28.6 C
Gujarat
मंगलवार, दिसम्बर 2, 2025

स्याम तव मूरति हृदय समानी | Syam Tav Murti Hriday Samani

Post Date:

स्याम तव मूरति हृदय समानी

Syam Tav Murti Hriday Samani

स्याम तव मूरति हृदय समानी ।

अंग-अंग व्यापी, रग-रग राँची, रोम-रोम उरझानी ||

जित देखौं तित तू ही दीखत, दृष्टि कहा बौरानो ।

स्रवन सुनत नित ही बंसी-धुनि, देह रही लपटानी ।।

स्याम-अंग सुचि सौरभ मीठी, नासा तेहि रति मानी ।

जिभ्या सरस मनोहर मधुमय, हरि-जूठन रस-स्वानी ।।

ऊधौ कहत संदेस तिहारो, हमहिं बनावत ग्यानी ।

कहु थल जहाँ ग्यानकों राखें, कहा मसखरी ठानी ।।

निकसत नाहिं हृदयतें हमरे बैठ्यो रहत लुकानी ।

ऊषौ ! स्याम न छाड़त हमकों, करत सदा मनमानी ।।

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

अष्टादश शक्तिपीठ स्तोत्रम्

अष्टादश शक्तिपीठ स्तोत्रम्अष्टादश शक्तिपीठ स्तोत्रम् एक अत्यंत पवित्र...

लक्ष्मी शरणागति स्तोत्रम्

लक्ष्मी शरणागति स्तोत्रम्लक्ष्मी शरणागति स्तोत्रम् (Lakshmi Sharanagati Stotram) एक...

विष्णु पादादि केशांत वर्णन स्तोत्रं

विष्णु पादादि केशांत वर्णन स्तोत्रंलक्ष्मीभर्तुर्भुजाग्रे कृतवसति सितं यस्य रूपं...

द्वादश ज्योतिर्लिंङ्ग स्तोत्रम्

द्वादश ज्योतिर्लिंङ्ग स्तोत्रम्द्वादशज्योतिर्लिंगस्तोत्र एक प्रसिद्ध स्तोत्र है जिसमें भगवान...
error: Content is protected !!