25.2 C
Gujarat
शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

यह विनती रघुबीर गुसाईं

Post Date:

यह विनती रघुबीर गुसाईं Yeh Vinti Raghuveer Gosai (राग धनाश्री, विनय-पत्रिका पद)

यह विनती रघुबीर गुसाईं । और आस बिस्वास भरोसो, हरौ जीव जड़ताई ॥। १ ।

और आस बिस्वास भरोसो, चौं न सुगति, सुमति, संपति कछु, रिधि सिधि विपुल बड़ाई ।

हेतु-रहित अनुराग रामपद, बदु अनुदिन अधिकाई ॥ २ ॥

कुटिल करम लै जाइ मोहि, जहँ जहँ अपनी बरियाई ।

तहँ तहँ जनि छिन छोह छाँड़िये, कमठ- अण्डकी नाई ॥ ३ ॥

यहि जगमें जलगि या तनुकी, प्रीति प्रतीति सगाई ।

ते सब तुलसिदास प्रभु ही सों,होहिं सिमिटि इक ठाई ॥ ४ ॥

 

 

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

गोकुल अष्टकं

गोकुल अष्टकं - Shri Gokul Ashtakamश्रीमद्गोकुलसर्वस्वं श्रीमद्गोकुलमंडनम् ।श्रीमद्गोकुलदृक्तारा श्रीमद्गोकुलजीवनम्...

अष्टादश शक्तिपीठ स्तोत्रम्

अष्टादश शक्तिपीठ स्तोत्रम्अष्टादश शक्तिपीठ स्तोत्रम् एक अत्यंत पवित्र...

लक्ष्मी शरणागति स्तोत्रम्

लक्ष्मी शरणागति स्तोत्रम्लक्ष्मी शरणागति स्तोत्रम् (Lakshmi Sharanagati Stotram) एक...

विष्णु पादादि केशांत वर्णन स्तोत्रं

विष्णु पादादि केशांत वर्णन स्तोत्रंलक्ष्मीभर्तुर्भुजाग्रे कृतवसति सितं यस्य रूपं...
error: Content is protected !!