18.5 C
Gujarat
रविवार, दिसम्बर 21, 2025

श्री राणी सती चालीसा Sri Rani Sati Chalisa

Post Date:

श्री राणी सती चालीसा Sri Rani Sati Chalisa Lyrics

॥ दोहा ॥

श्री गुरु पद पंकज नमन, दूषित भाव सुधार।
राणी सती सुविमल यश, बरणौं मति अनुसार ।
कामक्रोध मद लोभ में, भरम रह्यो संसार।
शरण गहि करुणामयी, सुख सम्पत्ति संचार।

॥ चौपाई ॥

नमो नमो श्री सती भवान, जग विख्यात सभी मन मानी।
नमो नमो संकटकूँ हरनी, मन वांछित पूरण सब करनी।

नमो नमो जय जय जगदम्बा, भक्तन काज न होय विलम्बा।
नमो नमो जय-जय जग तारिणी, सेवक जन के काज सुधारिणी।

दिव्य रूप सिर चूँदर सोहे, जगमगात कुण्डल मन मोहे।
माँग सिन्दूर सुकाजर टीकी, गल बैजन्ती माल बिराजे।

धन्य भाग्य गुरसामलजी को, तनधन दास पतिवर पाये।
गज मुक्ता नथ सुन्दरर नीकी, सोलहुँ साज बदन पे साजे।

महम डोकवा जन्म सती को, आनन्द मंगल होत सवाये।
जालीराम पुत्र वधू होके, वंश पवित्र किया कुल दोके।

पति देव रण माँय झुझारे, सती रूप हो शत्रु संहारे।
पति संग ले सद् गति पाई, धन्य धन्य उस राणा जी को।

विक्रम तेरा सौ बावनकूँ, नगर झुंझुनू प्रगटी माता।
सुर मन हर्ष सुमन बरसाई, सुफल हुवा कर दरस सती को।

मंगसिर बदी नौमी मंगलकूँ, जग विख्यात सुमंगल दाता।
दूर देश के यात्री आवे, धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।

उछाड़ उछाड़ते हैं आनन्द से, पूजा तन मन धन श्री फल से।
जात जडूला रात जगावे, बाँसल गोती सभी मनावे।

पूजन पाठ पठन द्विज करते, वेद ध्वनि मुा से उच्चरते ।
नाना भाँति-भाँति पकवाना, विप्रजनों को न्यूत जिमाना ।

श्रद्धा भक्ति सहित हरषाते, सेवक मन वांछित फल पाते।
जय जय कार करे नर नारी, श्री राणी सती की बलिहारी।

द्वार कोट नित नौबत बाजे, होत श्रृंगार साज अति साजे।
रत्न सिंहासन झलके नीको, पल-पल छिन छिन ध्यान सती को।

भाद्र कृष्ण मावस दिन लीला, भरता मेला रंग रंगीला।
भक्त सुजन की सकड़ भीड़ है, दर्शन के हित नहीं छीड़ है।

अटल भुवन में ज्योति तिहारी, तेज पुंज जग माँय उजियारी।
आदि शक्ति में मिली ज्योति है, देश देश में भव भौति है।

नाना विधि सो पूजा करते, निश दिन ध्यान तिहारा धरते।
कष्ट निवारिणी, दुःख नाशिनी, करुणामयी झुंझुनू वासिनी।

प्रथम सती नारायणी नामां, द्वादश और हुई इसि धामा।
तिहुँ लोक में कीर्ति छाई, श्री राणी सती की फिरी दुहाई।

सुबह शाम आरती उतारे, नौबत घण्टा ध्वनि टँकारे।
राग छत्तिसों बाजा बाजे, तेरहुँ मण्ड सुन्दर अति साजे।

त्राहि त्राहि मैं शरण आपकी, पूरो मन की आश दास की।
मुझको एक भरोसो तेरो, आन सुधारो कारज मेरो।

पूजा जप तप नेम न जानूँ, निर्मल महिमा नित्य बखानूँ।
भक्तन की आपत्ति हर लेनी, पुत्र पौत्र वर सम्पत्ति देनी।

पढ़े यह चालीसा जो शतबारा, होय सिद्ध मन माँहि बिचारा।
‘गोपीराम’ (मैं) शरण ली थारी, क्षमा करो सब चूक हमारी।

॥ दोहा ॥

दुख आपद विपदा हरण, जग जीवन आधार।
बिगड़ी बात सुधारिये, सब अपराध बिसार।


Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

गोकुल अष्टकं

गोकुल अष्टकं - Shri Gokul Ashtakamश्रीमद्गोकुलसर्वस्वं श्रीमद्गोकुलमंडनम् ।श्रीमद्गोकुलदृक्तारा श्रीमद्गोकुलजीवनम्...

अष्टादश शक्तिपीठ स्तोत्रम्

अष्टादश शक्तिपीठ स्तोत्रम्अष्टादश शक्तिपीठ स्तोत्रम् एक अत्यंत पवित्र...

लक्ष्मी शरणागति स्तोत्रम्

लक्ष्मी शरणागति स्तोत्रम्लक्ष्मी शरणागति स्तोत्रम् (Lakshmi Sharanagati Stotram) एक...

विष्णु पादादि केशांत वर्णन स्तोत्रं

विष्णु पादादि केशांत वर्णन स्तोत्रंलक्ष्मीभर्तुर्भुजाग्रे कृतवसति सितं यस्य रूपं...
error: Content is protected !!