25.5 C
Gujarat
गुरूवार, अक्टूबर 30, 2025

प्रार्थना – माया तेरी अपार

Post Date:

माया तेरी अपार

माया है तेरी अपार माया पार नहीं कोई पाता है।
राई को पर्वत पर्वत को राई देय बनाय ।
नीचे को ऊंचा ऊंचे को नीचे देय गिराय ॥
जो चाहे कर दिखलाता है । माया० ॥

नादानों को दाना करदे दाना को नादान ।
पलभर भी नहीं लगे बनादे निर्धन को धनवान ॥
इसी से नाम विधाता है । माया० ॥

बीरानों को बस्ती करदे बस्ती को बीरान ।
सुलतानों को चोर बनादे चोरों को सुलतान ॥
दनि बन्धु कहलाता है । माया० ॥

व्यापक जीव चराचर सबमें निराकार साकार ।
बिना तेरी मरजी के हरगिज पत्ता हिलेन डार ॥
तुही घट घट में पाता है । माया० ॥

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

धन्वन्तरिस्तोत्रम् | Dhanvantari Stotram

धन्वन्तरिस्तोत्रम् | Dhanvantari Stotramॐ नमो भगवते धन्वन्तरये अमृतकलशहस्ताय,सर्वामयविनाशनाय, त्रैलोक्यनाथाय...

दृग तुम चपलता तजि देहु – Drg Tum Chapalata Taji Dehu

दृग तुम चपलता तजि देहु - राग हंसधुन -...

हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे – He Hari Brajabaasin Muhin Keeje

 हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे - राग सारंग -...

नाथ मुहं कीजै ब्रजकी मोर – Naath Muhan Keejai Brajakee Mor

नाथ मुहं कीजै ब्रजकी मोर - राग पूरिया कल्याण...
error: Content is protected !!