अंगारक नामावली स्तोत्रम् Angaraka Namavali Stotram
अंगारक नामावली स्तोत्रम् एक विशेष स्तोत्र है जिसे मुख्य रूप से मंगल ग्रह (अंगारक) को शांत करने और उसकी अनुकूलता प्राप्त करने के लिए पाठ किया जाता है। इसे संस्कृत भाषा में रचा गया है और इसमें मंगल देव के विभिन्न नामों की सूची दी गई है। इस स्तोत्र का नियमित जाप करने से जातकों को जीवन में आने वाले कष्टों, ऋण, और स्वास्थ्य से जुड़े समस्याओं से मुक्ति मिलती है। साथ ही, इसे पाठ करने से मंगल ग्रह की दशा में सुधार होता है और व्यक्ति को उन्नति व सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
अंगारक नामावली स्तोत्रम् का महत्व
मंगल ग्रह को ज्योतिष में साहस, ऊर्जा, संघर्ष, पराक्रम, भूमि, वाहन, शक्ति और साहस का कारक माना गया है। जिन जातकों की जन्मकुंडली में मंगल दोष होता है, उन्हें विशेष रूप से अंगारक नामावली स्तोत्रम् का पाठ करना चाहिए। यह स्तोत्र निम्नलिखित लाभ प्रदान करता है:
- विवाह में विलम्ब दूर करने के लिए – मंगल दोष के कारण विवाह में आने वाले अड़चनें समाप्त होती हैं।
- ऋण से मुक्ति – मंगल दोष का प्रभाव होने पर व्यक्ति पर भारी ऋण का बोझ आ सकता है। इस स्तोत्र के पाठ से ऋणमुक्ति होती है।
- शत्रुओं पर विजय – मंगल का संबंध युद्ध और पराक्रम से होता है। इसलिए इस स्तोत्र के पाठ से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में राहत – विशेष रूप से खून, हड्डियों और मांसपेशियों की समस्याओं में मंगल दोष का प्रभाव हो सकता है। स्तोत्र का पाठ स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करता है।
- कर्ज़ और धन संबंधी समस्याओं का समाधान – इस स्तोत्र के प्रभाव से आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
अंगारक नामावली स्तोत्रम् का पाठ विधि
अंगारक नामावली स्तोत्रम् का पाठ करने के लिए मंगलवार का दिन सबसे शुभ माना गया है। इसके पाठ की विधि निम्नलिखित है:
- प्रातः स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
- एक साफ आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- अपने सामने मंगल ग्रह की प्रतिमा या चित्र रखें और दीपक जलाएं।
- मंगल देव का ध्यान करते हुए “ॐ अंगारकाय नमः” का जाप करें।
- तत्पश्चात अंगारक नामावली स्तोत्रम् का पाठ करें। इसे कम से कम 11 बार या अपनी क्षमता अनुसार अधिक बार भी कर सकते हैं।
अंगारक नामावली स्तोत्रम् के श्लोक
अंगारक नामावली स्तोत्रम् के प्रमुख श्लोक निम्नलिखित हैं:
अङ्गारकः शक्तिधरो लोहिताङ्गो धरासुतः ।
कुमारो मङ्गलो भौमो महाकायो धनप्रदः ॥ १॥
ऋणहर्ता दृष्टिकर्ता रोगकृद्रोगनाशनः ।
विद्युत्प्रभो व्रणकरः कामदो धनहृत् कुजः ॥ २॥
सामगानप्रियो रक्त वस्त्रो रक्तायतेक्षणः ।
लोहितो रक्तवर्णश्च सर्वकर्मावबोधकः ॥ ३॥
रक्तमाल्यधरो हेम कुण्डली ग्रहनायकः ।
नामान्येतानि भौमस्य यः पठेत्सततं नरः ॥ ४॥
ऋणं तस्य च दौर्भाग्यं दारिद्र्यं च विनश्यति ।
धनं प्राप्नोति विपुलं स्त्रियं चैव मनोरमाम् ॥ ५॥
वंशोद्द्योतकरं पुत्रं लभते नात्र संशयः ।
योऽर्चयेदह्नि भौमस्य मङ्गलं बहुपुष्पकैः ॥ ६॥
सर्वा नश्यति पीडा च तस्य ग्रहकृता ध्रुवम् ॥ ७॥
इन श्लोकों में मंगल देव के विभिन्न नामों का गुणगान किया गया है।
अंगारक नामावली स्तोत्रम् के पाठ के लाभ
मानसिक शांति – मंगल से प्रभावित मानसिक तनाव और क्रोध को नियंत्रित करता है।
दुर्भाग्य को दूर करता है – जीवन में लगातार असफलता का सामना कर रहे लोगों के लिए यह अत्यंत उपयोगी है।
उर्जा और आत्मबल में वृद्धि – यह स्तोत्र साहस, आत्मविश्वास और ऊर्जा को बढ़ाने में सहायक है।
धन में वृद्धि – यह स्तोत्र आर्थिक उन्नति और सुख-समृद्धि को बढ़ाता है।