Agnipuran Hindi PDF – अग्निपुराण हिंदी
लेखक | वेदव्यास |
भाषा | संस्कृत |
अनुवाद | हिंदी |
संपादक | गीताप्रेस गोरखपुर |
विषय | विष्णु तथा शिव महात्यम् |
प्रकार | हिन्दू धार्मिक ग्रन्थ |
पृष्ठ | १५,००० श्लोक |
अग्निपुराण पुराण १८ पुराणोंमें से एक लोकप्रिय और ज्ञान का भंडार माना जाता है साहित्य में अपनी व्यापक दृष्टिकोण के कारण विशिष्ट स्थान रखता है। अनेक विद्वानों ने इसकी विषयवस्तु के आधार पर इसे ‘भारतीय संस्कृति का विश्वकोश’ से भी जाना जाता है। अग्निपुराण में ब्रम्हा, विष्णु, महेस और सूर्य देव की पूजा उपासना का वर्णन और विधि दर्शायी गयी है। यह पुराण में परा और अपरा विद्याओ का वर्णन दर्शाया गया है। इसमें विष्णुजी के कुर्म, हेग्रिव, मत्स्य आदि अवतारों की कथाए, रामायण, महाभारत के सभी पर्वो की संक्षिप्त कथाएँ और वास्तु पूजा, दीक्षा विधि और सृष्टिजगत के बारे में अत्यंत सुन्दर विस्तरण किया गया है।
अग्निपुराण में वक्ता अग्निदेव है इसी वजह से इसे ‘अग्निपुराण’ कहा गया है। यह सभी पुराणोंमें में से लघु आकार होने पर भी सभी विद्याओ का समावेश किया गया है। इसकी वजह से यह अत्यंत विशिष्ट की श्रेणी में समिलित किया गया है।
सभी १८ पुराणोंमें से पद्मपुराण में भगवान श्री हरी विष्णु के पुराण मय स्वरूपों का वर्णन किया है और १८ पुराण भगवान के अंग कहे गए है उसी वर्णन के अनुसार अग्निपुराण को भगवान विष्णु का बायां चरण कहा गया है।
अध्यायानुसार वर्णित किये गए विचार
अध्याय | विषय |
१ | उपोद्घात, विष्णु अवतार वर्णन |
२-४ | मत्स्य, कूर्म, वराह अवतार |
५-१० | रामायण एवं इसके काण्डों का संक्षिप्त कथन |
११-१६ | अवतार कथाएँ |
१८-२० | वंशों का वर्णन, सृष्टि |
२१-१०३ | विविध देवताओं की मूर्तियों का परिमाण, मूर्ति लक्षण, देवता-प्रतिष्ठा, वस्तुपूजा तथा जीर्णोद्धार |
१०४- १४९ | भुवनकोश (भूमि आदि लोकों का वर्णन), कुछ पवित्र नदियों का माहात्म्य, ज्योतिश्शास्त्र सम्बन्धी विचार, नक्षत्रनिर्णय, युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए उच्चारण किए जाने योग्य मन्त्र, चक्र तथा अनेक तान्त्रिक विधान |
१५० | मन्वन्तर |
१५१ – १७४ | वर्णाश्रम धर्म, प्रायश्चित तथा श्राध्दं |
१७५ – २०८ | व्रत की परिभाषा, पुष्पाध्याय, पुष्प द्वारा पूजा करने का फल |
२०९ – २१७ | दान का माहात्म्य, विविध प्रकार के दान, मन्त्र का माहात्म्य, गायत्रीध्यानपद्धति, शिवस्त्रोत्र |
२१८ – २४२ | राज्य सम्बन्धी विचार – राजा के कर्तव्य। अभिषेक विधि – युद्धक्रमा, रणदीक्षा, स्वप्नशुकनादि विचार, दुर्गनिर्माणविधि और दुर्ग के भेद |
२४३-२४४ | पुरुषों और स्त्रियों के शरीर के लक्षण |
२४५ | चामर, खड्ग, धनुष के लक्षण |
२४६ | रत्नपरीक्षा |
