22.3 C
Gujarat
रविवार, फ़रवरी 23, 2025

शनि वज्रपंजर कवचम्

Post Date:

Shani Vajrapanjar Kavach

शनि वज्रपंजर कवचम् एक अत्यंत प्रभावशाली और प्राचीन स्तोत्र है, जो भगवान शनि देव की कृपा प्राप्त करने तथा उनकी अशुभ दृष्टि के प्रभाव से बचने के लिए पाठ किया जाता है। यह कवच विशेष रूप से शनि की साढ़े साती, ढैय्या, महादशा या अंतरदशा में पीड़ा से बचने के लिए अत्यधिक उपयोगी माना जाता है।

शनि देव का महत्व

हिंदू ज्योतिष में शनि को कर्मफलदाता माना जाता है। वे व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार शुभ या अशुभ फल प्रदान करते हैं। यदि कोई व्यक्ति अच्छे कर्म करता है, तो शनि देव उसे उन्नति प्रदान करते हैं, जबकि बुरे कर्म करने पर वे कठोर दंड भी देते हैं। शनि की दृष्टि जिस राशि या ग्रह पर पड़ती है, उसका प्रभाव अत्यधिक शक्तिशाली होता है। इसलिए, शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा, स्तुति एवं शनि वज्रपंजर कवचम् का पाठ अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

शनि वज्रपंजर कवचम् का पाठ करने के लाभ

  1. शनि की साढ़े साती और ढैय्या के प्रभाव को कम करना – जिन लोगों पर शनि की साढ़े साती या ढैय्या चल रही होती है, उनके लिए यह कवच बहुत लाभकारी होता है।
  2. आर्थिक और पारिवारिक समस्याओं से मुक्ति – यह पाठ व्यक्ति को आर्थिक परेशानियों, व्यवसाय में बाधाओं और पारिवारिक क्लेशों से बचाने में सहायक होता है।
  3. नौकरी और व्यापार में सफलता – जो लोग रोजगार, व्यवसाय या करियर में परेशानियों का सामना कर रहे हैं, उन्हें इस कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए।
  4. नकारात्मक ऊर्जा और शत्रु बाधा से सुरक्षा – शनि वज्रपंजर कवच व्यक्ति को बुरी नजर, तंत्र-मंत्र और शत्रु बाधाओं से बचाने में सहायक होता है।
  5. स्वास्थ्य लाभ – शनि के अशुभ प्रभाव से उत्पन्न रोगों, विशेष रूप से हड्डी, जोड़ों के दर्द और अन्य शारीरिक कष्टों में यह पाठ अत्यंत प्रभावी माना जाता है।

शनि वज्रपंजर कवचम् पाठ की विधि

  • स्नान आदि के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  • शनिवार के दिन विशेष रूप से इस पाठ को करना शुभ होता है।
  • काले तिल, सरसों के तेल का दीपक जलाकर शनि देव की प्रतिमा के सामने बैठें।
  • शुद्ध मन और श्रद्धा भाव से इस कवच का पाठ करें।
  • पाठ के बाद शनि देव से कृपा की प्रार्थना करें और उन्हें काले तिल व तेल अर्पित करें।

शनि वज्रपंजर कवचम् के पाठ में सावधानियाँ

  1. शुद्धता का ध्यान रखें – पाठ करने से पहले शरीर और स्थान की शुद्धता आवश्यक है।
  2. शनिवार का दिन सर्वोत्तम माना जाता है – हालांकि इसे प्रतिदिन भी पढ़ा जा सकता है, लेकिन शनिवार को इसका विशेष फल मिलता है।
  3. शनि देव को प्रिय वस्तुओं का दान करें – जैसे काले तिल, काली उड़द, लोहा, तेल आदि।
  4. नैतिक आचरण बनाए रखें – शनि देव न्यायप्रिय हैं, इसलिए सदाचारी जीवन जीने वालों को ही उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  5. पाठ के बाद शनि मंत्र का जाप करें – जैसे “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का 108 बार जाप करना शुभ होता है।

