19.8 C
Gujarat
रविवार, फ़रवरी 23, 2025

यह विनती रघुबीर गुसाईं

Post Date:

यह विनती रघुबीर गुसाईं Yeh Vinti Raghuveer Gosai (राग धनाश्री, विनय-पत्रिका पद)

यह विनती रघुबीर गुसाईं । और आस बिस्वास भरोसो, हरौ जीव जड़ताई ॥। १ ।

और आस बिस्वास भरोसो, चौं न सुगति, सुमति, संपति कछु, रिधि सिधि विपुल बड़ाई ।

हेतु-रहित अनुराग रामपद, बदु अनुदिन अधिकाई ॥ २ ॥

कुटिल करम लै जाइ मोहि, जहँ जहँ अपनी बरियाई ।

तहँ तहँ जनि छिन छोह छाँड़िये, कमठ- अण्डकी नाई ॥ ३ ॥

यहि जगमें जलगि या तनुकी, प्रीति प्रतीति सगाई ।

ते सब तुलसिदास प्रभु ही सों,होहिं सिमिटि इक ठाई ॥ ४ ॥

 

 

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

Lakshmi Shataka Stotram

Lakshmi Shataka Stotramआनन्दं दिशतु श्रीहस्तिगिरौ स्वस्तिदा सदा मह्यम् ।या...

आज सोमवार है ये शिव का दरबार है

आज सोमवार है ये शिव का दरबार है -...

वाराही कवचम्

Varahi Kavachamवाराही देवी(Varahi kavacham) दस महाविद्याओं में से एक...

श्री हनुमत्कवचम्

Sri Hanumatkavachamश्री हनुमत्कवचम्(Sri Hanumatkavacham) एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है...