शास्ता भुजंग स्तोत्रम्
शास्ता भुजंग स्तोत्रम् (Shasta Bhujanga Stotram) एक भक्तिपूर्ण स्तोत्र है जो भगवान धर्मशास्ता, अर्थात् अय्यप्प स्वामी को समर्पित है। यह स्तोत्र भुजंग प्रायात छंद में रचित है, जो नाग के समान लहराती हुई गति का प्रतीक है। यह स्तोत्र भगवान अय्यप्प के विभिन्न दिव्य गुणों, स्वरूपों और लीलाओं का वर्णन करता है। श्लोकों में उन्हें सच्चिदानंद, ज्ञानस्वरूप, करुणामय, योगीश्वर, और भक्तों के रक्षक के रूप में स्तुत किया गया है। यह स्तोत्र भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति, मानसिक शांति और जीवन में स्थिरता प्रदान करने में सहायक माना जाता है।

शास्ता भुजंग स्तोत्रम् (Shasta Bhujanga Stotram)
श्रितानन्दचिन्ता- मणिश्रीनिवासं
सदा सच्चिदानन्द- पूर्णप्रकाशम्।
उदारं सदारं सुराधारमीशं
परं ज्योतिरूपं भजे भूतनाथम्।
विभुं वेदवेदान्तवेद्यं वरिष्ठं
विभूतिप्रदं विश्रुतं ब्रह्मनिष्ठम्।
विभास्वत्प्रभावप्रभं पुष्कलेषुं
परं ज्योतिरूपं भजे भूतनाथम्।
परित्राणदक्षं परब्रह्मसूत्रं
स्फुरच्चारुगात्रं भवध्वान्तमित्रम्।
परं प्रेमपात्रं पवित्रं विचित्रं
परं ज्योतिरूपं भजे भूतनाथम्।
परेशं प्रभुं पूर्णकारुण्यरूपं
गिरीशाधि- पीठोज्ज्वलच्चारुदीपम्।
सुरेशादिसं- सेवितं सुप्रतापं
परं ज्योतिरूपं भजे भूतनाथम्।
गुरुं पूर्णलावण्य- पादादिकेशं
गरिष्ठं महाकोटि- सूर्यप्रकाशम् ।
कराम्भोरुह- न्यस्तवेत्रं सुरेशं
परं ज्योतिरूपं भजे भूतनाथम्।
हरीशानसंयुक्त- शक्त्येकवीरं
किरातावतारं कृपापाङ्गपूरम्।
किरीटावतंसो- ज्ज्वलत्पिञ्छभारं
परं ज्योतिरूपं भजे भूतनाथम्।
महायोगपीठे ज्वलन्तं महान्तं
महावाक्य- सारोपदेशं सुशान्तम् ।
महर्षिप्रहर्षप्रदं ज्ञानकन्दं
परं ज्योतिरूपं भजे भूतनाथम्।
महारण्य- मन्मानसान्तर्निवासा-
नहङ्कार दुर्वारहिंस्रान्मृगादीन्।
निहन्तुं किरातावतारं चरन्तं
परं ज्योतिरूपं भजे भूतनाथम्।
पृथिव्यादि भूतप्रपञ्चान्तरस्थं
पृथग्भूतचैतन्य- जन्यं प्रशस्तम्।
प्रधानं प्रमाणं पुराणं प्रसिद्धं
परं ज्योतिरूपं भजे भूतनाथम्।
जगज्जीवनं पावनं भावनीयं
जगद्व्यापकं दीपकं मोहनीयम्।
सुखाधारमाधारभूतं तुरीयं
परं ज्योतिरूपं भजे भूतनाथम्।
इहामुत्रसत्सौख्य- सम्पन्निधानं
महद्योनिमव्याहृता- त्माभिधानम्।
अहः पुण्डरीकाननं दीप्यमानं
परं ज्योतिरूपं भजे भूतनाथम्।
त्रिकालस्थितं सुस्थिरं ज्ञानसंस्थं
त्रिधामत्रिमूर्त्यात्मकं ब्रह्मसंस्थम्।
त्रयीमूर्तिमार्तिच्छिदं शक्तियुक्तं
परं ज्योतिरूपं भजे भूतनाथम्।
इडां पिङ्गळां सत्सुषुम्नां विशन्तं
स्फुटं ब्रह्मरन्ध्रस्वतन्त्रं सुशान्तम्।
दृढं नित्य निर्वाणमुद्भासयन्तं
परं ज्योतिरूपं भजे भूतनाथम्।
अनुब्रह्मपर्यन्त- जीवैक्यबिम्बं
गुणाकारमत्यन्त- भक्तानुकम्पम्।
अनर्घं शुभोदर्क- मात्मावलम्बं
परं ज्योतिरूपं भजे भूतनाथम्।
शास्ता भुजंग स्तोत्रम् पाठ और लाभ
इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से भक्तों को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और भगवान अय्यप्प की कृपा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन भक्तों के लिए उपयोगी है जो भगवान अय्यप्प के भक्त हैं और उनके मार्गदर्शन की कामना करते हैं।