श्री विष्णु भगवान की आरती Aarti Shree Vishnu Ji Ki
श्री रामकृष्ण गोपाल दामोदर, नारायण नरसिंह हरी।
जहां-जहां भीर पड़ी भक्तों पर, तहां-तहां रक्षा आप करी॥ श्री रामकृष्ण ..
भीर पड़ी प्रहलाद भक्त पर, नरसिंह अवतार लिया।
अपने भक्तों की रक्षा कारण, हिरणाकुश को मार दिया॥ श्री रामकृष्ण ..
होने लगी जब नग्न द्रोपदी, दु:शासन चीर हरण किया।
अरब-खरब के वस्त्र देकर आस पास प्रभु फिरने लगे॥ श्री रामकृष्ण ..
गज की टेर सुनी मेरे मोहन तत्काल प्रभु उठ धाये।
जौ भर सूंड रहे जल ऊपर, ऐसे गज को खेंच लिया॥ श्री रामकृष्ण ..
नामदेव की गउआ बाईया, नरसी हुण्डी को तारा।
माता-पिता के फन्द छुड़ाये, हाँ! कंस दुशासन को मारा॥ श्री रामकृष्ण ..
जैसी कृपा भक्तों पर कीनी हाँ करो मेरे गिरधारी।
तेरे दास की यही भावना दर्श दियो मैंनू गिरधारी॥ श्री रामकृष्ण ..
श्री रामकृष्ण गोपाल दामोदर नारायण नरसिंह हरि।
जहां-जहां भीर पड़ी भक्तों पर वहां-वहां रक्षा आप करी॥
ॐ जय जगदीश हरे आरती – 2
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥ ॐ जय जगदीश हरे…
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का, स्वामी दुःख विनसे मन का ।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ॥ ॐ जय जगदीश हरे…
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी, स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ मैं जिसकी ॥ ॐ जय जगदीश हरे…
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी, स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी ॥ ॐ जय जगदीश हरे…
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता, स्वामी तुम पालन-कर्ता ।
मैं मूरख खल कामी, मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय जगदीश हरे…
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति, स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूँ गोसाईं, तुमको मैं कुमति ॥ ॐ जय जगदीश हरे…
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे, स्वामी तुम रक्षक मेरे ।
अपने हाथ उठाओ, अपनी शरण लगाओ, द्वार पड़ा मैं तेरे ॥ ॐ जय जगदीश हरे…
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा, स्वमी कष्ट हरो देवा ।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा-प्रेम बढ़ाओ, सन्तन की सेवा ॥ ॐ जय जगदीश हरे…
तन मन धन सब है तेरा, स्वामी सब कुछ है तेरा ।
तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा ॥ ॐ जय जगदीश हरे…
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे, स्वामी जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे ॥ ॐ जय जगदीश हरे…
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥ ॐ जय जगदीश हरे…
ॐ जय जगदीश हरे आरती लिरिक्स
ॐ जय जगदीश हरे आरती – श्री विष्णु भगवान की आरती Om Jai Jagdish Hare Aarti
Om Jai Jagdish Hare, Swami Jai Jagdish Hare
Bhagt Jano Ke Sankat, Khshan Mein Door Kare …
Jo Dhaywe Phal Pave, Dukh Vinse Man Ka
Sukh Sampati Ghar Aave, Kasht Mite Tan Ka …
Maat-Pita Tum Mere, Sharan Gahun Kiskee
Tum Bin Aur Na Duja, Aas Karun Jiskee …
Tum Puran Parmatma, Tum Antaryami
Par-Brahm Parmeshwar, Tum Sabke Swami …
Tum Karuna Ke Saagar, Tum Palankarta
Main Moorakh Khal Kami, Mein Sewak Tum Swami,
Kripa Karo Bharta …
Tum Ho Ek Agochar, Sabke Pran Pati
Kis Vidhi Milun Dayamay, Tumko Main Kumti …
Deenbandhu Dukh Harta, Thakur Tum Mere, Swami Rakshak Tum Mere
Apne Hath Uthaao, Apni Sharan Lagao,
Dwar Para Tere …
Vishay Vikaar Mitaao, Paap Haro Deva
Shradha Bhakti Badhaao, Santan Ki Sewa …
Om Jai Jagdish Hare, Swami Jai Jagdish Hare
Bhagt Jano Ke Sankat, Khshan Mein Door Kare …