17.6 C
Gujarat
रविवार, दिसम्बर 14, 2025

प्रार्थना – माया तेरी अपार

Post Date:

माया तेरी अपार

माया है तेरी अपार माया पार नहीं कोई पाता है।
राई को पर्वत पर्वत को राई देय बनाय ।
नीचे को ऊंचा ऊंचे को नीचे देय गिराय ॥
जो चाहे कर दिखलाता है । माया० ॥

नादानों को दाना करदे दाना को नादान ।
पलभर भी नहीं लगे बनादे निर्धन को धनवान ॥
इसी से नाम विधाता है । माया० ॥

बीरानों को बस्ती करदे बस्ती को बीरान ।
सुलतानों को चोर बनादे चोरों को सुलतान ॥
दनि बन्धु कहलाता है । माया० ॥

व्यापक जीव चराचर सबमें निराकार साकार ।
बिना तेरी मरजी के हरगिज पत्ता हिलेन डार ॥
तुही घट घट में पाता है । माया० ॥

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

अष्टादश शक्तिपीठ स्तोत्रम्

अष्टादश शक्तिपीठ स्तोत्रम्अष्टादश शक्तिपीठ स्तोत्रम् एक अत्यंत पवित्र...

लक्ष्मी शरणागति स्तोत्रम्

लक्ष्मी शरणागति स्तोत्रम्लक्ष्मी शरणागति स्तोत्रम् (Lakshmi Sharanagati Stotram) एक...

विष्णु पादादि केशांत वर्णन स्तोत्रं

विष्णु पादादि केशांत वर्णन स्तोत्रंलक्ष्मीभर्तुर्भुजाग्रे कृतवसति सितं यस्य रूपं...

द्वादश ज्योतिर्लिंङ्ग स्तोत्रम्

द्वादश ज्योतिर्लिंङ्ग स्तोत्रम्द्वादशज्योतिर्लिंगस्तोत्र एक प्रसिद्ध स्तोत्र है जिसमें भगवान...
error: Content is protected !!