Sapta Nadi Papanashana Stotram
सप्तनदी पापनाशन स्तोत्रम् (Sapta Nadi Papanashana Stotram) एक अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसका पाठ करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और जीवन में पुण्य की प्राप्ति होती है। यह स्तोत्र उन सप्त (सात) पवित्र नदियों का स्मरण करता है जो भारतवर्ष की आध्यात्मिक धारा का मूल आधार हैं – गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु और कावेरी।
“सप्त नदियाँ पापों का नाश करती हैं” — यह भाव इस स्तोत्र का केंद्रीय तात्पर्य है। जब भी कोई व्यक्ति इस स्तोत्र का पाठ करता है, वह अपने शरीर, मन और आत्मा को सात पवित्र नदियों के जल से शुद्ध करने की कामना करता है।
सप्तनदी पापनाशन स्तोत्रम्
सर्वतीर्थमयी स्वर्गे सुरासुरविवन्दिता।
पापं हरतु मे गङ्गा पुण्या स्वर्गापवर्गदा।
कलिन्दशैलजा सिद्धिबुद्धिशक्तिप्रदायिनी।
यमुना हरतात् पापं सर्वदा सर्वमङ्गला।
सर्वार्तिनाशिनी नित्यम् आयुरारोग्यवर्धिनी।
गोदावरी च हरतात् पाप्मानं मे शिवप्रदा।
वरप्रदायिनी तीर्थमुख्या सम्पत्प्रवर्धिनी।
सरस्वती च हरतु पापं मे शाश्वती सदा।
पीयूषधारया नित्यम् आर्तिनाशनतत्परा।
नर्मदा हरतात् पापं पुण्यकर्मफलप्रदा।
भुवनत्रयकल्याणकारिणी चित्तरञ्जिनी।
सिन्धुर्हरतु पाप्मानं मम क्षिप्रं शिवाऽऽवहा।
अगस्त्यकुम्भसम्भूता पुराणेषु विवर्णिता।
पापं हरतु कावेरी पुण्यश्लोककरी सदा।
त्रिसन्ध्यं यः पठेद्भक्त्या श्लोकसप्तकमुत्तमम्।
तस्य प्रणश्यते पापं पुण्यं वर्धति सर्वदा।
सप्त नदियों का धार्मिक महत्व
- गंगा:
मोक्षदायिनी, स्वर्ग से अवतरित, सभी पापों का नाश करने वाली। - यमुना:
भगवान श्रीकृष्ण की लीलास्थली, भक्ति और प्रेम की प्रतीक। - गोदावरी:
दक्षिण की गंगा मानी जाती है, त्र्यंबकेश्वर से निकलती है। - सरस्वती:
अदृश्य पवित्र नदी, ज्ञान और वाणी की देवी का स्वरूप। - नर्मदा:
केवल दर्शमात्र से पाप नाश करने वाली, शिव की प्रिय। - सिन्धु (इंडस):
प्राचीन भारत की जीवनदायिनी, वैदिक युग से महत्वपूर्ण। - कावेरी:
दक्षिण भारत की पवित्र नदी, अनेकों तीर्थों का केंद्र।
सप्तनदी पापनाशन स्तोत्रम् का उद्देश्य और महत्त्व
- यह स्तोत्र प्रायः स्नान के समय बोला जाता है, विशेषतः जब कोई तीर्थयात्रा पर न होकर घर पर ही स्नान कर रहा हो।
- जल में सप्त नदियों की उपस्थिति की कल्पना कर इस मंत्र का उच्चारण करने से आत्मिक शुद्धि होती है।
- पापनाश के साथ-साथ यह चेतना को ऊर्ध्वगामी बनाता है।
सप्तनदी पापनाशन स्तोत्रम् का उपयोग और पाठ विधि:
- पाठ का समय: सूर्योदय से पूर्व, स्नान से पहले या तीर्थ स्थानों पर।
- अनुष्ठान में उपयोग: किसी यज्ञ, पूजा या विशेष पर्व पर।
- भावना: यदि आप इन नदियों के निकट नहीं हैं, तब भी इस स्तोत्र के माध्यम से आप मानसिक रूप से उनके पुण्य प्रभाव को आमंत्रित कर सकते हैं।
सप्तनदी पापनाशन स्तोत्रम् को कब और कैसे करें पाठ
- प्रातःकालीन स्नान के समय, एक पात्र में जल लेकर इसमें मंत्र का उच्चारण करें।
- या फिर जब आप तीर्थ यात्रा पर न भी हों, घर पर स्नान करते समय भी यह मंत्र बोलकर जल में पवित्रता की भावना जोड़ सकते हैं।
- स्नान से पहले या जल से आचमन करते समय भी इस मंत्र का प्रयोग किया जाता है।
सप्तनदी पापनाशन स्तोत्रम् का आध्यात्मिक लाभ
- यह स्तोत्र व्यक्ति को मानसिक शांति प्रदान करता है।
- पुण्य की प्राप्ति होती है।
- नकारात्मक ऊर्जा और कर्मों की अशुद्धियाँ दूर होती हैं।
- मन निर्मल और चेतना दिव्य होती है।