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शुक्रवार, मार्च 7, 2025

अष्टमहिषी कृष्ण स्तोत्रम्

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अष्टमहिषी कृष्ण स्तोत्रम्(Ashtamahishee Krishna Stotram) भगवान श्रीकृष्ण के आठ महिषियों (पत्नी) को समर्पित एक प्रसिद्ध स्तोत्र है। यह स्तोत्र वैष्णव परंपरा में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और इसे भक्ति भाव से पाठ करने से भगवान श्रीकृष्ण और उनकी महिषियों की कृपा प्राप्त होती है। इस स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से उन भक्तों द्वारा किया जाता है जो अपने जीवन में सुख-शांति, पारिवारिक समृद्धि और प्रेम संबंधी समस्याओं के समाधान की कामना करते हैं।

अष्टमहिषियों का परिचय

श्रीमद्भागवत, हरिवंश पुराण, और महाभारत जैसे ग्रंथों में भगवान श्रीकृष्ण की आठ प्रमुख पत्नियों का उल्लेख मिलता है। इन्हें “अष्टमहिषी” कहा जाता है। ये आठ पत्नियां थीं:

  1. रुक्मिणी – विदर्भ नरेश भीष्मक की पुत्री और भगवान श्रीकृष्ण की प्रथम पत्नी।
  2. सत्यभामा – पृथ्वी के स्वरूप में मानी जाने वाली और साहसी स्वभाव की धनी।
  3. जाम्बवती – जाम्बवान की पुत्री, जो तप, धर्म और निष्ठा की प्रतीक मानी जाती हैं।
  4. कालिंदी – सूर्य की पुत्री, जो यमुना नदी के किनारे तपस्या करती थीं।
  5. मित्रविन्दा – अवंती के राजा की पुत्री और भगवान की अनन्य भक्त।
  6. नाग्नजिति (सत्य) – कोशल देश के राजा नग्नजित की पुत्री।
  7. भद्रा – भगवान श्रीकृष्ण की चचेरी बहन, जो उनके प्रति समर्पित थीं।
  8. लक्ष्मणा (मद्रा) – मद्र देश की राजकुमारी, जिनका विवाह स्वयंवर के माध्यम से हुआ।

अष्टमहिषी कृष्ण स्तोत्रम् का महत्व Importance of Ashtamahishee Krishna Stotram

इस स्तोत्र के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण की महिषियों के गुण, उनकी कृपा और उनके प्रति भगवान के प्रेम का वर्णन किया गया है। इस स्तोत्र का पाठ भक्तों को पारिवारिक जीवन में संतुलन और प्रेम बनाए रखने में सहायता करता है।

अष्टमहिषी कृष्ण स्तोत्रम् के लाभ Benifits of Ashtamahishee Krishna Stotram

  1. पारिवारिक सुख-शांति – स्तोत्र का पाठ करने से पारिवारिक कलह समाप्त होती है।
  2. वैवाहिक जीवन में प्रेम – यह स्तोत्र वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ाने में सहायक होता है।
  3. संकटों से मुक्ति – स्तोत्र का नियमित पाठ जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करता है।
  4. भक्ति और ध्यान – यह स्तोत्र भगवान श्रीकृष्ण और उनकी महिषियों के प्रति गहरी भक्ति उत्पन्न करता है।

अष्टमहिषी कृष्ण स्तोत्रम् का पाठ विधि

  1. सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी-सत्यभामा की मूर्ति या चित्र के सामने दीप प्रज्वलित करें।
  3. तुलसी के पत्तों से भगवान का पूजन करें।मन शांत करके अष्टमहिषी कृष्ण स्तोत्रम् का पाठ करें।
  4. अंत में भगवान से अपनी मनोकामना की प्रार्थना करें।

