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मंगलवार, अप्रैल 1, 2025

Shodasha Bahu Narasimha Ashtakam In Hindi and Sanskrit

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Shodasha Bahu Narasimha Ashtakam (श्री षोडश बाहु नृसिंह अष्टकम)

श्री षोडश बाहु नृसिंह अष्टकम(Shodasha Bahu Narasimha Ashtakam) भगवान श्री नृसिंहदेव की स्तुति में लिखा गया एक प्रसिद्ध और अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है। यह स्तोत्र उन भक्तों द्वारा अत्यधिक पूजनीय है, जो भगवान नृसिंहदेव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं। भगवान नृसिंहदेव भगवान विष्णु के एक उग्र रूप हैं, जो अधर्म का नाश करने और धर्म की स्थापना के लिए प्रकट हुए थे।

षोडश बाहु नृसिंह का महत्व

भगवान नृसिंह का यह रूप उनके 16 बाहुओं के साथ दर्शाया जाता है। प्रत्येक भुजा में उन्होंने शस्त्र धारण किया है, जो दुष्टों का संहार करने और भक्तों की रक्षा करने का प्रतीक है। उनके इस स्वरूप में शक्ति, साहस और दया का अद्भुत संगम है।

श्री षोडश बाहु नृसिंह अष्टकम के लाभ

  1. भय और संकट से मुक्ति: यह स्तोत्र पाठ करने से व्यक्ति अपने जीवन में आने वाले भय और संकट से मुक्त हो सकता है।
  2. दुष्ट शक्तियों से रक्षा: भगवान नृसिंह का यह स्तोत्र दुष्ट शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव करता है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: इसका नियमित पाठ व्यक्ति को भगवान के करीब ले जाता है और उसे आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाता है।
  4. आत्मविश्वास और साहस: इस अष्टकम का पाठ व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास और साहस का संचार करता है।

श्री षोडश बाहु नृसिंह अष्टकम पाठ करने की विधि

  1. पाठ आरंभ करने से पहले स्वच्छता का ध्यान रखें और शांत मन से बैठें।
  2. दीप प्रज्वलित कर भगवान नृसिंह की प्रतिमा के सामने बैठें।
  3. पूर्ण श्रद्धा और ध्यान के साथ अष्टकम का पाठ करें।
  4. पाठ समाप्त होने के बाद भगवान नृसिंह से अपनी रक्षा और कृपा की प्रार्थना करें।

Shodasha Bahu Narasimha Ashtakam In Hindi

भूखण्डं वारणाण्डं परवरविरटं डंपडंपोरुडंपं
डिं डिं डिं डिं डिडिम्बं दहमपि दहमैर्झम्पझम्पैश्चझम्पैः।
तुल्यास्तुल्यास्तुतुल्या धुमधुमधुमकैः कुङ्कुमाङ्कैः कुमाङ्कै-
रेतत्ते पूर्णयुक्तमहरहकरहः पातु मां नारसिंहः।
भूभृद्भूभृद्भुजङ्गं प्रलयरववरं प्रज्वज्ज्वालमालं
खर्जर्जं खर्जदुर्जं खिखचखचखचित्स्वर्जदुर्जर्जयन्तम्।
भूभागं भोगभागं गगगगगगनं गर्दमत्युग्रगण्डं
स्वच्छं पुच्छं स्वगच्छं स्वजनजननुतः पातु मां नारसिंहः।
येनाभ्रं गर्जमानं लघुलघुमकरो बालचन्द्रार्कदंष्ट्रो
हेमाम्भोजं सरोजं जटजटजटिलो जाड्यमानस्तुभीतिः।
दन्तानां बाधमानां खगटखगटवो भोजजानुः सुरेन्द्रो
निष्प्रत्यूहं स राजा गहगहगहतः पातु मां नारसिंहः।
शङ्खं चक्रं च चापं परशुमशमिषुं शूलपाशाङ्कुशास्त्रं
बिभ्रन्तं वज्रखेटं हलमुसलगदाकुन्तमत्युग्रदंष्ट्रम्।
ज्वालाकेशं त्रिनेत्रं ज्वलदनलनिभं हारकेयूरभूषं
वन्दे प्रत्येकरूपं परपदनिवसः पातु मां नारसिंहः।
पादद्वन्द्वं धरित्रीकटिविपुलतरो मेरुमध्यूढ्वमूरुं
नाभिं ब्रह्माण्डसिन्धुर्हृदयमपि भवो भूतविद्वत्समेतः।
दुश्चक्राङ्कं स्वबाहुं कुलिशनखमुखं चन्द्रसूर्याग्निनेत्रं
वक्त्रं वह्निः सुविद्युत्सुरगणविजयः पातु मां नारसिंहः।
नासाग्रं पीनगण्डं परबलमथनं बद्धकेयूरहारं
रौद्रं दंष्ट्राकरालममितगुणगणं कोटिसूर्याग्निनेत्रम्।
गाम्भीर्यं पिङ्गलाक्षं भ्रुकुटितविमुखं षोडशाधार्धबाहुं
वन्दे भीमाट्टहासं त्रिभुवनविजयः पातु मां नारसिंहः।
के के नृसिंहाष्टके नरवरसदृशं देवभीत्वं गृहीत्वा
देवन्द्यो विप्रदण्डं प्रतिवचनपयायाम्यनप्रत्यनैषीः।
शापं चापं च खड्गं प्रहसितवदनं चक्रचक्रीचकेन
ओमित्येदैत्यनादं प्रकचविविदुषा पातु मां नारसिंहः।
झं झं झं झं झकारं झषझषझषितं जानुदेशं झकारं
हुं हुं हुं हुं हकारं हरितकहहसा यं दिशे वं वकारम्।
वं वं वं वं वकारं वदनदलिततं वामपक्षं सुपक्षं
लं लं लं लं लकारं लघुवणविजयः पातु मां नारसिंहः।
भीतप्रेतपिशाचयक्षगणशो देशान्तरोच्चाटना
चोरव्याधिमहज्ज्वरं भयहरं शत्रुक्षयं निश्चयम्।
सन्ध्याकाले जपतमष्टकमिदं सद्भक्तिपूर्वादिभिः
प्रह्लादेव वरो वरस्तु जयिता सत्पूजितां भूतये।

