श्री शिवरामाष्टक स्तोत्रम् (श्रीरामानन्दस्वामि विरचितम्) भगवान शिव की स्तुति के लिए रचित एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली स्तोत्र है। इसका रचयिता महान संत और विद्वान श्रीरामानन्दस्वामी माने जाते हैं, जो भक्ति आंदोलन के प्रमुख संतों में से एक थे। वे भगवान राम और भगवान शिव के प्रति गहरी आस्था और भक्ति रखते थे, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने यह स्तोत्र रचा।
यह स्तोत्र भगवान शिव और राम दोनों के अद्वितीय और अभिन्न संबंध को प्रकट करता है, क्योंकि भक्तिपरक दृष्टिकोण से राम और शिव एक ही परमात्मा के विभिन्न रूप माने जाते हैं। इस स्तोत्र में शिव और राम दोनों की महिमा का वर्णन है, जिसमें दोनों की शक्ति, अनुग्रह और कृपा का स्मरण किया जाता है।
श्री शिवरामाष्टक स्तोत्रम् की रचना और उद्देश्य:
श्री शिवरामाष्टक स्तोत्रम् में कुल आठ श्लोक होते हैं, जो भगवान शिव और श्रीराम दोनों की महिमा का गुणगान करते हैं। श्रीरामानन्दस्वामी ने इसे साधकों और भक्तों के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में प्रस्तुत किया है, जिससे वे भगवान शिव और राम के प्रति अपने भक्ति भाव को प्रकट कर सकें।
यह स्तोत्र शिव और राम की कृपा पाने का एक सरल और सशक्त माध्यम माना जाता है। इसमें भगवान शिव की विशेषताओं, उनकी शक्ति और महिमा का वर्णन किया गया है, साथ ही भगवान राम के प्रति उनकी अनन्य भक्ति का भी उल्लेख है। इस स्तोत्र के माध्यम से भगवान शिव से प्रार्थना की जाती है कि वे भक्तों को उनके जीवन में शक्ति, साहस, ज्ञान और सद्गुण प्रदान करें।
श्री शिवरामाष्टक स्तोत्रम् के श्लोकों का भावार्थ:
इस स्तोत्र के प्रत्येक श्लोक में भगवान शिव और राम की अद्वितीयता का बखान किया गया है। श्लोकों में भगवान शिव की शांत, समर्पित, और विश्व कल्याण की भावना को महिमामंडित किया गया है। साथ ही, भगवान राम को धर्म और न्याय के पालनकर्ता के रूप में स्थापित किया गया है।
प्रत्येक श्लोक में भगवान शिव के विभिन्न रूपों और लीलाओं का गुणगान किया गया है, जिनसे यह प्रतीत होता है कि वे सर्वशक्तिमान हैं, और राम के प्रति उनकी भक्ति अपार है। इस स्तोत्र में यह भी कहा गया है कि भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
श्री शिवरामाष्टक स्तोत्रम्के पाठ का महत्व:
- आध्यात्मिक लाभ: श्री शिवरामाष्टक स्तोत्रम् का नियमित पाठ करने से भक्त को मानसिक शांति और आत्मिक बल मिलता है। यह मन की अशांति को दूर करके शांति और संतुलन प्रदान करता है।
- भौतिक लाभ: इस स्तोत्र के माध्यम से भगवान शिव और राम की कृपा प्राप्त करके व्यक्ति अपने जीवन में सुख, समृद्धि और उन्नति प्राप्त कर सकता है।
- धार्मिक लाभ: इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव और राम के प्रति भक्ति और प्रेम प्रगाढ़ होता है, जो व्यक्ति को धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ने में सहायता करता है।
श्रीरामानन्दस्वामी और उनके योगदान:
श्रीरामानन्दस्वामी ने भक्ति आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके द्वारा रचित श्री शिवरामाष्टक स्तोत्रम् उनके भक्ति मार्ग की एक विशेष अभिव्यक्ति है, जिसमें शिव और राम के प्रति उनकी अद्वितीय श्रद्धा और प्रेम दिखाई देता है। उनके अन्य ग्रंथों की तरह, यह स्तोत्र भी भगवान की महिमा और भक्ति का अद्भुत उदाहरण है।
श्री शिवरामाष्टक स्तोत्रम् (श्रीरामानन्दस्वामि विरचितम्) Shiv Ramashtakam Stotram
शिव हरे शिव राम सखे प्रभो
त्रिविधतापनिवारण हे प्रभो ।
अज जनेश्वर यादव पाहि मां
शिव हरे विजयं कुरु मे वरम् ॥१॥
कमललोचन राम दयानिधे
हर गुरो गजरक्षक गोपते ।
शिवतनो भव शङ्कर पाहि मां
शिव हरे विजयं कुरु मे वरम् ॥२॥
सुजनरञ्जन मङ्गलमन्दिरं
भजति ते पुरुषः परमं पदम् ।
भवति तस्य सुखं परमद्भुतं
शिव हरे विजयं कुरु मे वरम् ॥३॥
जय युधिष्ठिरवल्लभ भूपते
जय जयार्जितपुण्यपयोनिधे ।
जय कृपामय कृष्ण नमोऽस्तु ते
शिव हरे विजयं कुरु मे वरम् ॥४॥
भवविमोचन माधव मापते
सुकविमानसहंस शिवारते ।
जनकजारत राघव रक्ष मां
शिव हरे विजयं कुरु मे वरम् ॥५॥
अवनिमण्डलमङ्गल मापते
जलदसुन्दर राम रमापते ।
निगमकीर्तिगुणार्णव गोपते
शिव हरे विजयं कुरु मे वरम् ॥६॥
पतितपावन नाममयी लता
तव यशो विमलं परिगीयते ।
तदपि माधव मां किमुपेक्षसे
शिव हरे विजयं कुरु मे वरम् ॥७॥
अमरतापरदेव रमापते
विजयतस्तव नामधनोपमा ।
मयि कथं करुणार्णव जायते
शिव हरे विजयं कुरु मे वरम् ॥८॥
हनुमतः प्रिय चापकर प्रभो
सुरसरिद्धृतशेखर हे गुरो ।
ममविभो किमु विस्मरणं कृतं
शिव हरे विजयं कुरु मे वरम् ॥९॥
अहरहर्जनरञ्जनसुन्दरं
पठति यः शिवरामकृतं स्तवम् ।
विशति रामरमाचरणाम्बुजे
शिव हरे विजयं कुरु मे वरम् ॥१०॥
प्रातरुत्थाय यो भक्त्या पठेदेकाग्रमानसः ।
विजयो जायते तस्य विष्णुमाराध्यमाप्नुयात् ॥११॥