33.9 C
Gujarat
बुधवार, अक्टूबर 16, 2024

बगलामुखी आरती Baglamukhi Aarti

Post Date:

बगलामुखी आरती Baglamukhi Aarti in Hindi


बगलामुखी देवी को हिंदू धर्म में महाविद्याओं में से एक के रूप में पूजा जाता है। उन्हें त्रुटिहीन विजय की देवी माना जाता है और उनके उपासकों का मानना है कि वे अपने भक्तों के शत्रुओं का नाश करती हैं और उनके जीवन में शांति और समृद्धि लाती हैं। बगलामुखी देवी का आराधना विशेष रूप से तांत्रिक विधियों से की जाती है, लेकिन सामान्य भक्त भी उनकी पूजा करते हैं। बगलामुखी आरती देवी की कृपा पाने और जीवन की बाधाओं को दूर करने के लिए अत्यधिक प्रभावी मानी जाती है।

बगलामुखी आरती का महत्व:

बगलामुखी आरती का नियमित गायन करने से भक्त की सभी बाधाएं दूर होती हैं और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। इसे विशेष रूप से शत्रुओं से मुक्ति पाने, मुकदमों में जीत हासिल करने, और बुरी शक्तियों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। आरती के समय देवी को पीले वस्त्र, पीले फूल, हल्दी और चने की दाल का भोग लगाया जाता है, क्योंकि पीला रंग देवी को अत्यधिक प्रिय है।

बगलामुखी आरती:

जय जय श्री बगलामुखी माता, आरति करहुँ तुम्हारी

॥ टेक ॥

पीत वसन तन पर तव सोहै, कुण्डल की छबि न्यारी ॥ जय-जय”
कर-कमलों में मुद्गर धारै, अस्तुति करहिं सकल नर-नारी ॥ जय-जय”

चम्पक माल गले लहरावे, सुर नर मुनि जय जयति उचारी ॥ जय-जय”
त्रिविध ताप मिटि जात सकल सब, भक्ति सदा तव है सुखकारी ॥ जय-जय”

पालत हरत सृजत तुम जग को, सब जीवन की हो रखवारी ॥ जय-जय”
मोह निशा में भ्रमत सकल जन, करहु हृदय महँ, तुम उजियारी ॥ जय-जय”

तिमिर नशावहु ज्ञान बढ़ावहु, अम्बे तुमही हो असुरारी॥ जय-जय”
सन्तन को सुख देत सदा ही, सब जन की तुम प्राण पियारी ॥ जय-जय”

तव चरणन जो ध्यान लगावै, ताको हो सब भव-भयहारी ॥ जय-जय”
प्रेम सहित जो करहिं आरती, ते नर मोक्षधाम अधिकारी ॥ जय-जय”

दोहा-बगलामुखी की आरती, पढ़ें सुनै जो कोय।
विनती कुलपति मिश्र की, सुख-सम्पति सब होय ॥

आरती की विधि:

  1. समय: बगलामुखी की आरती दिन में किसी भी समय की जा सकती है, लेकिन इसे प्रातः और संध्या समय करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  2. सामग्री: आरती के लिए दीया, पीले फूल, हल्दी, चने की दाल, कर्पूर, अगरबत्ती, और शुद्ध घी की आवश्यकता होती है। देवी को पीले वस्त्र पहनाकर पूजा की जाती है।
  3. मंत्र जाप: आरती से पहले और बाद में देवी के मूल मंत्र “ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा॥” का जाप किया जाता है।
  4. भोग: देवी को प्रसाद में पीले मिष्ठान्न जैसे बेसन के लड्डू, हल्दी मिश्रित खीर आदि का भोग लगाया जाता है।

बगलामुखी आरती के लाभ:

  • शत्रुओं से सुरक्षा।
  • कानूनी मामलों में जीत।
  • जीवन की समस्याओं से मुक्ति।
  • मानसिक और आध्यात्मिक शांति।
  • भय और अनिश्चितताओं से सुरक्षा।

बगलामुखी देवी की आरती उनके भक्तों को अद्भुत शक्ति और साहस प्रदान करती है, जो उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाती है।

 

 

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

गणाध्यक्ष स्तोत्रं Ganaadhyaksha Stotram

ईक्ष्वाकुकृत गणाध्यक्ष स्तोत्रं - भरद्वाज उवाच  Ikshvakukrita Ganaadhyaksha Stotram कथं...

शंकरादिकृतं गजाननस्तोत्रम् Shankaraadi Kritam Gajanan Stotram

शंकरादिकृतं गजाननस्तोत्रम् - देवा ऊचुः  Shankaraadi Kritam Gajanan Stotram गजाननाय...

गजानन स्तोत्र देवर्षय ऊचुः Gajanan Stotra

गजानन स्तोत्र - देवर्षय ऊचुः Gajanan Stotraगजानन स्तोत्र: देवर्षय...

सर्वेष्टप्रदं गजानन स्तोत्रम् Sarveshtapradam Gajanan Stotram

सर्वेष्टप्रदं गजानन स्तोत्रम् Sarveshtapradam Gajanan Stotram https://youtu.be/9JXvmdfYc5o?si=5DOB6JxdurjJ-Ktk कपिल उवाच ।नमस्ते विघ्नराजाय...
error: Content is protected !!