आदित्य कवचम्(Aditya Kavacham) एक प्राचीन वैदिक स्तोत्र है जो भगवान सूर्य को समर्पित है। यह स्तोत्र सूर्य देवता की कृपा, सुरक्षा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। “आदित्य” भगवान सूर्य का एक अन्य नाम है। यह कवचम् वेदों और पुराणों में उल्लिखित अन्य स्तोत्रों की भांति शक्तिशाली और पवित्र माना जाता है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से साधक को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक शक्ति मिलती है।
आदित्य कवचम् का महत्व śrī āditya kavacam
- सुरक्षा कवच: यह स्तोत्र सूर्य देव को समर्पित होने के कारण साधक को जीवन में आने वाली बाधाओं और संकटों से सुरक्षा प्रदान करता है।
- स्वास्थ्य लाभ: सूर्य देव को आरोग्य और ऊर्जा का स्रोत माना गया है। आदित्य कवचम् का पाठ रोगों को दूर करने और स्वस्थ जीवन जीने में सहायक है।
- सकारात्मक ऊर्जा: यह स्तोत्र सकारात्मकता और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
- कार्यसिद्धि: इसे पढ़ने से कार्यों में सफलता प्राप्त होती है और आलस्य व नकारात्मक सोच दूर होती है।
आदित्य कवचम् का पाठ करने के नियम
- प्रातःकाल स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके पाठ करें।
- पाठ से पहले सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसे अर्घ्य देना कहते हैं।
- शांत मन से, एकाग्र होकर इस स्तोत्र का पाठ करें।
- सप्ताह में रविवार का दिन आदित्य कवचम् के पाठ के लिए सबसे शुभ माना जाता है।
आदित्य कवचम् का पाठ
ॐ अस्य श्रीमदादित्यकवचस्तोत्रमहामन्त्रस्य।
याज्ञवल्क्यो महर्षिः।
अनुष्टुब्जगतीच्छन्दसी।
भगवान् आदित्यो देवता।
घृणिरिति बीजम्।
सूर्य इति शक्तिः।
आदित्य इति कीलकम्।
श्रीसूर्यनारायणप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।
उदयाचलमागत्य वेदरूपमनामयम् ।
तुष्टाव परया भक्त्या वालखिल्यादिभिर्वृतम्।
देवासुरैः सदा वन्द्यं ग्रहैश्च परिवेष्टितम्।
ध्यायन् स्तुवन् पठन् नाम यस्सूर्यकवचं सदा।
घृणिः पातु शिरोदेशं सूर्यः फालं च पातु मे।
आदित्यो लोचने पातु श्रुती पातु प्रभाकरः।
घ्राणं पातु सदा भानुः अर्कः पातु मुखं तथा।
जिह्वां पातु जगन्नाथः कण्ठं पातु विभावसुः।
स्कन्धौ ग्रहपतिः पातु भुजौ पातु प्रभाकरः।
अहस्करः पातु हस्तौ हृदयं पातु भानुमान्।
मध्यं च पातु सप्ताश्वो नाभिं पातु नभोमणिः।
द्वादशात्मा कटिं पातु सविता पातु सृक्किणी।
ऊरू पातु सुरश्रेष्ठो जानुनी पातु भास्करः।
जङ्घे पातु च मार्ताण्डो गलं पातु त्विषाम्पतिः।
पादौ ब्रध्नः सदा पातु मित्रोऽपि सकलं वपुः।
वेदत्रयात्मक स्वामिन् नारायण जगत्पते।
अयातयामं तं कञ्चिद्वेदरूपः प्रभाकरः।
स्तोत्रेणानेन सन्तुष्टो वालखिल्यादिभिर्वृतः।
साक्षाद्वेदमयो देवो रथारूढस्समागतः।
तं दृष्ट्वा सहसोत्थाय दण्डवत्प्रणमन् भुवि।
कृताञ्जलिपुटो भूत्वा सूर्यस्याग्रे स्थितस्तदा।
वेदमूर्तिर्महाभागो ज्ञानदृष्टिर्विचार्य च।
ब्रह्मणा स्थापितं पूर्वं यातयामविवर्जितम्।
सत्त्वप्रधानं शुक्लाख्यं वेदरूपमनामयम्।
शब्दब्रह्ममयं वेदं सत्कर्मब्रह्मवाचकम्।
मुनिमध्यापयामास प्रथमं सविता स्वयम्।
