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रविवार, फ़रवरी 23, 2025

अन्नपूर्णा स्तोत्रम्

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Annapoorna Stotram In Hindi

अन्नपूर्णा स्तोत्रम्(Annapoorna Stotram) देवी अन्नपूर्णा की स्तुति में रचित एक पवित्र स्तोत्र है। इसे आदिगुरु शंकराचार्य जी द्वारा रचा गया माना जाता है। देवी अन्नपूर्णा को भोजन और समृद्धि की देवी के रूप में पूजा जाता है। संस्कृत भाषा में रचित यह स्तोत्र भक्ति और श्रद्धा से भरपूर है और इसे पढ़ने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

अन्नपूर्णा देवी कौन हैं? Who is Annapoorna Devi

देवी अन्नपूर्णा भगवान शिव की शक्ति का रूप हैं। उनका नाम “अन्न” (भोजन) और “पूर्णा” (पूर्णता) से बना है, जिसका अर्थ है “भोजन की पूर्णता प्रदान करने वाली”। मान्यता है कि देवी अन्नपूर्णा हर प्राणी को अन्न और पोषण प्रदान करती हैं। उनकी कृपा से घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती।

अन्नपूर्णा स्तोत्रम् का महत्व Importance of Annapoorna Stotram

अन्नपूर्णा स्तोत्रम् का पाठ करने से भक्त को मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य और आर्थिक समृद्धि का अनुभव होता है। यह स्तोत्र न केवल अन्न की पूर्ति के लिए, बल्कि जीवन के सभी क्षेत्रों में पूर्णता प्राप्त करने के लिए प्रभावी माना जाता है।

अन्नपूर्णा देवी की आरती

अन्नपूर्णा स्तोत्रम् के श्लोक Annapoorna Stotram Sloka

नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौन्दर्यरत्नाकरी
निर्धूताखिलघोरपावनकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी।

प्रालेयाचलवंशपावनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।

नानारत्नविचित्रभूषणकरी हेमाम्बराडम्बरी
मुक्ताहारविलम्बमानविलसद्वक्षोजकुम्भान्तरी।

काश्मीरागरुवासिता रुचिकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।

योगानन्दकरी रिपुक्षयकरी धर्मैकनिष्ठाकरी
चन्द्रार्कानलभासमानलहरी त्रैलोक्यरक्षाकरी।

सर्वैश्वर्यकरी तपःफलकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।

कैलासाचलकन्दरालयकरी गौरी ह्युमा शाङ्करी
कौमारी निगमार्थगोचरकरी ह्योङ्कारबीजाक्षरी।

मोक्षद्वारकवाटपाटनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।

दृश्यादृश्यविभूतिवाहनकरी ब्रह्माण्डभाण्डोदरी
लीलानाटकसूत्रखेलनकरी विज्ञानदीपाङ्कुरी।

श्रीविश्वेशमनःप्रसादनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।

आदिक्षान्तसमस्तवर्णकरी शम्भुप्रिया शाङ्करी
काश्मीरत्रिपुरेश्वरी त्रिनयनी विश्वेश्वरी शर्वरी।

स्वर्गद्वारकवाटपाटनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।

उर्वीसर्वजनेश्वरी जयकरी माता कृपासागरी
नारी नीलसमानकुन्तलधरी नित्यान्नदानेश्वरी।

साक्षान्मोक्षकरी सदा शुभकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।

देवी सर्वविचित्ररत्नरचिता दाक्षायणी सुन्दरी
वामा स्वादुपयोधरा प्रियकरी सौभाग्यमाहेश्वरी।

भक्ताभीष्टकरी सदा शुभकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।

चन्द्रार्कानलकोटिकोटिसदृशी चन्द्रांशुबिम्बाधरी
चन्द्रार्काग्निसमानकुण्डलधरी चन्द्रार्कवर्णेश्वरी।

मालापुस्तकपाशसाङ्कुशधरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।

क्षत्रत्राणकरी महाभयहरी माता कृपासागरी
सर्वानन्दकरी सदा शिवकरी विश्वेश्वरी श्रीधरी।

