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मंगलवार, फ़रवरी 4, 2025

नर्मदा अष्टकम

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Narmada Ashtakam In Hindi

श्री नर्मदा अष्टकम(Narmada Ashtakam) नर्मदा नदी की स्तुति और महिमा का वर्णन करने वाला एक पवित्र स्तोत्र है। इसे नर्मदा नदी, जिसे “रेवा” भी कहा जाता है, की दिव्यता, पवित्रता और उसके आध्यात्मिक महत्व को समर्पित किया गया है। नर्मदा अष्टकम आठ श्लोकों का समूह है, जिनमें माँ नर्मदा की महिमा, उनके जल की शुद्धता और उनके भक्तों को प्रदान किए जाने वाले वरदानों का उल्लेख है।

नर्मदा नदी का पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व Narmada River Historical Importance

हिंदू धर्म में नर्मदा नदी को देवी का स्वरूप माना गया है। यह नदी भगवान शिव की कृपा से उत्पन्न मानी जाती है और “शिव शक्ति” की उपस्थिति का प्रतीक है। नर्मदा नदी का जल न केवल शारीरिक शुद्धता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे आत्मिक और आध्यात्मिक शांति का साधन भी माना जाता है।

श्री नर्मदा अष्टकम का अर्थ और भावार्थ Meaning of Narmada Ashtakam

इस स्तोत्र में माँ नर्मदा की आराधना की जाती है। प्रत्येक श्लोक में देवी की दिव्यता, उनके जल की पवित्रता और उनके द्वारा दिए गए आध्यात्मिक लाभों का वर्णन है। इसका पाठ करने से भक्तों को पापों से मुक्ति, आत्मिक शांति, और समृद्धि प्राप्त होती है।

नर्मदा अष्टकम के पाठ का महत्व Narmada Ashtakam Importance

  1. पापों से मुक्ति: यह माना जाता है कि श्री नर्मदा अष्टकम का नियमित पाठ करने से व्यक्ति अपने जीवन के सभी पापों से मुक्त हो सकता है।
  2. आध्यात्मिक उन्नति: इसका पाठ मन और आत्मा को शुद्ध करता है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में सहायक होता है।
  3. शांति और समृद्धि: नर्मदा अष्टकम के पाठ से परिवार में शांति और समृद्धि बनी रहती है।

नर्मदा अष्टकम का नियमित पाठ कैसे करें?

  1. प्रातःकाल स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
  2. नर्मदा नदी की तस्वीर या मूर्ति के समक्ष दीप जलाएं।
  3. शांत मन से श्री नर्मदा अष्टकम का पाठ करें।
  4. पाठ के बाद नर्मदा माँ से अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।

नर्मदा अष्टकम Narmada Ashtakam

सबिन्दुसिन्धुसुस्खलत्तरङ्गभङ्गरञ्जितं
द्विषत्सु पापजातजातकादिवारिसंयुतम्।
कृतान्तदूतकालभूतभीतिहारिवर्मदे
त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे।
त्वदम्बुलीनदीनमीनदिव्यसंप्रदायकं
कलौ मलौघभारहारिसर्वतीर्थनायकम्।
सुमच्छकच्छनक्रचक्रवाकचक्रशर्मदे
त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे।
महागभीरनीरपूरपापधूतभूतलं
ध्वनत्समस्तपातकारिदारितापदाचलम्।
जगल्लये महाभये मृकण्डुसूनुहर्म्यदे
त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे।
गतं तदैव मे भयं त्वदम्बु वीक्षितं यदा
मृकण्डुसूनुशौनकासुरारिसेवितं सदा।
पुनर्भवाब्धिजन्मजं भवाब्धिदुःखवर्मदे
त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे।
अलक्ष्यलक्षकिन्नरामरासुरादिपूजितं
सुलक्षनीरतीरधीरपक्षिलक्षकूजितम्।
वसिष्ठशिष्टपिप्पलादिकर्दमादिशर्मदे
त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे।
सनत्कुमारनाचिकेतकश्यपात्रिषट्पदै-
र्धृतं स्वकीयमानसेषु नारदादिषट्पदैः।
रवीन्दुरन्तिदेवदेवराजकर्मशर्मदे
त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे।
अलक्षलक्षलक्षपापलक्षसारसायुधं
ततस्तु जीवजन्तुतन्तुभुक्तिमुक्तिदायकम्।
विरिञ्चिविष्णुशङ्करस्वकीयधामवर्मदे
त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे।
अहो धृतं स्वनं श्रुतं महेशिकेशजातटे
किरातसूतवाडवेषु पण्डिते शठे नटे।
दुरन्तपापतापहारि सर्वजन्तुशर्मदे
त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे।
इदं तु नर्मदाष्टकं त्रिकालमेव ये सदा
पठन्ति ते निरन्तरं न यान्ति दुर्गतिं कदा।
सुलभ्यदेहदुर्लभं महेशधामगौरवं
पुनर्भवा नरा न वै विलोकयन्ति रौरवम्।