FAQs for Shodasha Bahu Narasimha Ashtakam

  1. श्री षोडश बाहु नृसिंह अष्टकम क्या है?

    श्री षोडश बाहु नृसिंह अष्टकम एक भक्तिपूर्ण स्तोत्र है, जो भगवान नृसिंह को समर्पित है। इसमें भगवान नृसिंह के 16 भुजाओं वाले स्वरूप का वर्णन और उनकी महिमा गाई गई है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान की शक्ति, करुणा और रक्षा क्षमता का अनुभव कराने के लिए रचा गया है।

  2. श्री षोडश बाहु नृसिंह अष्टकम का पाठ कब और क्यों करना चाहिए?

    इस अष्टकम का पाठ प्रातःकाल या संध्या के समय करना उत्तम माना जाता है। इसे विशेष रूप से तब पढ़ा जाता है जब कोई व्यक्ति नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति चाहता है, भय से ग्रसित हो, या मानसिक शांति की आवश्यकता हो। यह भगवान नृसिंह की कृपा पाने और जीवन में सुरक्षा और शांति का अनुभव करने के लिए पढ़ा जाता है।

  3. भगवान नृसिंह के 16 भुजाओं का क्या महत्व है?

    भगवान नृसिंह के 16 भुजाएं उनकी सर्वशक्तिमानता और सभी प्रकार की शक्तियों के प्रतीक हैं। ये भुजाएं विभिन्न आयुधों (जैसे चक्र, गदा, खड्ग आदि) को धारण करती हैं, जो यह दर्शाती हैं कि भगवान हर प्रकार की समस्या का समाधान कर सकते हैं और अपने भक्तों की हर प्रकार से रक्षा करने में सक्षम हैं।

  4. श्री षोडश बाहु नृसिंह अष्टकम पढ़ने के लाभ क्या हैं

    इस अष्टकम का नियमित पाठ भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्रदान कर सकता है:
    नकारात्मक ऊर्जा और भय से मुक्ति।,
    आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि।,शत्रुओं से रक्षा।,
    मानसिक शांति और स्थिरता।,
    भगवान नृसिंह की कृपा और भक्ति में वृद्धि।

  5. क्या श्री षोडश बाहु नृसिंह अष्टकम का पाठ किसी विशेष दिन पर अधिक प्रभावी होता है?

    हाँ, श्री षोडश बाहु नृसिंह अष्टकम का पाठ नरसिंह जयंती, पूर्णिमा या मंगलवार के दिन विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है। इन दिनों भगवान नृसिंह की पूजा-अर्चना करने से उनकी कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

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