Annapurna Stuti In Hindi
अन्नपूर्णा स्तुति(Annapurna Stuti) देवी अन्नपूर्णा के प्रति भक्तिभाव और श्रद्धा व्यक्त करने के लिए रचित एक पवित्र स्तुति है। देवी अन्नपूर्णा को हिंदू धर्म में अन्न और समृद्धि की देवी माना जाता है। उनका नाम “अन्नपूर्णा” दो शब्दों “अन्न” (भोजन) और “पूर्णा” (पूर्णता) से बना है, जिसका अर्थ है वह जो संसार को भोजन और समृद्धि से परिपूर्ण करती हैं। अन्नपूर्णा स्तुति का पाठ विशेष रूप से भोजन की प्राप्ति, समृद्धि और जीवन में संतोष प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
अन्नपूर्णा देवी की कथा Annapurna Devi Story
पौराणिक कथा के अनुसार, देवी अन्नपूर्णा भगवान शिव की पत्नी माता पार्वती का ही एक रूप हैं। एक बार भगवान शिव ने कहा कि संसार में सब कुछ माया है और भोजन का भी कोई महत्व नहीं है। माता पार्वती ने यह सुनकर क्रोधित होकर संसार से भोजन गायब कर दिया। जब संसार में अकाल पड़ा और जीव-जंतु भूख से व्याकुल हो गए, तब भगवान शिव ने माता पार्वती से क्षमा मांगी। देवी पार्वती ने अन्नपूर्णा रूप धारण कर संसार को भोजन प्रदान किया। यह कथा बताती है कि भोजन केवल शारीरिक पोषण का साधन ही नहीं, बल्कि यह आध्यात्मिक और सांसारिक संतुलन का भी स्रोत है।
अन्नपूर्णा स्तुति का महत्व Annapurna Stuti Importance
अन्नपूर्णा स्तुति का पाठ व्यक्ति को भक्ति, समर्पण और आभार व्यक्त करने की प्रेरणा देता है। इसका मुख्य उद्देश्य देवी अन्नपूर्णा से कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करना है, जिससे जीवन में कभी भोजन और संसाधनों की कमी न हो। यह स्तुति मनुष्य को यह भी सिखाती है कि भोजन का आदर करना और उसका उचित उपयोग करना आवश्यक है।
अन्नपूर्णा स्तुति का पाठ
अन्नपूर्णा स्तुति के प्रमुख श्लोक इस प्रकार हैं:
अन्नदात्रीं दयार्द्राग्रनेत्रां सुरां
लोकसंरक्षिणीं मातरं त्मामुमाम्।
अब्जभूषान्वितामात्मसम्मोहनां
देविकामक्षयामन्नपूर्णां भजे।
आत्मविद्यारतां नृत्तगीतप्रिया-
मीश्वरप्राणदामुत्तराख्यां विभाम्।
अम्बिकां देववन्द्यामुमां सर्वदां
देविकामक्षयामन्नपूर्णां भजे।
मेघनादां कलाज्ञां सुनेत्रां शुभां
कामदोग्ध्रीं कलां कालिकां कोमलाम्।
सर्ववर्णात्मिकां मन्दवक्त्रस्मितां
देविकामक्षयामन्नपूर्णां भजे।
भक्तकल्पद्रुमां विश्वजित्सोदरीं
कामदां कर्मलग्नां निमेषां मुदा।
गौरवर्णां तनुं देववर्त्मालयां
देविकामक्षयामन्नपूर्णां भजे।
सर्वगीर्वाणकान्तां सदानन्ददां
सच्चिदानन्दरूपां जयश्रीप्रदाम्।
घोरविद्यावितानां किरीटोज्ज्वलां
देविकामक्षयामन्नपूर्णां भजे।
अन्नपूर्णा स्तुति का पाठ करने के लाभ Annapurna Stuti Benifits
- भोजन और समृद्धि की प्राप्ति: इस स्तुति का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में भोजन और धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह स्तुति व्यक्ति के मन को शांति और संतोष प्रदान करती है।
- परिवार में समृद्धि: अन्नपूर्णा देवी की कृपा से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
- भोजन का सम्मान: यह स्तुति सिखाती है कि भोजन को व्यर्थ न करें और उसका आदर करें।
अन्नपूर्णा स्तुति का पाठ करने का समय और विधि
- सुबह और शाम को स्नान करके देवी अन्नपूर्णा के चित्र या मूर्ति के समक्ष दीप जलाकर इस स्तुति का पाठ करें।
- पाठ के दौरान चावल, फल और प्रसाद अर्पित करें।
- पाठ के अंत में देवी से अपने घर में समृद्धि और शांति बनाए रखने की प्रार्थना करें।