राम नाम मेरे मन बसियो – Ram Nam Mere Man Basiyo ( राग खंभावती – ताल तिताला )
राम नाम मेरे मन बसियो, रसियो राम रिझाऊँ ए माय ।
मैं मँद-भागण करम अभागण, कीरत कैसे गाऊँ ए माय ॥१॥
विरह-पिंजरकी बाद सखी री, उठकर जी हुलसाऊँ ए माय ।
मनकू मार सज् सतगुरयूँ, दुरमत दूर गमाऊँ ए माय ॥२॥
डंको नाम सुरतकी डोरी, कड़ियाँ प्रेम चढ़ाऊँ ए माय ।
प्रेमको ढोल बण्यो अति भारी, मगन होय गुण गाऊँ ए माय ॥३॥
तन करूँ ताल मन करूँ ढफली, सोती सुरति जगाऊँ ए माय ।
निरत करूँ मैं प्रीतम आगे, तो प्रीतम पद पाऊँ ए माय ॥४॥
मो अबळापर किरपा कीज्यो, गुण गोविंदका गाऊँ ए माय ।
मीराके प्रभु गिरवर नागर, रज चरणनकी पाऊँ ए माय ॥५॥