति: भगवान शिव की कृपा से जीवन के विभिन्न कष्टों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  • भय का नाश: यह स्तोत्र सभी प्रकार के भय और नकारात्मक ऊर्जा का नाश करता है।

भावसोदरी अष्टक स्तोत्रम् पाठ की विधि

  • प्रातःकाल स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके शांत मन से भगवान शिव के समक्ष इस स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
  • सोमवार का दिन विशेष रूप से शिव की उपासना के लिए शुभ माना जाता है, इसलिए इस दिन पाठ करना अधिक लाभकारी होता है।
  • पाठ के दौरान भगवान शिव की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीपक और धूप जलाना शुभ होता है।

Bhavasodari Ashtaka Stotram

भजतां कल्पलतिका भवभीतिविभञ्जनी ।
भ्रमराभकचा भूयाद्भव्याय भवसोदरी ॥

करनिर्जितपाथोजा शरदभ्रनिभाम्बरा ।
वरदानरता भूयाद्भव्याय भवसोदरी ॥

काम्या पयोजजनुषा नम्या सुरवरैर्मुहुः ।
रभ्याब्जवसतिर्भूयाद्भव्याय भवसोदरी ॥

कृष्णादिसुरसंसेव्या कृतान्तभयनाशिनी ।
कृपार्द्रहृदया भूयाद्भव्याय भवसोदरी ॥

मेनकादिसमाराध्या शौनकादिमुनिस्तुता ।
कनकाभतनुर्भूयाद्भव्याय भवसोदरी ॥

वरदा पदनम्रेभ्यः पारदा भववारिधेः ।
नीरदाभकचा भूयाद्भव्याय भवसोदरी ॥

विनताघहारा शीघ्रं विनतातनयार्चिता ।
पीनतायुक्कुचा भूयाद्भव्याय भवसोदरी ॥

वीणालसतपाणिपद्मा काणादमुखशास्त्रदा ।
एणाङ्कशिशुभृद्भूयाद्भव्याय भवसोदरी ॥

अष्टकं भवसोदर्याः कष्टनाशकरं द्रुतम् ।
इष्टदं सम्पठञ्छीघ्रमष्टसिद्धीरवाप्नुयात् ॥

भावसोदरी अष्टक स्तोत्रम् भगवान शिव की महिमा का गुणगान करने वाला एक प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसका नियमित पाठ भक्तों को आध्यात्मिक शांति, समृद्धि और भगवान शिव की कृपा प्रदान करता है।

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