FAQs for Narmada Ashtakam

  1. श्री नर्मदा अष्टकम क्या है?

    श्री नर्मदा अष्टकम एक आठ श्लोकों का संग्रह है, जो देवी नर्मदा की महिमा का बखान करता है। यह अष्टकम नर्मदा नदी की दिव्यता और उसका महत्व बताते हुए भक्तों को उसे सम्मानित करने का आह्वान करता है। यह श्लोक विशेष रूप से नर्मदा के प्रति श्रद्धा और भक्ति को बढ़ावा देने के लिए रचित हैं।

  2. श्री नर्मदा अष्टकम का पाठ क्यों किया जाता है?

    श्री नर्मदा अष्टकम का पाठ विशेष रूप से नर्मदा नदी की पवित्रता और उसके आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह श्लोक नर्मदा नदी के किनारे पर बैठकर या घर में भी पढ़े जा सकते हैं, जिससे मानसिक शांति, पुण्य और जीवन में समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके पाठ से भक्तों को नर्मदा माता की कृपा प्राप्त होती है।

  3. श्री नर्मदा अष्टकम का श्रवण करने के लाभ क्या हैं?

    श्री नर्मदा अष्टकम का श्रवण करने से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, सुख-शांति और तात्कालिक संकटों से मुक्ति मिलती है। यह श्लोक न केवल मानसिक शांति प्रदान करते हैं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति की ओर भी मार्गदर्शन करते हैं। इसके नियमित श्रवण से भक्ति और विश्वास में भी वृद्धि होती है।

  4. श्री नर्मदा अष्टकम का किस समय पाठ करना श्रेष्ठ होता है?

    श्री नर्मदा अष्टकम का पाठ विशेष रूप से नर्मदा सप्तमी, नर्मदा एकादशी, या शीतलाष्टमी जैसे विशेष अवसरों पर करना अधिक फलदायक माना जाता है। इसके अतिरिक्त, प्रतिदिन का पाठ भी जीवन को सुखी और समृद्ध बनाने में सहायक होता है। सुबह के समय या संतान सुख की कामना के समय इसका पाठ करना विशेष लाभकारी होता है।

  5. श्री नर्मदा अष्टकम के श्लोकों का उच्चारण कैसे करना चाहिए?

    श्री नर्मदा अष्टकम के श्लोकों का उच्चारण सही तरीके से करना आवश्यक है ताकि शुद्धता बनी रहे और उसका प्रभाव भी सही रूप से पड़े। प्रत्येक श्लोक को मंत्र-जप की तरह, श्रद्धा और भावनाओं के साथ उच्चारित करना चाहिए। अगर शुद्ध संस्कृत का ज्ञान नहीं है, तो गुरुओं या योग्य आचार्य से मार्गदर्शन लेकर पाठ करना उत्तम होता है।

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