आंध्रप्रदेश के तिरुपति मंदिर में भगवान नारायण के रूप में विराजमान होते हैं, वहीं राजस्थान के सालासर मंदिर में हनुमान जी के बाला जी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। सालासर बालाजी मंदिर, हनुमानजी का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां हनुमानजी गोल चेहरे के साथ दाढ़ी और मूछों में दिखते हैं। भक्तों की आस्था और सालासर धाम की महिमा ने साल दर साल इस मंदिर को और भी प्रसिद्ध किया है।
सालासर बालाजी मंदिर Salasar Balaji Temple
राजस्थान के चुरू जिले में स्थित सालासर बालाजी मंदिर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 668 पर स्थित है। यहाँ प्रतिदिन वर्ष के 12 महीनों में असंख्य भक्त देश और दुनिया से दर्शन करने आते हैं। सालासर धाम जयपुर – बीकानेर राजमार्ग पर स्थित है और सीकर से 57 किमी, सुजानगढ़ से 24 किमी और लक्ष्मणगढ़ से 30 किमी की दूरी पर है।
सालासर बालाजी की अद्वितीय मूर्ति का वर्णन Description of the unique idol of Salasar Balaji
सालासर बालाजी मंदिर में हनुमान जी के गोल मुखाकृति पर दाढ़ी और मूछ से सुशोभित हैं। उनके शेष मुखमंडल को सिंदूर की लालिमा से अलंकृत किया गया है। भक्तों, सालासर बालाजी मंदिर के निर्माण का इतिहास भी अद्भुत है, और यहाँ हनुमान जी की ऐसी मूर्ति कहीं और नहीं है। सालासर मंदिर के सभी बर्तन और दरवाजे चांदी से निर्मित हैं।
सालासर बालाजी की मंदिर स्थापना कब हुई थी ? When was the temple of Salasar Balaji established?
सालासर बालाजी धाम की स्थापना विक्रम संवत 1811 के श्रावण सुदी नवमी को हनुमान जी महाराज के परम भक्त संत मोहनदास जी ने की थी। इस मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने में दो साल लगे थे। इसे बनाने वाले कारीगर मुस्लिम थे, जिनके नाम नूरा और दाउद था। पूरा मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ है।
मोहनदास को सालासर बालाजी के दर्शन Mohandas gets darshan of Salasar Balaji
मोहनदासजी बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति के साथ ही हनुमान जी के परम भक्त भी थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर हनुमान जी स्वयं संत वेष में उनके घर आए। जब मोहनदास जी संत के पास गए, तो वे तेजी से वापस लौटने लगे। मोहनदास उनके पीछे चल दिए और एक जंगल में संत रूपी हनुमान जी रुके। मोहनदासजी उनके चरणों पर गिर कर रोने लगे और अपने अपराधों की क्षमा मांगी। तब संत रूपी हनुमान जी मोहनदास के साथ घर जाकर भोजन किया और मोहनदास को भक्ति का साख्य भाव प्रदान कर अन्तर्धान हो गए। भक्तों, मोहनदास ने हनुमान जी के अन्तर्धान होने से भाव विह्वल हो गए और विह्वलता में रोते हुए हनुमान जी से प्रार्थना की कि “मैं आपके बिना एक पल भी नहीं रह सकता।” तब हनुमान जी ने मोहनदास की प्रार्थना स्वीकार करते हुए स्वप्नादेश दिया कि “मैं सालासर (सालमसर) में मूर्ति स्वरूप में तुम्हारे साथ रहूंगा।
श्री बालाजी का मूर्ति स्वरूप में प्राकट्य से जुडी कथा Story related to appearance of Shri Balaji in idol form
कथा के अनुसार सालासर धाम में विराजमान बाला जी महाराज की मूर्ति स्वरूप में प्राकट्य बहुत रोचक है। एक बार नागोर जिले के असोटा गांव में एक जाट किसान अपने खेत में काम कर रहा था। उसके हल का नोक किसी पत्थरीली चीज से टकराया, और उसने खुदाई की। उसी समय वहां से एक पत्थर प्रकट हुआ, जिस पर बालाजी महाराज की छवि थी। जाट की पत्नी खाना लेकर आई, और दोनों ने पत्थर पर हनुमान जी को साष्टांग नमन किया। उन्होंने बाजरे के चूरमे का पहला भोग बालाजी को अर्पित किया, और इसी तरह से सालासर बालाजी मंदिर में हनुमान जी को भोग स्वरूप बाजरे का चूरमा अब तक लगाया जाता है।
बालाजी, अर्थात हनुमान जी की मूर्ति के प्रकट होने के बाद एक रात को असोटा के ठाकुर को स्वप्नादेश मिला कि मूर्ति को सालासर ले जाने की योजना बनाएं। उसी समय, सपने में हनुमान जी महाराज ने अपने भक्त मोहनदास को यह सूचना दी कि जिस बैलगाड़ी से मूर्ति सालासर जाए, उसे कोई रोके नहीं। जहां बैलगाड़ी अपने आप रुक जाए, वहीं उनकी मूर्ति स्थापित की जाए। इन स्वपन आदेशों के कारण ही भगवान बालाजी की मूर्ति को सालासर धाम के वर्तमान स्थान पर स्थापित किया गया था।
श्री सालासर बालाजी की दाढ़ी मूछे क्यों हैं? Why does Shri Salasar Balaji have a beard and moustache?
सालासर बालाजी, अर्थात हनुमान जी की मूर्ति के प्रकट होने के बाद एक रात को असोटा के ठाकुर को स्वप्नादेश मिला कि मूर्ति को सालासर ले जाने की योजना बनाएं। उसी समय, सपने में हनुमान जी महाराज ने अपने परम भक्त मोहनदास को यह सूचना दी कि जिस बैलगाड़ी से मूर्ति सालासर जाए, उसे कोई रोके नहीं। जहां बैलगाड़ी अपने आप रुक जाए, वहीं उनकी मूर्ति स्थापित की जाए। इन स्वपन आदेशों के कारण ही भगवान बालाजी की मूर्ति को सालासर धाम के वर्तमान स्थान पर स्थापित किया गया था।
सालासर बालाजी मंदिर में हर साल मेले का आयोजन Fair organized every year in Salasar Balaji temple
सालासर धाम में हर साल चैत्र पूर्णिमा और आश्विन पूर्णिमा को भव्य मेले का आयोजन होता है, जिसमें लगभग 8 से 10 लाख हनुमान भक्त और श्रद्धालु एकत्रित होते हैं। इन मेलों के अलावा होली, दिवाली और विजयादशमी जैसे त्योहारों में भक्त यहाँ बालाजी के दर्शन करने आते हैं। सालासर धाम में बालाजी के रूप में विराजमान पवनपुत्र हनुमान जी महाराज को बड़ा चमत्कारी माना जाता है।
श्री सालासर बालाजी की आरती Aarti of Shri Salasar Balaji
जयति जय जय बजरंग बाला,
कृपा कर सालासर वाला। टेक।
चैत सुदी पूनम को जन्मे,
अंजनी पवन ख़ुशी मन में।