28.6 C
Gujarat
सोमवार, सितम्बर 16, 2024

श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा

Post Date:

श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा Shri Vindhyeshwari Chalisa Lyrics

॥ दोहा ॥

नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब।
सन्त जनों के काज में करती नहीं विलम्ब ॥

॥ चौपाई ॥

जय जय जय विन्ध्याचल रानी, आदि शक्ति जग विदित भवानी।
सिंहवाहिनी जय जगमाता, जय जय जय त्रिभुवन सुखदाता ।

कष्ट निवारिणी जय जग देवी, जय जय सन्त असुर सुर सेवी।
महिमा अमित अपार तुम्हारी, शेष सहस मुख वर्णत हारी।

दीनन के दुख हरत भवानी, नहिं देख्यो तुम सम कोउ दानी।
सब कर मनसा पुरवत माता, महिमा अमित जगत विख्याता ।

जो जन ध्यान तुम्हारो लावै, सो तुरतहिं वांछित फल पावै।
तू ही वैष्णवी तू ही रुद्रानी, तू ही शारदा अरु ब्रह्माणी ।

रमा राधिका श्यामा काली, तू ही मातु सन्तन उमा माधवी चण्डी ज्वाला,
बेगि मोहि पर होहु प्रतिपाली दयाला। तू ही हिंगलाज महारानी, तू ही शीतला अरु विज्ञानी।

दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता, तू ही लक्ष्मी जग सुख दाता।
तू ही जाह्नवी अरु उत्राणी, हेमावती अम्ब निरवाणी।

अष्ट भुजी वाराहिनी देवा, करत विष्णु शिव जाकर सेवा ।
चौसट्टी देवी कल्यानी, गौरी मंगला सब गुण खानी।

पाटन मुम्बा दन्त कुमारी, भद्रकालि सुन विनय हमारी।
वज्र धारिणी शोक नाशिनी, आयु रक्षिणी विन्ध्यवासिनी।

जया और विजया बैताली, मात संकटी अरु विकराली।
नाम अनन्त तुम्हार भवानी, बरनै किमि मानुष अज्ञानी।

जापर कृपा मात तव होई, तो वह करै चहै मन जोई।
कृपा करहु मोपर महारानी, सिद्ध करिए अब यह मम बानी।

जो नर धेरै मात कर ध्याना, ताकर सदा होय कल्याना।
विपति ताहि सपनेहु नहिं आवै, जो देवी का जाप करावै।

जो नर कहं ऋण होय अपारा, सो नर पाठ करे शतबारा।
निश्चय ऋण मोचन होई जाई, जो नर पाठ करे मन माई।

अस्तुति जो नर पढ़ें पढ़ावै, या जग में सो अति सुख पावै ।
जाको व्याधि सतावे भाई, जाप करत सब दूर पराई।

जो नर अति बन्दी महँ होई, बार हजार पाठ कर सोई।
निश्चय बन्दी ते छुटि जाई, जापर जो कछु संकट होई।

जा कहँ पुत्र होय नहिं भाई, सत्य वचन मम मानहु भाई।
निश्चय देविहिं सुमिरे सोई। सो नर या विधि करे उपाई।

पाँच वर्ष सो पाठ करावे, नौरातन में विप्र जिमावे।
निश्चय होहिं प्रसन्न भवानी, पुत्र देहिं ताकहँ गुणखानी।

ध्वजा नारियल आन चढ़ावे, विधि समेत पूजन करवावे।
नित्य प्रति पाठ करे मन लाई, प्रेम सहित नहिं आन उपाई।

यह श्री विन्ध्याचल चालीसा, रंक पढ़त होवे अवनीसा।
यह जनि अचरज मानहुँ भाई, कृपा दृष्टि जापर हुई जाई।

जय जय जय जग मातु भवानी, कृपा करहु मोहिं पर जन जानी।

 

 


कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

पद्मा एकादशी की व्रत कथा (परिवर्तिनी एकादशी)

भाद्रपद शुक्ल एकादशी की व्रत कथाहिंदू धर्म में व्रत...

ऋषि पंचमी की आरती

ऋषि पंचमी की आरती Rishi Panchami Aartiश्री हरि हर...

ऋषि पंचमी २०२४ – जानिए इस पवित्र दिन के पीछे की पौराणिक कथा

ऋषि पंचमी २०२४ Rishi Panchami 2024ऋषि पंचमी हिंदू धर्म...

कालभैरवाष्टकम् 

काल भैरव अष्टक Kaal Bhairav Ashtakamदेवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।नारदादियोगिवृन्दवन्दितं...
error: Content is protected !!