२४७ | वास्तुलक्षण |
२४८ | पुष्पादिपूजा के फल |
२४९-२५२ | धनुर्वेद |
२५३ | अधिकरण (न्यायालय) के व्यवहार |
२५३-२७८ | चतुर्णां वेदानां मन्त्रप्रयोगैर्जायमानानि विविधानि फलानि, वेदशाखानां विचारः, राज्ञां वंशस्य वर्णनम् |
२७९-२८१ | रशायुवेद की कुछ प्रक्रियाएँ |
२८२-२२९ | वृक्षायुवेद, गजचिकित्सा, गजशान्ति, अश्वशान्ति (हाथी और घोड़ों को कोई भी रोग न हो, इसके लिए उपाय) |
२९८ -३७२ | विविध देवताओं की मन्त्र-शान्ति-पूजा और देवालय माहात्म्य |
२९८-३७२ | छन्द शास्त्र आदि |
३३७-३४७ | साहित्य-रस-अलंकार-काव्यदोष आदि |
३४८ | एकाक्षरी कोश |
३४९-३५९ | व्याकरण सम्बन्धी विविध विषय |
४६०-३६७ | पर्याय शब्दकोश |
३६८-३६९ | प्रलय का निरुपण |
३७० | शारीरकं |
३७१ | नरक निरुपण |
३७२-३७६ | योगशास्त्र प्रतिपाद्य विचार |
३७७-३८० | वेदान्तज्ञान |
३८१ | गीतासार |
३८२ | यमगीता |
३८३ | अग्निपुराण का माहात्म्य |
अग्निपुराण का महत्त्व | What are the benefits of Agni Puran in Hindi
अग्निपुराण वेद और पुराणों का अद्वितीय संग्रह है जो विभिन्न विषयों पर विस्तारित ज्ञान प्रदान करता है। इस पुराण में धर्म, दर्शन, देवताओं, यज्ञों, तपस्या, मोक्ष, कर्म, राजनीति, ज्योतिष, आयुर्वेद, गृहस्थाश्रम, तीर्थयात्रा, योग, ध्यान, अन्तिम संस्कार आदि के विषय में बहुत सारी जानकारी है। यह ग्रंथ आध्यात्मिक एवं धार्मिक आदर्शों के आधार पर मनुष्य को अच्छे कर्मों के माध्यम से सफलता और मुक्ति की प्राप्ति के लिए मार्गदर्शन करता है।
अग्निपुराण का महत्त्वपूर्ण प्रभाव | Important effects in Agnipuran
अग्निपुराण न केवल धार्मिक विचारों का प्रमुख स्रोत है, बल्कि इसका प्रभाव भारतीय समाज और संस्कृति पर भी होता है। इस ग्रंथ के अनुसार, अग्नि देवता की पूजा, यज्ञ और अन्य रीति-रिवाज़ का पालन आपको धार्मिकता और आध्यात्मिकता की ओर आगे बढ़ाता है। यह ग्रंथ व्यक्ति को अपने कर्मों के महत्व की जागरूकता दिलाता है और सामाजिक मर्यादाओं को सुरक्षित रखने में मदद करता है।
अग्निपुराण पुस्तक | Agnipuran in Hindi
१.अग्निपुराण को किसने लिखा है? (Who wrote the Agni Purana?)
अग्निपुराण को वेदव्याश जी ने लिखा है।
२.अग्निपुराण के प्रमुख विषय क्या हैं?
अग्निपुराण में ज्योतिष, व्रत, पूजा, यज्ञ, वास्तु, रत्नों का महत्व, जन्मों का महत्व, देवताओं की कथाएं, तप की विधियाँ, जीवन के मार्गदर्शन, गुरु-शिष्य संबंध, भूत-प्रेत, स्वर्ग-नरक, कर्म का सिद्धांत, आदि विषयों को सम्मिलित किया गया है।
३.अग्निपुराण की भाषा क्या है? (What is the language of Agni Purana)
यह प्रमुख रूपसे संस्कृत में लिखा गया है परन्तु वर्त्तमान समय में इसे कई भाषा में अनुवादित किया गया है।