अष्टमहिषी कृष्ण स्तोत्रम् के श्लोक Ashtamahishee Krishna Stotram

हृद्गुहाश्रितपक्षीन्द्र- वल्गुवाक्यैः कृतस्तुते।
तद्गरुत्कन्धरारूढ रुक्मिणीश नमोऽस्तु ते।
अत्युन्नताखिलैः स्तुत्य श्रुत्यन्तात्यन्तकीर्तित।
सत्ययोजितसत्यात्मन् सत्यभामापते नमः।
जाम्बवत्याः कम्बुकण्ठालम्ब- जृम्भिकराम्बुज।
शम्भुत्र्यम्बकसम्भाव्य साम्बतात नमोऽस्तु ते।
नीलाय विलसद्भूषा- जलयोज्ज्वालमालिने।
लोलालकोद्यत्फालाय कालिन्दीपतये नमः।
जैत्रचित्रचरित्राय शात्रवानीकमृत्यवे।
मित्रप्रकाशाय नमो मित्रविन्दाप्रियाय ते।
बालनेत्रोत्सवानन्त- लीलालावण्यमूर्तये।
नीलाकान्ताय ते भक्तवालायास्तु नमो नमः।
भद्राय स्वजनाविद्यानिद्रा- विद्रवणाय वै।
रुद्राणीभद्रमूलाय भद्राकान्ताय ते नमः।
रक्षिताखिलविश्वाय शिक्षिताखिलरक्षसे।
लक्षणापतये नित्यं भिक्षुश्लक्ष्णाय ते नमः।

अष्टमहिषी कृष्ण स्तोत्रम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs of Ashtamahishee Krishna Stotram

  1. अष्टमहिषी कृष्ण स्तोत्रम् क्या है?

    उत्तर: अष्टमहिषी कृष्ण स्तोत्रम् एक भक्तिपूर्ण स्तोत्र है जो भगवान श्रीकृष्ण की आठ पत्नियों, जिन्हें अष्टमहिषी कहा जाता है, की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भगवान श्रीकृष्ण की लीला, उनकी दिव्यता और उनके जीवन के अद्भुत पहलुओं का गुणगान करता है।

  2. अष्टमहिषी कौन-कौन हैं?

    उत्तर: अष्टमहिषी भगवान श्रीकृष्ण की आठ मुख्य पत्नियां हैं: रुक्मिणी, सत्यभामा, जाम्बवती, कालिंदी, मित्रवृंदा, नाग्नजिति, भद्रा, और लक्ष्मणा। इन सभी का उल्लेख पौराणिक कथाओं में उनके अद्भुत गुणों और श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति के लिए किया गया है।

  3. अष्टमहिषी कृष्ण स्तोत्रम् का पाठ क्यों किया जाता है?

    उत्तर: अष्टमहिषी कृष्ण स्तोत्रम् का पाठ भगवान श्रीकृष्ण और उनकी अष्टमहिषियों की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह स्तोत्र भक्ति, प्रेम और ईश्वर के प्रति समर्पण को प्रकट करता है। इसे पाठ करने से जीवन में शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक संतोष की प्राप्ति होती है।

  4. अष्टमहिषी कृष्ण स्तोत्रम् का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?

    उत्तर: इस स्तोत्र का पाठ किसी भी शुभ समय पर किया जा सकता है, जैसे प्रातःकाल या संध्या के समय। पाठ करने से पहले स्नान करके साफ वस्त्र पहनें और भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप जलाकर पाठ करें। इसे पूर्ण श्रद्धा और एकाग्रता के साथ करना चाहिए।

  5. अष्टमहिषी कृष्ण स्तोत्रम् कहां से प्राप्त कर सकते हैं?

    उत्तर: अष्टमहिषी कृष्ण स्तोत्रम् धार्मिक ग्रंथों, स्तोत्र संग्रह पुस्तकों और ऑनलाइन माध्यमों से प्राप्त किया जा सकता है। कई वेब साइट्स और ऐप्स पर यह स्तोत्र उपलब्ध है। इसे सीखने और समझने के लिए अनुभवी गुरु से मार्गदर्शन भी लिया जा सकता है।

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