30.4 C
Gujarat
सोमवार, जुलाई 21, 2025

सकल जग हरिको रूप निहार

Post Date:

Sakal Jag Hariko Roop Nihar

सकल जग हरिको रूप निहार ।

हरि बिनु विश्व कतहुँ कोउ नाहीं, मिथ्या भ्रम संसार ।।

अलख निरंजन, सब जग व्यापक, सब जगको आधार ।

नहिं आधार, नाहिं कोउ हरिमहँ, केवल हरि-विस्तार ।।

अति समीप, अति दूर, अनोखे, जगमहूँ, जगतें पार ।

पय-घृत, पावक-काष्ठ, बीजमहँ, तरु-फल पल्लव-डार ।।

तिमि हरि व्यापक अखिल विश्वमहँ, आनंद पूर्ण अपार ।

एहि बिधि एक बार निरखत ही, भव-बारिधि हो पार ।।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

राहु कवच

राहु कवच : राहु ग्रह का असर खत्म करें...

Rahu Mantra

Rahu Mantraराहु ग्रह वैदिक ज्योतिष में एक छाया ग्रह...

ऋग्वेद हिंदी में

ऋग्वेद (Rig veda in Hindi PDF) अर्थात "ऋचाओं का...

Pradosh Stotram

प्रदोष स्तोत्रम् - Pradosh Stotramप्रदोष स्तोत्रम् एक महत्वपूर्ण और...
error: Content is protected !!