श्री वेङ्कटेश्वर वज्र कवच स्तोत्रम्
सनातन धर्म में श्री वेङ्कटेश्वर भगवान को विशेष स्थान प्राप्त है। उन्हें तिरुपति बालाजी के रूप में पूजा जाता है। उनके भक्तों की अपार श्रद्धा और विश्वास के कारण उनकी आराधना अनेक स्तोत्रों और मंत्रों द्वारा की जाती है। इन्हीं में से एक अत्यंत प्रभावशाली और शक्तिशाली स्तोत्र है— श्री वेङ्कटेश्वर वज्र कवच स्तोत्रम्।
यह स्तोत्र भगवान वेंकटेश्वर के भक्तों को विपत्तियों से बचाने, सफलता प्राप्त करने और आध्यात्मिक उन्नति में सहायता प्रदान करता है। यह एक रक्षा कवच के रूप में कार्य करता है, जिससे व्यक्ति जीवन की कठिनाइयों से सुरक्षित रहता है।
श्री वेङ्कटेश्वर भगवान कौन हैं?
श्री वेङ्कटेश्वर भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं, जो तिरुपति पर्वत पर विराजमान हैं। उन्हें श्रीनिवास, बालाजी, गोविंदा आदि नामों से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि वे कलियुग के साक्षात देवता हैं और भक्तों की मनोकामनाएँ शीघ्र पूर्ण करते हैं।
Sri Venkateswara Vajra Kavacha Stotram
मार्कण्डेय उवाच ।
नारायणं परब्रह्म सर्व-कारण-कारणम् ।
प्रपद्ये वेङ्कटेशाख्यं तदेव कवचं मम ॥ 1 ॥
सहस्र-शीर्षा पुरुषो वेङ्कटेश-श्शिरोऽवतु ।
प्राणेशः प्राण-निलयः प्राणान् रक्षतु मे हरिः ॥ 2 ॥
आकाशरा-ट्सुतानाथ आत्मानं मे सदावतु ।
देवदेवोत्तमो पायाद्देहं मे वेङ्कटेश्वरः ॥ 3 ॥
सर्वत्र सर्वकालेषु मङ्गाम्बाजा-निरीश्वरः ।
पालयेन्मां सदा कर्म-साफल्यं नः प्रयच्छतु ॥ 4 ॥
य एत-द्वज्रकवच-मभेद्यं वेङ्कटेशितुः ।
सायं प्रातः पठेन्नित्यं मृत्युं तरति निर्भयः ॥ 5 ॥
इति मार्कण्डेय-कृतं श्री वेङ्कटेश्वर वज्रकवच-स्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