33.9 C
Gujarat
गुरूवार, अक्टूबर 23, 2025

वासर पीठ शररस्वती स्तोत्रम्

Post Date:

वासर पीठ शररस्वती स्तोत्रम्

Vasara Peetha Sraraswati Stotram देवी सरस्वती की स्तुति में रचित एक प्राचीन और पवित्र स्तोत्र है। यह स्तोत्र देवी सरस्वती के ज्ञान, संगीत, कला और सृजनात्मकता के दिव्य स्वरूप का वर्णन करता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से मन की शुद्धता, स्मरण शक्ति तथा रचनात्मकता में वृध्दि होती है और विद्या व ज्ञान के मार्ग में आने वाले सभी बाधाएँ दूर होती हैं। देवी सरस्वती को भारतीय परंपरा में ज्ञान, बुद्धिमत्ता, संगीत और कला की देवी के रूप में पूजा जाता है। वासर पीठ शररस्वती स्तोत्रम् का नाम दो महत्वपूर्ण तत्वों को दर्शाता है:

शररस्वती: देवी सरस्वती का एक अन्य नाम है, जो उनके तेजस्वी और शुद्ध स्वरूप की ओर संकेत करता है।

वासर पीठ: ऐसा माना जाता है कि यह किसी विशिष्ट तीर्थ या पीठ से संबंधित है, जहाँ देवी सरस्वती का दिव्य तेज प्रकट होता है।

वासर पीठ शररस्वती स्तोत्रम् का महत्त्व

  • ज्ञान व विद्या का स्रोत: इस स्तोत्र का पाठ करने से विद्यार्थी, शोधकर्ता, कलाकार और संगीतकार देवी सरस्वती की कृपा प्राप्त करते हैं, जिससे शिक्षा व सृजनात्मकता में उन्नति होती है।
  • आध्यात्मिक शुद्धता: स्तोत्र का नियमित पाठ मन को शांति, ध्यान और आध्यात्मिक जागृति प्रदान करता है।
  • बाधाओं का निवारण: विद्या तथा जीवन के हर क्षेत्र में आने वाली विघ्न बाधाओं को दूर करने में यह स्तोत्र सहायक माना जाता है।

Vasara Peetha Sraraswati Stotram

शरच्चन्द्रवक्त्रां लसत्पद्महस्तां सरोजाभनेत्रां स्फुरद्रत्नमौलिम् ।
घनाकारवेणीं निराकारवृत्तिं भजे शारदां वासरापीठवासाम् ॥

धराभारपोषां सुरानीकवन्द्यां मृणालीलसद्बाहुकेयूरयुक्ताम् ।
त्रिलोकैकसाक्षीमुदारस्तनाढ्यां भजे शारदां वासरापीठवासाम् ॥

दुरासारसंसारतीर्थाङ्घ्रिपोतां क्वणत्स्वर्णमाणिक्यहाराभिरामाम् ।
शरच्चन्द्रिकाधौतवासोलसन्तीं भजे शारदां वासरापीठवासाम् ॥

विरिञ्चीन्द्रविष्ण्वादियोगीन्द्र पूज्यां प्रसन्नां विपन्नार्तिनाशां शरण्याम् ।
त्रिलोकाधिनाथाधिनाथां त्रिशून्यां भजे शारदां वासरापीठवासाम् ॥

अनन्तामगम्यामनाद्यामभाव्यामभेद्यामदाह्यामलेप्यामरूपाम् ।
अशोष्यामसङ्गामदेहामवाच्यां भजे शारदां वासरापीठवासाम् ॥

मनोवागतीतामनाम्नीमखण्डामभिन्नात्मिकामद्वयां स्वप्रकाशाम् ।
चिदानन्दकन्दां परञ्ज्योतिरूपां भजे शारदां वासरापीठवासाम् ॥

सदानन्दरूपां शुभायोगरूपामशेषात्मिकां निर्गुणां निर्विकाराम् ।
महावाक्यवेद्यां विचारप्रसङ्गां भजे शारदां वासरापीठवासाम् ॥

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

धन्वन्तरिस्तोत्रम् | Dhanvantari Stotram

धन्वन्तरिस्तोत्रम् | Dhanvantari Stotramॐ नमो भगवते धन्वन्तरये अमृतकलशहस्ताय,सर्वामयविनाशनाय, त्रैलोक्यनाथाय...

दृग तुम चपलता तजि देहु – Drg Tum Chapalata Taji Dehu

दृग तुम चपलता तजि देहु - राग हंसधुन -...

हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे – He Hari Brajabaasin Muhin Keeje

 हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे - राग सारंग -...

नाथ मुहं कीजै ब्रजकी मोर – Naath Muhan Keejai Brajakee Mor

नाथ मुहं कीजै ब्रजकी मोर - राग पूरिया कल्याण...
error: Content is protected !!