तेन प्रथमदत्तेन वेदेन परमेश्वरः।
याज्ञवल्क्यो मुनिश्रेष्ठः कृतकृत्योऽभवत्तदा।
ऋगादिसकलान् वेदान् ज्ञातवान् सूर्यसन्निधौ।
इदं प्रोक्तं महापुण्यं पवित्रं पापनाशनम्।
यः पठेच्छृणुयाद्वापि सर्वपापैः प्रमुच्यते।
वेदार्थज्ञानसम्पन्नस्सूर्यलोकमावप्नुयात्।
आदित्य कवचम् के लाभ
- रोगों से मुक्ति: आदित्य कवचम् का पाठ सूर्य देव की कृपा से रोगों से रक्षा करता है। विशेष रूप से हृदय और नेत्र संबंधी रोगों में लाभकारी है।
- शत्रुओं से सुरक्षा: यह कवच शत्रुओं के भय से रक्षा करता है और विजय प्रदान करता है।
- धन और समृद्धि: इसका पाठ करने से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है और समृद्धि प्राप्त होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: साधक को आत्मिक शांति और उच्च आध्यात्मिक स्तर की अनुभूति होती है।
विशेष ध्यान
- आदित्य कवचम् के साथ आदित्य हृदयम् का पाठ करने से प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
- इसे विशेष रूप से मकर संक्रांति, छठ पूजा, और रविवार के दिन पढ़ना शुभ माना जाता है।
आदित्य कवचम्, भगवान सूर्य की कृपा पाने का एक सरल और प्रभावशाली साधन है। इसका नियमित पाठ साधक के जीवन में ऊर्जा, स्वास्थ्य, और सुरक्षा का संचार करता है।
आदित्य कवचम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न
आदित्य कवचम् क्या है?
आदित्य कवचम् एक पवित्र स्तोत्र है जो भगवान सूर्य की उपासना के लिए गाया जाता है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान सूर्य की कृपा, उनकी ऊर्जा और शक्ति प्राप्त करने में मदद करता है। इसे वैदिक मंत्रों और श्लोकों का संग्रह माना जाता है, जो आत्मिक और शारीरिक शक्ति प्रदान करता है।
आदित्य कवचम् का पाठ क्यों किया जाता है?
आदित्य कवचम् का पाठ करने से स्वास्थ्य, धन, और शांति की प्राप्ति होती है। इसे विशेष रूप से रोगों को दूर करने, मानसिक तनाव को कम करने और आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए पढ़ा जाता है। सूर्य देव की उपासना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
आदित्य कवचम् का पाठ करने का सही समय और विधि क्या है?
आदित्य कवचम् का पाठ सुबह सूर्योदय के समय करना सबसे शुभ माना जाता है। पाठ से पहले स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्य को अर्घ्य देकर इसे पढ़ें। इसे कम से कम 7 बार पढ़ने से विशेष लाभ मिलता है।
आदित्य कवचम् किन समस्याओं के समाधान में सहायक है?
आदित्य कवचम् का पाठ स्वास्थ्य समस्याओं, विशेष रूप से नेत्र विकार और त्वचा रोगों के निवारण में सहायक होता है। यह आर्थिक समस्याओं, करियर की बाधाओं और पारिवारिक कलह को दूर करने में भी मदद करता है।
क्या आदित्य कवचम् का पाठ सभी कर सकते हैं?
हां, आदित्य कवचम् का पाठ सभी कर सकते हैं। इसे पढ़ने के लिए कोई विशेष धार्मिक योग्यता या जाति-भेद नहीं है। इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ा जाना चाहिए। अगर संभव हो तो इसे संस्कृत में पढ़ें, लेकिन हिंदी या अन्य भाषाओं में पढ़ने से भी समान लाभ मिलता है।