Shree Pretraj Chalisa
हिंदू धर्म में भक्ति और आध्यात्मिकता का विशेष स्थान है। विभिन्न देवी-देवताओं की स्तुति के लिए चालीसा का पाठ एक लोकप्रिय और प्रभावशाली माध्यम रहा है। इन्हीं में से एक है श्री प्रेतराज चालीसा, जो प्रेतराज सरकार को समर्पित है। प्रेतराज सरकार को मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के संदर्भ में विशेष रूप से पूजा जाता है, जहाँ वे हनुमान जी के सहायक के रूप में विख्यात हैं। यह लेख श्री प्रेतराज चालीसा के महत्व, इसके पाठ के लाभ, और इसके पीछे की पौराणिक कथा पर प्रकाश डालेगा। साथ ही, चालीसा के कुछ प्रमुख छंदों का अर्थ भी समझाया जाएगा।
प्रेतराज सरकार कौन हैं?
प्रेतराज सरकार का उल्लेख हिंदू धर्म में एक शक्तिशाली और रहस्यमयी देवता के रूप में मिलता है। मान्यता है कि वे राजस्थान के जयपुर के एक राजा थे, जिन्होंने भगवान हनुमान (मेहंदीपुर बालाजी) के आह्वान पर उनके सहायक बनने का निर्णय लिया। उनकी शक्ति इतनी प्रबल थी कि वे भूत, प्रेत, पिशाच, और अन्य नकारात्मक शक्तियों को अपने वश में कर सकते थे। इसी कारण उन्हें “प्रेतराज” अर्थात् “प्रेतों का राजा” कहा गया। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में उनकी विशेष पूजा होती है, जहाँ श्रद्धालु भूत-प्रेत की बाधाओं से मुक्ति और मानसिक शांति के लिए उनके दर्शन करते हैं।
श्री प्रेतराज चालीसा
|| दोहा ||
गणपति की कर वंदना, गुरू चरनन चितलाय।
प्रेतराज जी का लिखूं, चालीसा हरषाय ॥
जय जय भूताधिप प्रबल, हरण सकल दुःख भार।
वीर शिरोमणि जयति, जय प्रेतराज सरकार ॥
॥ चौपाई ॥
जय जय प्रेतराज जग पावन, महा प्रबल त्रय ताप नसावन।
विकट वीर करुणा के सागर, भक्त कष्ट हर सब गुण आगर।
रत्न जटित सिंहासन सोहे, देखत सुन नर मुनि मन मोहे।
जगमग सिर पर मुकुट सुहावन, कानन कुण्डल अति मन भावन।
धनुष कृपाण बाण अरू भाला, वीरवेश अति भृकुटि कराला।
गजारूढ़ संग सेना भारी, बाजत ढोल मृदंग जुझारी।
छत्र चंवर पंखा सिर डोले, भक्त बृन्द मिलि जय जय बोले।
भक्त शिरोमणि वीर प्रचण्डा, दुष्ट दलन शोभित भुजदण्डा।
चलत सैन काँपत भूतलहू, दर्शन करत मिटत कलि मलहू।
घाटा मेंहदीपुर में आकर, प्रगटे प्रेतराज गुण सागर।
लाल ध्वजा उड़ रही गगन में, नाचत भक्त मगन ही मन में।
भक्त कामना पूरन स्वामी, बजरंगी के सेवक नामी।
इच्छा पूरन करने वाले, दुःख संकट सब हरने वाले।
जो जिस इच्छा से आते हैं, वे सब मन वाँछित फल पाते हैं।
रोगी सेवा में जो आते, शीघ्र स्वस्थ होकर घर जाते।
भूत पिशाच जिन्न वैताला, भागे देखत रूप कराला ।
भौतिक शारीरिक सब पीड़ा, मिटा शीघ्र करते हैं क्रीड़ा।
कठिन काज जग में हैं जेते, रटत नाम पूरन सब होते।
तन मन धन से सेवा करते, उनके सकल कष्ट प्रभु हरते ।
हे करुणामय स्वामी कोई तेरे सिवा न मेरे, पड़ा हुआ हूँ चरणों में तेरे।
मेरा, मुझे एक आश्रय प्रभु तेरा।
लज्जा मेरी हाथ तिहारे, पड़ा हूँ चरण सहारे ।
या विधि अरज करे तन मन से, छूटत रोग शोक सब तन से।
मेंहदीपुर अवतार लिया है, भक्तों का दुःख दूर किया है।
रोगी, पागल सन्तति हीना, भूत व्याधि सुत अरु धन हीना।
जो जो तेरे द्वारे आते, मन वांछित फल पा घर जाते।
महिमा भूतल पर है छाई, भक्तों ने है लीला गाई।
महन्त गणेश पुरी तपधारी, पूजा करते तन मन वारी।
हाथों में ले मुगदर घोटे, दूत खड़े रहते हैं मोटे।
लाल देह सिन्दूर बदन में, काँपत थर-थर भूत भवन में।
जो कोई प्रेतराज चालीसा, पाठ करत नित एक अरू बीसा।
प्रातः काल स्नान करावै, तेल और सिन्दूर लगावै ।
चन्दन इत्र फुलेल चढ़ावै, पुष्पन की माला पहनावै।
ले कपूर आरती उतारै, करै प्रार्थना जयति उच्चारै।
उनके सभी कष्ट कट जाते, हर्षित हो अपने घर जाते।
इच्छा पूरण करते जनकी, होती सफल कामना मन की।
भक्त कष्टहर अरिकुल घातक, ध्यान धरत छूटत सब पातक ।
जय जय जय प्रेताधिप जय, जयति भूपति संकट हर जय।
जो नर पढ़त प्रेत चालीसा, रहत न कबहूँ दुख लवलेशा।
कह भक्त ध्यान धर मन में, प्रेतराज पावन चरणन में।
॥ दोहा ॥
दुष्ट दलन जग अघ हरन, समन सकल भव शूल।
जयति भक्त रक्षक प्रबल, प्रेतराज सुख मूल ॥
विमल वेश अंजिन सुवन, प्रेतराज बल धाम।
बसहु निरन्तर मम हृदय, कहत भक्त सुखराम ॥
श्री प्रेतराज चालीसा के पाठ के लाभ
- मनोकामना पूर्ति: सच्चे मन से पाठ करने पर भक्तों की सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।
- नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति: इसका पाठ भूत-प्रेत, जिन्न और अन्य नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा करता है।
- मानसिक शांति: यह चालीसा मन को शांत और स्थिर करती है, जिससे भय और चिंता दूर होती है।
- संकटों से मुक्ति: जीवन में आने वाली कठिनाइयों और संकटों को प्रेतराज सरकार दूर करते हैं।
- पितृ दोष निवारण: श्राद्ध पक्ष में इसका पाठ करने से पितरों को शांति मिलती है और पितृ दोष का प्रभाव कम होता है।
पाठ की विधि
- नियमितता: 40 दिनों तक लगातार पाठ करने से विशेष फल मिलता है।
- स्थान: प्रेतराज सरकार के मंदिर में या घर में उनकी मूर्ति/चित्र के समक्ष पाठ करें।
- समय: सुबह या शाम का समय शुभ माना जाता है। श्राद्ध पक्ष में विशेष रूप से पाठ करें।
- संकल्प: मन में संकल्प लें कि आप यह पाठ किस उद्देश्य से कर रहे हैं।