25.8 C
Gujarat
शनिवार, फ़रवरी 22, 2025

श्री वेङ्कटेश्वर अष्टोत्तरशत नामस्तोत्रम्

Post Date:

Sri Venkateswara Ashtottara Satanama Stotram

श्री वेङ्कटेश्वर अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्(Sri Venkateswara Ashtottara Satanama Stotram) भगवान विष्णु के श्री वेङ्कटेश्वर (बालाजी) स्वरूप के 108 नामों का एक दिव्य स्तोत्र है। यह स्तोत्र श्री तिरुपति बालाजी की महिमा का वर्णन करता है और उनके विविध रूपों, शक्तियों तथा कृपा का गुणगान करता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से श्रद्धालुओं को भगवान श्री वेङ्कटेश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है, सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और भक्त की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

श्री वेङ्कटेश्वर अष्टोत्तरशत नामस्तोत्रम् का महत्त्व

श्री वेङ्कटेश्वर अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम् में भगवान श्रीनिवास (वेङ्कटेश्वर) के 108 नामों का उल्लेख किया गया है, जो उनके विभिन्न गुणों, स्वरूपों और विशेषताओं को दर्शाते हैं। यह स्तोत्र भक्तों को आध्यात्मिक लाभ देने के साथ-साथ भौतिक सुख-समृद्धि भी प्रदान करता है।

इस स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करने से—
✔ भगवान वेङ्कटेश्वर की कृपा प्राप्त होती है।
✔ जीवन की सभी परेशानियाँ दूर होती हैं।
✔ मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
✔ धन, सुख, शांति और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
✔ आध्यात्मिक उन्नति होती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।

श्री वेङ्कटेश्वर अष्टोत्तरशत नामस्तोत्रम् का पाठ करने की विधि

  1. प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. श्री वेङ्कटेश्वर की मूर्ति या चित्र के समक्ष घी का दीप जलाएँ।
  3. तिलक धारण करके ध्यान पूर्वक स्तोत्र का पाठ करें।
  4. पाठ के बाद भगवान वेङ्कटेश्वर को तुलसी पत्र, पुष्प और नैवेद्य अर्पित करें।
  5. अंत में भगवान से अपने जीवन के कल्याण और शांति की प्रार्थना करें।

Sri Venkateswara Ashtottara Satanama Stotram

ॐ श्रीवेङ्कटेशः श्रीवासो लक्ष्मी पतिरनामयः ।
अमृतांशो जगद्वन्द्यो गोविन्द श्शाश्वतः प्रभुः ॥ 1 ॥

शेषाद्रिनिलयो देवः केशवो मधुसूदनः
अमृतो माधवः कृष्णः श्रीहरिर् ज्ञानपञ्जरः ॥ 2 ॥

श्रीवत्सवक्षाः सर्वेशो गोपालः पुरुषोत्तमः ।
गोपीश्वरः परञ्ज्योति-र्वैकुण्ठपति-रव्ययः ॥ 3 ॥

सुधातनु-र्यादवेन्द्रो नित्ययौवनरूपवान्‌ ।
चतुर्वेदात्मको विष्णु-रच्युतः पद्मिनीप्रियः ॥ 4 ॥

धरापति-स्सुरपति-र्निर्मलो देव पूजितः ।
चतुर्भुज-श्चक्रधर-स्त्रिधामा त्रिगुणाश्रयः ॥ 5 ॥

निर्विकल्पो निष्कलङ्को निरान्तको निरञ्जनः ।
निराभासो नित्यतृप्तो निर्गुणो निरुपद्रवः ॥ 6 ॥

गदाधर-श्शार्ङ्गपाणि-र्नन्दकी शङ्खधारकः ।
अनेकमूर्ति-रव्यक्तः कटिहस्तो वरप्रदः ॥ 7 ॥

अनेकात्मा दीनबन्धु-रार्तलोकाभयप्रदः ।
आकाशराजवरदो योगिहृत्पद्ममन्दिरः ॥ 8 ॥

दामोदरो जगत्पालः पापघ्नो भक्तवत्सलः ।
त्रिविक्रम-श्शिंशुमारो जटामकुटशोभितः ॥ 9 ॥

शङ्खमध्योल्लसन्मञ्जु किङ्किणाढ्यकरण्ढकः ।
नीलमेघश्यामतनु-र्बिल्वपत्रार्चनप्रियः ॥ 10 ॥

जगद्व्यापी जगत्कर्ता जगत्साक्षी जगत्पतिः ।
चिन्तितार्थप्रदो जिष्णु-र्दाशार्हो दशरूपवान्‌ ॥ 11 ॥

देवकीनन्दन-श्शौरि-र्हयग्रीवो जनार्दनः ।
कन्याश्रवणतारेज्यः पीताम्बरधरोऽनघः ॥ 12 ॥

वनमाली पद्मनाभो मृगयासक्त मानसः ।
अश्वारूढः खड्गधारी धनार्जन समुत्सुकः ॥ 13 ॥

घनसारलसन्मध्य कस्तूरी तिलकोज्ज्वलः ।
सच्चिदानन्दरूपश्च जगन्मङ्गलदायकः ॥ 14 ॥

यज्ञरूपो यज्ञभोक्ता चिन्मयः परमेश्वरः ।
परमार्थप्रदः शान्तः श्रीमान्‌ दोर्दण्डविक्रमः ॥ 15 ॥

परात्परः परम्ब्रह्म श्रीविभु-र्जगदीश्वरः ।
एवं श्रीवेङ्कटेशस्य नाम्ना-मष्टोत्तरं शतम् ॥

पठतां शृण्वतां भक्त्या सर्वाभीष्टप्रदं शुभम् ।
त्रिसन्ध्यं यः पघेन्निष्यं सर्वान्‌ कामिवाप्नु यात्‌ ॥

॥ श्री वेङ्कटेश्वरार्पणमस्तु ॥

॥ श्री वेङ्कटेश्वर अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥

श्री वेङ्कटेश्वर अष्टोत्तरशत नामस्तोत्रम् के विशेष लाभ

✔ यह स्तोत्र भगवान विष्णु के भक्ति मार्ग में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
✔ यह समस्त पापों का नाश करता है और पुण्य की वृद्धि करता है।
✔ धन, सुख और शांति की प्राप्ति होती है।
✔ भगवान वेङ्कटेश्वर की कृपा से जन्म-जन्मांतर के कष्ट दूर होते हैं।

जो भी श्रद्धालु नियमित रूप से इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसे श्री वेङ्कटेश्वर की असीम कृपा प्राप्त होती है और वह मोक्ष प्राप्ति की ओर अग्रसर होता है।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

Lakshmi Shataka Stotram

Lakshmi Shataka Stotramआनन्दं दिशतु श्रीहस्तिगिरौ स्वस्तिदा सदा मह्यम् ।या...

आज सोमवार है ये शिव का दरबार है

आज सोमवार है ये शिव का दरबार है -...

वाराही कवचम्

Varahi Kavachamवाराही देवी(Varahi kavacham) दस महाविद्याओं में से एक...

श्री हनुमत्कवचम्

Sri Hanumatkavachamश्री हनुमत्कवचम्(Sri Hanumatkavacham) एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है...