Shani Vajrapanjar Kavach

नीलांबरो नीलवपुः किरीटी
गृध्रस्थितास्त्रकरो धनुष्मान् ।
चतुर्भुजः सूर्यसुतः प्रसन्नः
सदा ममस्याद्वरदः प्रशांतः ॥

ब्रह्मा उवाच ।

शृणुध्वं ऋषयः सर्वे शनि पीडाहरं महत् ।
कवचं शनिराजस्य सौरैरिदमनुत्तमम् ॥

कवचं देवतावासं वज्र पंजर संंगकम् ।
शनैश्चर प्रीतिकरं सर्वसौभाग्यदायकम् ॥

अथ श्री शनि वज्र पंजर कवचम् ।

ॐ श्री शनैश्चरः पातु भालं मे सूर्यनंदनः ।
नेत्रे छायात्मजः पातु पातु कर्णौ यमानुजः ॥ 1 ॥

नासां वैवस्वतः पातु मुखं मे भास्करः सदा ।
स्निग्धकंठश्च मे कंठं भुजौ पातु महाभुजः ॥ 2 ॥

स्कंधौ पातु शनिश्चैव करौ पातु शुभप्रदः ।
वक्षः पातु यमभ्राता कुक्षिं पात्वसितस्तथा ॥ 3 ॥

नाभिं ग्रहपतिः पातु मंदः पातु कटिं तथा ।
ऊरू ममांतकः पातु यमो जानुयुगं तथा ॥ 4 ॥

पादौ मंदगतिः पातु सर्वांगं पातु पिप्पलः ।
अंगोपांगानि सर्वाणि रक्षेन् मे सूर्यनंदनः ॥ 5 ॥

फलश्रुतिः

इत्येतत्कवचं दिव्यं पठेत्सूर्यसुतस्य यः ।
न तस्य जायते पीडा प्रीतो भवति सूर्यजः ॥

व्ययजन्मद्वितीयस्थो मृत्युस्थानगतोपिवा ।
कलत्रस्थो गतोवापि सुप्रीतस्तु सदा शनिः ॥

अष्टमस्थो सूर्यसुते व्यये जन्मद्वितीयगे ।
कवचं पठते नित्यं न पीडा जायते क्वचित् ॥

इत्येतत्कवचं दिव्यं सौरेर्यन्निर्मितं पुरा ।
द्वादशाष्टमजन्मस्थदोषान्नाशयते सदा ।
जन्मलग्नस्थितान् दोषान् सर्वान्नाशयते प्रभुः ॥

इति श्री ब्रह्मांडपुराणे ब्रह्मनारदसंवादे शनिवज्रपंजर कवचं संपूर्णम् ॥

शनि वज्रपंजर कवचम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है, जो शनि देव की कृपा पाने और उनके दुष्प्रभाव से बचने के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है। यह न केवल शनि की साढ़े साती और ढैय्या से रक्षा करता है, बल्कि जीवन में आने वाली अनेक बाधाओं को भी दूर करता है। जो व्यक्ति इस कवच का नियमित रूप से श्रद्धा एवं विश्वास के साथ पाठ करता है, वह शनि देव की कृपा प्राप्त कर अपने जीवन में सुख-समृद्धि ला सकता है।

शनि देव की कृपा आप पर बनी रहे! 🚩

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

Lakshmi Shataka Stotram

Lakshmi Shataka Stotramआनन्दं दिशतु श्रीहस्तिगिरौ स्वस्तिदा सदा मह्यम् ।या...

आज सोमवार है ये शिव का दरबार है

आज सोमवार है ये शिव का दरबार है -...

वाराही कवचम्

Varahi Kavachamवाराही देवी(Varahi kavacham) दस महाविद्याओं में से एक...

श्री हनुमत्कवचम्

Sri Hanumatkavachamश्री हनुमत्कवचम्(Sri Hanumatkavacham) एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है...