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रविवार, अप्रैल 20, 2025

वंदे मातरम्

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Vande Mataram

वंदे मातरम् भारत का राष्ट्रीय गीत है, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रभक्ति और संघर्ष का प्रतीक बन गया था। यह गीत प्रसिद्ध उपन्यासकार और कवि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा 1870 के दशक में लिखा गया था और उनके उपन्यास “आनंदमठ” में शामिल किया गया। वंदे मातरम् के माध्यम से भारत माता की वंदना और देशभक्ति की भावना प्रकट की गई है।

वंदे मातरम् का रचना और इतिहास Vande Mataram History

बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने यह गीत मूलतः बंगाली और संस्कृत भाषा में लिखा था। इसे पहली बार उनके उपन्यास “आनंदमठ” में 1882 में प्रकाशित किया गया। गीत में मातृभूमि को देवी दुर्गा के रूप में चित्रित किया गया है। “वंदे मातरम्” का अर्थ है “माँ, तुझे प्रणाम”। यह गीत न केवल एक साहित्यिक रचना है, बल्कि भारतीय जनता की स्वतंत्रता की भावना का प्रतीक भी है।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, यह गीत स्वतंत्रता सेनानियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया। 1905 के बंगाल विभाजन के समय, यह नारा व्यापक रूप से गूंजा और ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई में शक्ति का प्रतीक बन गया।

वंदे मातरम् और स्वतंत्रता संग्राम

1906 में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में वंदे मातरम् को पहली बार गाया गया। इसके बाद, यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया। नेता, स्वतंत्रता सेनानी, और आम जनता इसे अपने जोश और प्रेरणा को बढ़ाने के लिए गाते थे।

राष्ट्रीय गीत का दर्जा


स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, वंदे मातरम् को भारत का राष्ट्रीय गीत घोषित किया गया। 24 जनवरी 1950 को, संविधान सभा ने इसे यह दर्जा दिया। इसे जन-गण-मन के साथ समान रूप से महत्त्वपूर्ण माना गया। हालांकि, वंदे मातरम् का पूरा गीत चार पदों में विभाजित है, लेकिन इसके केवल पहले दो पदों को ही आधिकारिक रूप से अपनाया गया।

वंदे मातरम् का महत्व Vande Mataram Importance

वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं है; यह भारत की संस्कृति, परंपरा, और मातृभूमि के प्रति श्रद्धा को दर्शाने वाला प्रतीक है। इसकी प्रत्येक पंक्ति में मातृभूमि के प्रति आदर और गौरव की भावना झलकती है। गीत में उपयोग किए गए शब्द और चित्रण भारत की प्राकृतिक सुंदरता, इसकी महानता, और लोगों की एकजुटता का वर्णन करते हैं।

वंदे मातरम् के बोल Vande Mataram Lyrics

वन्दे मातरम्
सुजलाम् सुफलाम् मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम् मातरम्।
वन्दे मातरम्।

शुभ्रज्योत्स्ना पुलकित यामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम् मातरम्।
वन्दे मातरम्।

विवाद और समसामयिक संदर्भ

हालांकि वंदे मातरम् को भारतीयों ने अत्यधिक सम्मान दिया, लेकिन इसका कुछ धार्मिक और सांस्कृतिक समूहों द्वारा विरोध भी हुआ। यह विरोध मुख्यतः इसके कुछ धार्मिक संदर्भों को लेकर था। बावजूद इसके, यह गीत आज भी भारत की राष्ट्रीय पहचान और गर्व का हिस्सा है।

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