35.7 C
Gujarat
बुधवार, अक्टूबर 22, 2025

विश्व वाटिका की प्रति क्यारी में

Post Date:

विश्व वाटिका की प्रति क्यारी में – Vishv Vaatika ki Prati Kyaremen

किसके लिये सुमन चुन-चुनकर सजा रहा सुन्दर डाली ।।

क्या तू नहीं देखता इन सुमनोंमें उसका प्यारा रूप ।

जिसके लिये विविध विधिसे है हार गूँथता तू अपरूप ||

बीजांकुर शाखा-उपशाखा, क्यारी-कुंज, लता-पता ।

कण-कणमें है भरी हुई उस मोहनकी मधुरी सत्ता ।।

कमलोंका कोमल पराग विकसित गुलाबकी यह लाली ।

सनी हुई है उससे सारे विश्व-बागकी हरियाली ।।

मधुर हास्य उसका ही पाकर खिलती नित नव-नव कलियाँ ।

उसकी मंजु मत्तता पाकर भ्रमर कर रहे रंगरलियाँ ।।

पाकर सुस्वर कंठ उसीका विहग कूजते चारों ओर ।

देख उसीको मेघरूपमें हर्षित होते चातक मोर ॥

हार गूँथकर कहाँ जायगा उसे ढूँढ़ने तू माली ?

देख, इन्हीं सुमनों के अंदर उसकी मूरति मतवाली ।।

रूप-रंग, सौरभ-पर। गमें भरा उसीका प्यारा रूप ।

जिसके लिये इन्हें चुन-चुनकर हार गूँथता तू अपरूप ।।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

धन्वन्तरिस्तोत्रम् | Dhanvantari Stotram

धन्वन्तरिस्तोत्रम् | Dhanvantari Stotramॐ नमो भगवते धन्वन्तरये अमृतकलशहस्ताय,सर्वामयविनाशनाय, त्रैलोक्यनाथाय...

दृग तुम चपलता तजि देहु – Drg Tum Chapalata Taji Dehu

दृग तुम चपलता तजि देहु - राग हंसधुन -...

हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे – He Hari Brajabaasin Muhin Keeje

 हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे - राग सारंग -...

नाथ मुहं कीजै ब्रजकी मोर – Naath Muhan Keejai Brajakee Mor

नाथ मुहं कीजै ब्रजकी मोर - राग पूरिया कल्याण...
error: Content is protected !!