Ardhanareeswara Ashtakam In English
अर्धनारीश्वर अष्टकम्(Ardhanareeswara Ashtakam) शिव और शक्ति के एकीकृत स्वरूप, अर्थात अर्धनारीश्वर को समर्पित एक प्रसिद्ध स्तुति है। यह स्तोत्र आदि शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है। अर्धनारीश्वर की अवधारणा हिंदू धर्म में स्त्री और पुरुष तत्वों के संतुलन और समग्रता को दर्शाती है। इस स्तुति में शिव और शक्ति के दिव्य स्वरूप की महिमा और उनके आध्यात्मिक महत्व का वर्णन किया गया है।
अर्धनारीश्वर का स्वरूप
अर्धनारीश्वर की मूर्ति या चित्रण में शिव और शक्ति एक ही शरीर में सम्मिलित दिखाई देते हैं। शिव का दायां भाग पुरुष तत्व का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि पार्वती (शक्ति) का बायां भाग स्त्री तत्व को दर्शाता है। यह प्रतीकात्मक रूप से प्रकृति और पुरुष, शक्ति और चेतना, सृष्टि और संहार, तथा स्थिरता और गति के सामंजस्य को प्रकट करता है।
अर्धनारीश्वर अष्टकम् का महत्व Ardhanareeswara Ashtakam Importance
यह स्तोत्र शिव और शक्ति के अद्वितीय संगम का वर्णन करते हुए भक्त को यह स्मरण कराता है कि जीवन में संतुलन और समग्रता कितनी महत्वपूर्ण है। अर्धनारीश्वर का आदर्श यह है कि स्त्री और पुरुष तत्व एक-दूसरे के बिना अपूर्ण हैं और उनकी पूर्णता तभी संभव है जब वे एक साथ मिलें।
अर्धनारीश्वर अष्टकम् Ardhanareeswara Ashtakam Lyrics
चाम्पेयगौरार्धशरीरकायै
कर्पूरगौरार्धशरीरकाय ।
धम्मिल्लकायै च जटाधराय
नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ १ ॥
कस्तूरिकाकुङ्कुमचर्चितायै
चितारजःपुञ्ज विचर्चिताय ।
कृतस्मरायै विकृतस्मराय
नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ २ ॥
झणत्क्वणत्कङ्कणनूपुरायै
पादाब्जराजत्फणिनूपुराय ।
हेमाङ्गदायै भुजगाङ्गदाय
नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ ३ ॥
विशालनीलोत्पललोचनायै
विकासिपङ्केरुहलोचनाय ।
समेक्षणायै विषमेक्षणाय
नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ ४ ॥
मन्दारमालाकलितालकायै
कपालमालाङ्कितकन्धराय ।
दिव्याम्बरायै च दिगम्बराय
नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ ५ ॥
अम्भोधरश्यामलकुन्तलायै
तटित्प्रभाताम्रजटाधराय ।
निरीश्वरायै निखिलेश्वराय
नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ ६ ॥
प्रपञ्चसृष्ट्युन्मुखलास्यकायै
समस्तसंहारकताण्डवाय ।
जगज्जनन्यै जगदेकपित्रे
नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ ७ ॥
प्रदीप्तरत्नोज्ज्वलकुण्डलायै
स्फुरन्महापन्नगभूषणाय ।
शिवान्वितायै च शिवान्विताय
नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ ८ ॥
एतत्पठेदष्टकमिष्टदं यो
भक्त्या स मान्यो भुवि दीर्घजीवी ।
प्राप्नोति सौभाग्यमनन्तकालं
भूयात्सदा तस्य समस्तसिद्धिः
अर्धनारीश्वर अष्टकम् का भावार्थ Ardhanareeswara Ashtakam Meaning
- शिव और शक्ति दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। शिव बिना शक्ति के शव के समान हैं।
- अर्धनारीश्वर का स्तवन यह सिखाता है कि जीवन में संतुलन और एकता ही सच्ची आध्यात्मिकता है।
- यह भजन हमें यह भी सिखाता है कि स्त्री और पुरुष दोनों की समानता और गरिमा का सम्मान करना चाहिए।
अर्धनारीश्वर अष्टकम् का लाभ Ardhanareeswara Ashtakam Benifits
अर्धनारीश्वर अष्टकम् का नित्य पाठ करने से मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, और ऊर्जा का संतुलन प्राप्त होता है। यह स्तोत्र भक्त को शिव और शक्ति की कृपा से जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है।
यदि आप इसका पाठ करना चाहते हैं, तो इसे प्रातः या सायं शांत मन से शिव-पार्वती की मूर्ति या चित्र के सामने करें। पाठ से पहले ध्यान और प्रार्थना के माध्यम से स्वयं को केंद्रित करें।
अर्ध नारीश्वर अष्टकम् पर आधारित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर FAQs for Ardhanareeswara Ashtakam
अर्ध नारीश्वर अष्टकम् किस देवता की स्तुति के लिए लिखा गया है?
अर्ध नारीश्वर अष्टकम् भगवान शिव और देवी पार्वती के संयुक्त स्वरूप अर्धनारीश्वर की स्तुति के लिए लिखा गया है।
अर्ध नारीश्वर का क्या महत्व है?
अर्ध नारीश्वर शिव और शक्ति का अद्वितीय स्वरूप है, जो सृष्टि के संतुलन, सामंजस्य और पुरुष तथा स्त्री तत्वों के समान महत्व को दर्शाता है।
अर्ध नारीश्वर अष्टकम् का रचयिता कौन है?
अर्ध नारीश्वर अष्टकम् के रचयिता आदिगुरु शंकराचार्य हैं।
अर्ध नारीश्वर अष्टकम् का पाठ करने से क्या लाभ होता है?
अर्ध नारीश्वर अष्टकम् का पाठ करने से जीवन में संतुलन, सौभाग्य और आत्मिक शांति प्राप्त होती है। यह स्तुति भक्त के मन को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करती है।
अर्ध नारीश्वर अष्टकम् में कितने श्लोक होते हैं?
अर्ध नारीश्वर अष्टकम् में कुल आठ श्लोक होते हैं, जो भगवान अर्ध नारीश्वर की महिमा का वर्णन करते हैं।