32.1 C
Gujarat
शुक्रवार, जून 20, 2025

श्री विष्णु चालीसा Shri Vishnu Chalisa

Post Date:

श्री विष्णु चालीसा Shri Vishnu Chalisa Lyrics

श्री विष्णु चालीसा भगवान विष्णु की महिमा, कृपा, और आशीर्वाद के बारे में एक प्रमुख प्रार्थना है। यह चालीसा उनकी उपास्यता और भक्ति को बढ़ाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस चालीसा में विष्णु भगवान की विभिन्न अवतारों, गुणों, और लीलाओं का वर्णन किया गया है। यह चालीसा हमें विष्णु भगवान की कृपा और सहायता की प्राप्ति में सहायता करती है।

भगवान विष्णु को प्रार्थना करने से हमें धर्म, सत्य, और न्याय की प्राप्ति होती है। यह चालीसा हमें शांति, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति में सहायता करती है। इसे नियमित रूप से पाठ करने से हमें मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक तरीके से स्थिरता, समय और प्रगति की प्राप्ति होती है। विष्णु चालीसा का पाठ करने से हमें आनंद, शक्ति, और उच्च स्तरीय जीवन की प्राप्ति होती है।

इस प्रकार, “श्री विष्णु चालीसा” हमें आध्यात्मिक उन्नति और प्रगति की ओर ले जाने वाली प्रार्थना है। यह हमें विष्णु भगवान के आशीर्वाद से प्रदीप्त करती है और हमारे जीवन को धार्मिकता, शांति, और समृद्धि से पूर्ण करती है।

Vishnu
Vishnu

॥ दोहा ॥

विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूँ दीजै ज्ञान बताय ।।

॥ चौपाई ॥

नमो विष्णु भगवान् खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी।

सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत।
तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत।

शंख चक्र कर गदा बिराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे ।
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे।

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन।
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन।

पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण।
करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण।

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा।
भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा।

आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया।
धर मतस्य तन सिन्धु बनाया, चौदह स्तनन को निकलाया।

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया।
देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छबि से बहलाया।

कूर्म रूप धर सिंन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया।
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया।

वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें दुई प्रया।
मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया।

असुर जलंधर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई।
हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई।

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी।
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी ।

देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी।
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी।

तुमने धुरू प्रहलाद उबारे, हिरणाकुश आदिक खल मारे।
गणिका और अजामिल तारे, बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे।

हरहु सकल संताप हमारे, कृपा करहु हरि सिरजन हारे।
देखहुँ मैं नित दरश तुम्हारे, दीन बन्धु भक्तन हितकारे।

चहत आपका सेवक दर्शन, करहु दया अपनी जानूं।
नहीं योग्य जप पूजन, होय यज्ञ स्तुति मधुसूदन । अनुमोदन ।

शीलदया सन्तोष सुलक्षण, विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण।
करहुँ आपका किस विधि पूजन, कुमति विलोक होत दुख भीषण।

करहुँ प्रणाम कौन विधिसुमिरण, कौन भांति मैं करहु समर्पण।
सुर मुनि करत सदा सिवकाई, हर्षित रहत परम गति पाई।

दीन दुखिन पर सदा सहाई, निज जन जान लेव अपनाई।
पाप दोष संताप नशाओ, भव बन्धन से मुक्त कराओ।

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ, निज चरनन का दास बनाओ।
निगम सदा ये विनय सुनावै, पढ़ें सुनै सो जन सुख पावै ।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

ऋग्वेद हिंदी में

ऋग्वेद (Rig veda in Hindi PDF) अर्थात "ऋचाओं का...

Pradosh Stotram

प्रदोष स्तोत्रम् - Pradosh Stotramप्रदोष स्तोत्रम् एक महत्वपूर्ण और...

Sapta Nadi Punyapadma Stotram

Sapta Nadi Punyapadma Stotramसप्तनदी पुण्यपद्म स्तोत्रम् (Sapta Nadi Punyapadma...

Sapta Nadi Papanashana Stotram

Sapta Nadi Papanashana Stotramसप्तनदी पापनाशन स्तोत्रम् (Sapta Nadi Papanashana...
error: Content is protected !!