Shasta Pancha Ratna Stotram
शास्ता पञ्च रत्ना स्तोत्र एक अत्यंत प्रभावशाली और दिव्य स्तोत्र है जो भगवान शास्ता (भगवान अय्यप्पा) को समर्पित है। यह स्तोत्र संस्कृत में रचित है और इसमें कुल पाँच श्लोक (रत्न) हैं, इसलिए इसे पंचरत्न (पाँच रत्नों) वाला स्तोत्र कहा जाता है। यह स्तोत्र भगवान शास्ता की महिमा, उनके स्वरूप, शक्ति और कृपा का वर्णन करता है।
भगवान शास्ता को दक्षिण भारत में विशेष रूप से पूजा जाता है। उन्हें हरिहरपुत्र कहा जाता है क्योंकि वे भगवान विष्णु (मोहिनी रूप) और भगवान शिव के पुत्र माने जाते हैं। अय्यप्पा स्वामी के रूप में इनकी पूजा विशेष रूप से केरल के सबरीमाला मंदिर में होती है। इस स्तोत्र की रचना आदिशंकराचार्य या किसी अन्य विद्वान संत द्वारा मानी जाती है, जो भक्तिभाव से प्रेरित होकर भगवान शास्ता की स्तुति में किया गया था। यह स्तोत्र केवल पाँच श्लोकों में भगवान शास्ता के गुण, स्वरूप, शांति, और भक्तों पर कृपा का अत्यंत सुंदर वर्णन करता है।

Shasta Pancha Ratna Stotram
लोकवीरं महापूज्यं सर्वरक्षाकरं विभुम्।
पार्वतीहृदयानन्दं शास्तारं प्रणमाम्यहम्।
विप्रपूज्यं विश्ववन्द्यं विष्णुशम्भ्वोः प्रियं सुतम्।
क्षिप्रप्रसादनिरतं शास्तारं प्रणमाम्यहम्।
मत्तमातङ्गगमनं कारुण्यामृतपूरितम्।
सर्वविघ्नहरं देवं शास्तारं प्रणमाम्यहम्।
अस्मत्कुलेश्वरं देवमस्मच्छत्रुविनाशनम्।
अस्मदिष्टप्रदातारं शास्तारं प्रणमाम्यहम्।
पाण्ड्येशवंशतिलकं केरले केलिविग्रहम्।
आर्त्तत्राणपरं देवं शास्तारं प्रणमाम्यहम्।
पञ्चरत्नाख्यमेतद्यो नित्यं शुद्धः पठेन्नरः।
तस्य प्रसन्नो भगवान् शास्ता वसति मानसे।
lokaveeram mahaapoojyam sarvarakshaakaram vibhum.
paarvateehri’dayaanandam shaastaaram pranamaamyaham.
viprapoojyam vishvavandyam vishnushambhvoh’ priyam sutam.
kshipraprasaadaniratam shaastaaram pranamaamyaham.
mattamaatangagamanam kaarunyaamri’tapooritam.
sarvavighnaharam devam shaastaaram pranamaamyaham.
asmatkuleshvaram devamasmachchhatruvinaashanam.
asmadisht’apradaataaram shaastaaram pranamaamyaham.
paand’yeshavamshatilakam kerale kelivigraham.
aarttatraanaparam devam shaastaaram pranamaamyaham.
pancharatnaakhyametadyo nityam shuddhah’ pat’hennarah’.
tasya prasanno bhagavaan shaastaa vasati maanase.
शास्ता पञ्च रत्ना स्तोत्र का महत्व
- शांति और साहस: यह स्तोत्र भगवान शास्ता की शक्ति, धैर्य और वीरता की स्तुति करता है। इसका नित्य पाठ मन को शांति और साहस प्रदान करता है।
- रक्षा कवच के रूप में: श्लोकों में भगवान को कवचधारी, खड्गधारी, शत्रुनाशक रूप में वर्णित किया गया है, जिससे यह स्तोत्र एक रक्षा कवच की तरह कार्य करता है।
- भक्ति और श्रद्धा का विकास: इस स्तोत्र का पाठ भक्त को भगवान शास्ता के प्रति समर्पण और श्रद्धा से भर देता है।
- सभी संकटों से रक्षा: रोग, भय, मानसिक अशांति, शत्रु बाधा जैसे संकटों में यह स्तोत्र अत्यंत प्रभावशाली माना गया है।
पाठ की विधि
- प्रातःकाल या सायंकाल स्नान आदि करके शुद्ध होकर शांत मन से इस स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
- दीप प्रज्वलित करें और भगवान अय्यप्पा की मूर्ति या चित्र के समक्ष इस स्तोत्र का पाठ करें।
- मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से इसका पाठ शुभ माना जाता है।