23.5 C
Gujarat
बुधवार, नवम्बर 5, 2025

यह विनती रघुबीर गुसाईं

Post Date:

यह विनती रघुबीर गुसाईं Yeh Vinti Raghuveer Gosai (राग धनाश्री, विनय-पत्रिका पद)

यह विनती रघुबीर गुसाईं । और आस बिस्वास भरोसो, हरौ जीव जड़ताई ॥। १ ।

और आस बिस्वास भरोसो, चौं न सुगति, सुमति, संपति कछु, रिधि सिधि विपुल बड़ाई ।

हेतु-रहित अनुराग रामपद, बदु अनुदिन अधिकाई ॥ २ ॥

कुटिल करम लै जाइ मोहि, जहँ जहँ अपनी बरियाई ।

तहँ तहँ जनि छिन छोह छाँड़िये, कमठ- अण्डकी नाई ॥ ३ ॥

यहि जगमें जलगि या तनुकी, प्रीति प्रतीति सगाई ।

ते सब तुलसिदास प्रभु ही सों,होहिं सिमिटि इक ठाई ॥ ४ ॥

 

 

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

धन्वन्तरिस्तोत्रम् | Dhanvantari Stotram

धन्वन्तरिस्तोत्रम् | Dhanvantari Stotramॐ नमो भगवते धन्वन्तरये अमृतकलशहस्ताय,सर्वामयविनाशनाय, त्रैलोक्यनाथाय...

दृग तुम चपलता तजि देहु – Drg Tum Chapalata Taji Dehu

दृग तुम चपलता तजि देहु - राग हंसधुन -...

हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे – He Hari Brajabaasin Muhin Keeje

 हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे - राग सारंग -...

नाथ मुहं कीजै ब्रजकी मोर – Naath Muhan Keejai Brajakee Mor

नाथ मुहं कीजै ब्रजकी मोर - राग पूरिया कल्याण...
error: Content is protected !!