Sarayu Stotram In Hindi
सरयू स्तोत्रम्(Sarayu Stotram) एक पवित्र संस्कृत स्तोत्र है, जो सरयू नदी की महिमा का गुणगान करता है। सरयू नदी को हिंदू धर्म में मुक्तिदायिनी और पवित्र नदी माना जाता है, विशेष रूप से भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या से जुड़े होने के कारण इसका धार्मिक महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
सरयू नदी का धार्मिक महत्व
- सरयू नदी को वेदों और पुराणों में एक दिव्य नदी के रूप में वर्णित किया गया है।
- यह अयोध्या में बहती है, जहाँ भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था, इसलिए इसे विशेष सम्मान प्राप्त है।
- स्कंद पुराण, वाल्मीकि रामायण और अन्य ग्रंथों में सरयू की पवित्रता का उल्लेख मिलता है।
- ऐसा माना जाता है कि सरयू नदी में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- यह नदी परम पवित्र पंचसरस्वती नदियों में से एक मानी जाती है।
सरयू स्तोत्रम् का परिचय
सरयू स्तोत्रम् एक स्तुति है जो सरयू नदी की महिमा, उनकी दिव्यता और भक्तों को प्रदान किए जाने वाले आशीर्वादों का वर्णन करता है। इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है, मानसिक शांति मिलती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
सरयू स्तोत्रम् के मुख्य विषय
- सरयू नदी की पवित्रता और शक्ति
- इसे पापों को नष्ट करने वाली और भक्तों को मोक्ष प्रदान करने वाली नदी कहा गया है।
- इसका जल अमृत तुल्य माना जाता है, जो शारीरिक और मानसिक शुद्धि करता है।
- सरयू का संबंध भगवान श्रीराम से
- सरयू को श्रीराम की प्रिय नदी कहा गया है, क्योंकि उन्होंने इसी नदी के तट पर अपने जीवन का अंतिम चरण बिताया था।
- इसमें स्नान करने से श्रीराम के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
- मोक्षदायिनी नदी के रूप में स्तुति
- सरयू के जल में स्नान मात्र से जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं।
- यह नदी भक्तों को स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करती है।
- सरयू का वेदों और पुराणों में उल्लेख
- इसे वेदों और रामायण में विशेष स्थान दिया गया है।
- स्कंद पुराण में कहा गया है कि जो भी श्रद्धालु सरयू का ध्यान करता है, उसे जीवन में सुख और शांति प्राप्त होती है।
सरयू स्तोत्रम् के पाठ से लाभ
- पापों का नाश और आत्मशुद्धि
- मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति
- मोक्ष और ईश्वर की कृपा का आशीर्वाद
- सुख, समृद्धि और कष्टों से मुक्ति
- भगवान श्रीराम की कृपा प्राप्त करने का उत्तम साधन
सरयू स्तोत्रम् का पाठ करने का सर्वोत्तम समय और विधि
- प्रातःकाल या संध्या के समय सरयू नदी के किनारे या घर पर स्नान करके पाठ करना शुभ माना जाता है।
- श्रीराम नवमी, कार्तिक पूर्णिमा, राम विवाहोत्सव आदि विशेष अवसरों पर इसका पाठ अत्यधिक फलदायी होता है।
- सरयू नदी के जल का तिलक या आचमन करना भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
- भगवान श्रीराम और सरयू माता का ध्यान करते हुए श्रद्धापूर्वक पाठ करना चाहिए।
सरयू स्तोत्रम् (Sarayu Stotram)
तेऽन्तः सत्त्वमुदञ्चयन्ति रचयन्त्यानन्दसान्द्रोदयं
दौर्भाग्यं दलयन्ति निश्चलपदः सम्भुञ्जते सम्पदः।
शय्योत्थायमदभ्रभक्तिभरितश्रद्धाविशुद्धाशया
मातः पातकपातकर्त्रि सरयु त्वां ये भजन्त्यादरात्।
किं नागेशशिरोवतंसितशशिज्योत्स्नाछटा सञ्चिता
किं वा व्याधिशमाय भूमिवलयं पीयूषधाराऽऽगता।
उत्फुल्लामलपुण्डरीकपटलीसौन्दर्य सर्वंकषा
मातस्तावकवारिपूरसरणिः स्नानाय मे जायताम्।
अश्रान्तं तव सन्निधौ निवसतः कूलेषु विश्राम्यतः
पानीयं पिबतः क्रियां कलयतस्तत्त्वं परं ध्यायतः।
उद्यत्प्रेमतरङ्गम्भगुरदृशा वीचिच्छटां पश्यतो
दीनत्राणपरे ममेदमयतां वासिष्ठि शिष्टं वयः।
गङ्गा तिष्यविचालिता रविसुता कृष्णप्रभावाश्रिता
क्षुद्रा गोमतिका परास्तु सरितः प्रायोयमाशां गताः।
त्वं त्वाकल्पनिवेशभासुरकला पूर्णेन्दुबिम्बोज्ज्वला
सौम्यां संस्थितिमातनोषि जगतां सौभाग्यसम्पत्तये।
मज्जन्नाकनितम्बिनी-स्तनतटाभोगस्खलत्कुङ्कुम-
क्षोदामोदपरम्परापरिमिलत्कल्लोलमालावृते।
मातर्ब्रह्मकमण्डलूदकलसत्सन्मानसोल्लासिनि
त्वद्वारां निचयेन मामकमलस्तोमोऽयमुन्मूल्यताम्।
इष्टान् भोगान् घटयितुमिवागाधलक्ष्मी परार्ध्या
वातारब्धस्फुरितलहरीहस्तमावर्तयन्ती।
गन्धद्रव्यच्छुरणविकसद्वारिवासो वसाना
सा नः शीघ्रं हरतु सरयूः सर्वपापप्ररोहान्।
जयति विपुलपात्रप्रान्तसंरूढगुल्म-
व्रततिततिनिबद्धारामशोभां श्रयन्ती।
निशि शशिकरयोगात्सैकतेऽप्यम्बुसत्तां
सपदि विरचयन्ति साऽपगावैजयन्ती।
अंहांसि नाशयन्ती घटयन्ती सकलसौख्यजालानि।
श्रेयांसि प्रथयन्ती सरयूः साकेतसङ्गता पातु।
य इमकं सरयूस्तबकं पठेन्निविडभक्तिरसाप्लुतमानसः।
स खलु तत्कृपया सुखमेधतेऽनुगतपुत्रकलत्रसमृद्धिभाक्।
सरयू स्तोत्रम् एक अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली स्तोत्र है, जो सरयू नदी की महिमा का वर्णन करता है। यह न केवल आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है, बल्कि जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और मोक्ष प्राप्त करने का श्रेष्ठ साधन भी है। जो व्यक्ति सच्चे मन से सरयू माता का स्मरण करता है, उसे भगवान श्रीराम की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।