27.4 C
Gujarat
शुक्रवार, सितम्बर 20, 2024

ऋषि पंचमी की आरती

Post Date:

ऋषि पंचमी की आरती Rishi Panchami Aarti

श्री हरि हर गुरु गणपति , सबहु धरि ध्यान।
मुनि मंडल श्रृंगार युक्त, श्री गौतम करहुँ बखान।।

ॐ जय गौतम त्राता , स्वामी जी गौतम त्राता ।
ऋषिवर पूज्य हमारे ,मुद मंगल दाता।। ॐ जय।।

द्विज कुल कमल दिवाकर , परम् न्याय कारी।
जग कल्याण करन हित, न्याय रच्यौ भारी।। ॐ जय।।

पिप्लाद सूत शिष्य आपके, सब आदर्श भये।
वेद शास्त्र दर्शन में, पूर्ण कुशल हुए।।ॐ जय।।

गुर्जर करण नरेश विनय पर तुम पुष्कर आये ।
सभी शिष्य सुतगण को, अपने संग लाये।।ॐ जय।।

अनावृष्टि के कारण संकट आन पड्यो ।
भगवान आप दया करी, सबको कष्ट हरयो।।ॐ जय।।

पुत्र प्राप्ति हेतु , भूप के यज्ञ कियो।
यज्ञ देव के आशीष से , सुत को जन्म भयो।।ॐ जय।।

भूप मनोरथ पूर्ण करके , चिंता दूर करी।
प्रेतराज पामर की , निर्मल देह करी।।ॐ जय।।

ऋषिवर अक्षपाद की आरती ,जो कोई नर गावे।
ऋषि की पूर्ण कृपा से , मनोवांछित फल पावे ।।ॐ जय।।

ऋषि पंचमी की आरती – २

ॐ जय -जय शान्तपते , प्रभु जय -जय शान्तपते ।
पूज्य पिता हम सबके, तुम पालन करते । ॐ जय …


शान्ता संग विराजे, ऋषि श्रृंग बलिहारी । प्रभु……
जस गिरिजा संग सोहे, भोले त्रिपुरारी । ॐ जय ….


लोमपाद की रजधानी में, जब दुर्भिक्ष परयो । प्रभु…..
वृष्टि हेतु बुलवाये, जाय सुभिक्ष करयो । ॐ जय …..


महायज्ञ पुत्रेष्ठी, दशरथ घर कीनो । प्रभु…..
प्रकट भये प्रतिपाला, दीन शरण लीनो । ॐ जय …..


शीश जटा शुभ सोहे, श्रृंग एक धरता । प्रभु……
सकल शास्त्र के वेत्ता, हम सबके करता । ॐ जय …..


सब बालक हम तेरे, तुम सबके स्वामी । प्रभु……
शरण गहेंगे तुमरी, ऋषि तव अनुगामी । ॐ जय ……


विनय हमारी तुमसे, सब पर कृपा करो । प्रभु….
विद्या बुद्धि बढ़ाओ,उज्ज्वलभाव भरो । ॐ जय …..


हम संतान तुम्हारी, श्रृद्धा चित्त लावें । प्रभु…..
मंडल आरती ऋषि श्रृंग की, प्रेम सहित गावें ॐ जय …..

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

आजिविक भारत का एक खोया हुवा धर्मं Ājīvika

आजिविक का परिचय Introduction to Ajivikaबौद्ध और जैन...

कौन थे हूण, भारत क्यों आए, कैसे खत्म हुआ हूणों का राज?

कौन थे हूण?हूणों का उत्पत्ति और इतिहासहूणों का उदय...

पितृपक्ष एवं श्राद्ध का पुराणों मे महत्त्व

पितृपक्ष एवं श्राद्ध का पुराणों मे महत्त्व Pitru...

द्वादशज्योतिर्लिङ्गस्तोत्रम्‌

द्वादशज्योतिर्लिङ्गस्तोत्रम्‌ Dwadashjyotirling Stotramसौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्येज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम्‌ ।भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णंत॑ सोमनाथं शरण...