श्री रामचंद्र जी की आरती लिखित में Aarti Shri Raghuvar Ji Ki
रघुवर जी, जिन्हें भगवान श्रीराम के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण और पूजनीय देवता हैं। श्रीराम भगवान विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं और त्रेतायुग में अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र के रूप में जन्मे थे। भगवान राम का चरित्र आदर्श पुरुष, मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में स्थापित है, और उनकी जीवन यात्रा को रामायण के रूप में वर्णित किया गया है। श्रीराम की आराधना करने वाले भक्त उन्हें श्रद्धा और भक्ति से पूजते हैं। आरती श्री रघुवर जी की उनके प्रति गहरे भक्ति भाव को व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण और लोकप्रिय साधन है।
आरती का महत्व: आरती एक विशेष पूजा विधि है जो दीप जलाकर भगवान के सामने की जाती है। इसका उद्देश्य भगवान के प्रति भक्ति, आभार और समर्पण का भाव प्रकट करना है। जब भी भगवान की आरती की जाती है, तब उसके साथ शंख और घंटों की ध्वनि की जाती है, जिससे वातावरण पवित्र हो जाता है।
आरती श्री रघुवर जी की भगवान श्रीराम की महिमा का गुणगान करने वाली है। यह आरती उनके प्रति प्रेम, आस्था और भक्ति को व्यक्त करती है। भक्तगण इस आरती को प्रतिदिन पूजा में गाते हैं, विशेषकर राम नवमी, दशहरा, और राम जन्मोत्सव के अवसर पर। आरती के माध्यम से भगवान राम की दिव्यता, उनके गुण, और उनकी लीलाओं का स्मरण किया जाता है।
आरती का शब्दार्थ और महत्व: आरती के शब्दों में भगवान राम के दिव्य गुणों का वर्णन किया गया है। उनके मर्यादा पुरुषोत्तम स्वरूप को, उनकी अयोध्या नगरी में स्थापित राज्य की प्रशंसा की गई है। आरती गाते समय राम के जीवन की घटनाओं, उनके धर्म की रक्षा के लिए किए गए कार्यों और राक्षसों का विनाश करने की लीलाओं का स्मरण किया जाता है।
आरती श्री रघुवर जी की (पाठ)
नाम लेत जग पावनकारी,
वानर सखा दीन दुख हर की।
आरती कीजै श्री रघुवर जी की,
सत् चित् आनन्द शिव सुन्दर की।
दशरथ तनय कौशल्या नन्दन,
सुर मुनि रक्षक दैत्य निकन्दन ।
अनुगत भक्त भक्त उर चन्दन,
मर्यादा पुरूषोतम वर की।
निर्गुण सगुण अनूप रूप निधि,
सकल लोक वन्दित विभिन्न विधि।
हरण शोक-भय दायक नव निधि,
माया रहित दिव्य नर वर की।
जानकी पति सुर अधिपति जगपति,
अखिल लोक पालक त्रिलोक गति ।
विश्व वन्द्य अवन्ह अमिता गति,
एक मात्र गति सचराचर की।
शरणागत वत्सल व्रतधारी,
भक्त कल्प तरुवर असुरारी।
श्री रघुवर जी की आरती – 2
सियाराम मय सब जग जानी, करहुं प्रनाम जोरि जुग पानी।
श्री रघुवर जी की आरती, उतारें जन हरषि हर्षाई।
सियाराम मय सब जग जानी, करहुं प्रनाम जोरि जुग पानी॥
रामलखन जानकी जीवन, भरतादि सुखदायक धाम।
सिया पति रामचंद्र प्रभु, जयति जयति जय सियाराम॥
श्री रघुवर जी की आरती, उतारें जन हरषि हर्षाई।
सियाराम मय सब जग जानी, करहुं प्रनाम जोरि जुग पानी॥
रामहिं बिमल चरित सुनि ल्याऊं, अरु श्री चरण रज सिर धरि जाऊं।
जनक सुता हित तात सुनाऊं, पवनसुत आरती उतारूं॥
श्री रघुवर जी की आरती, उतारें जन हरषि हर्षाई।
सियाराम मय सब जग जानी, करहुं प्रनाम जोरि जुग पानी॥
आरती का धार्मिक और मानसिक प्रभाव
- आध्यात्मिक शांति: आरती के माध्यम से भगवान राम का स्मरण और उनके गुणों की स्तुति करने से भक्तों के मन में शांति और संतोष की भावना जागृत होती है। यह भक्ति का एक प्रमुख साधन है जो व्यक्ति को मानसिक शांति और सुकून प्रदान करता है।
- धार्मिक पुण्य: श्रीराम की आराधना करने से व्यक्ति को धार्मिक पुण्य की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि जो व्यक्ति श्री रघुवर जी की आरती श्रद्धा और भक्ति भाव से गाता है, उसके जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
- समाज और परिवार में एकता: आरती के समय एकत्रित होकर भगवान की पूजा करने से परिवार और समाज में आपसी सौहार्द्र और प्रेम की भावना बढ़ती है।
आरती की विधि
श्री रघुवर जी की आरती करने के लिए आवश्यक है कि पहले भगवान राम की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीपक, धूप, फूल और नैवेद्य चढ़ाकर उनकी पूजा की जाए। फिर घंटी बजाते हुए इस आरती को गाया जाता है। शंख की ध्वनि के साथ आरती को समर्पित करने से पूजा का वातावरण पवित्र हो जाता है।