दक्षाक्रन्दकरी निरामयकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।

अन्नपूर्णा स्तोत्रम् का पाठ कब और कैसे करें? How to chant Annapoorna Stotram

  1. समय: अन्नपूर्णा स्तोत्रम् का पाठ सुबह के समय करना सबसे शुभ माना जाता है।
  2. स्थान: यह पाठ किसी शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठकर किया जाना चाहिए।
  3. भक्ति और श्रद्धा: पाठ के समय पूर्ण ध्यान और भक्ति रखना चाहिए।
  4. दीप प्रज्वलित करें: देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं और नैवेद्य (भोग) अर्पित करें।

अन्नपूर्णा स्तोत्रम् से मिलने वाले लाभ Benifits of Annapoorna Stotram

  1. अन्न और धन की प्राप्ति: देवी की कृपा से घर में अन्न और धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती।
  2. सकारात्मक ऊर्जा: यह स्तोत्र मानसिक तनाव को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: यह पाठ भक्त के आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है।
  4. धार्मिक पुण्य: स्तोत्र का नियमित पाठ भक्त को धार्मिक पुण्य प्रदान करता है।

अन्नपूर्णा जयंती Annapoorna Jayanti

देवी अन्नपूर्णा का विशेष पूजन मार्गशीर्ष पूर्णिमा को किया जाता है। इसे अन्नपूर्णा जयंती कहते हैं। इस दिन भक्त देवी का पूजन कर उन्हें खीर, हलवा और अन्य पकवानों का भोग लगाते हैं।

अन्नपूर्णा स्तोत्रम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs for Annapoorna Stotram

  1. अन्नपूर्णा स्तोत्रम् क्या है? What is Annapoorna Stotram?

    अन्नपूर्णा स्तोत्रम् माँ अन्नपूर्णा की स्तुति में रचित एक पवित्र भजन है। यह स्तोत्र भगवान आदिशंकराचार्य द्वारा रचा गया माना जाता है और इसमें माँ अन्नपूर्णा को भोजन और समृद्धि की देवी के रूप में पूजा जाता है। इसे पढ़ने और सुनने से भक्तों को भौतिक और आध्यात्मिक संतोष प्राप्त होता है।

  2. अन्नपूर्णा स्तोत्रम् का पाठ कब और कैसे किया जाना चाहिए?

    अन्नपूर्णा स्तोत्रम् का पाठ प्रातःकाल या संध्या के समय, स्नान आदि के बाद, स्वच्छ मन और शरीर से करना चाहिए। इसे शांत वातावरण में, दीप जलाकर, माँ अन्नपूर्णा की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठकर पढ़ना शुभ माना जाता है। पाठ के समय पूरी श्रद्धा और ध्यान के साथ माँ का ध्यान करें।

  3. अन्नपूर्णा स्तोत्रम् के पाठ का क्या महत्व है?

    अन्नपूर्णा स्तोत्रम् के पाठ से व्यक्ति के जीवन में धन-धान्य, समृद्धि और मानसिक शांति आती है। यह पाठ विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी है जो आर्थिक समस्याओं या भौतिक आवश्यकताओं से परेशान हैं। माँ अन्नपूर्णा की कृपा से जीवन में स्थिरता और संतोष की प्राप्ति होती है।

  4. अन्नपूर्णा स्तोत्रम् कहाँ से प्राप्त किया जा सकता है?

    अन्नपूर्णा स्तोत्रम् विभिन्न धार्मिक पुस्तकों, ग्रंथों और ऑनलाइन स्रोतों पर उपलब्ध है। इसे धार्मिक किताबों की दुकानों से खरीदा जा सकता है, या आप इसे इंटरनेट पर पीडीएफ, ऑडियो और वीडियो प्रारूप में डाउनलोड कर सकते हैं।

  5. क्या अन्नपूर्णा स्तोत्रम् का पाठ किसी विशेष दिन पर किया जाना चाहिए?

    अन्नपूर्णा स्तोत्रम् का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से नवरात्रि, पूर्णिमा और माँ अन्नपूर्णा से संबंधित त्योहारों के दिनों में इसका पाठ अधिक शुभ और प्रभावशाली माना जाता है। इन दिनों माँ की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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