30.9 C
Gujarat
गुरूवार, अगस्त 14, 2025

निशुंभासूदिनी स्तोत्रम्

Post Date:

निशुंभासूदिनी स्तोत्रम्

निशुंभासूदिनी स्तोत्रम् (Nishumbhasoodani Stotram) एक अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र है जो देवी दुर्गा के निशुंभासूदिनी स्वरूप की स्तुति करता है। यह स्तोत्र मुख्य रूप से उन भक्तों द्वारा पाठ किया जाता है जो अपने जीवन में बुरी शक्तियों, नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं से मुक्ति पाना चाहते हैं। “निशुंभासूदिनी” का अर्थ है – निशुंभ नामक दैत्य का वध करने वाली। यह नाम देवी के महिषासुरमर्दिनी स्वरूप का ही एक भयानक और पराक्रमी रूप है।

निशुंभ और शुंभ दो राक्षस भाई थे जो अत्यंत बलशाली और अत्याचारपूर्ण थे। उन्होंने स्वर्ग लोक, पृथ्वी और पाताल पर अधिकार कर लिया और देवताओं को पराजित कर दिया। सभी देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास सहायता के लिए गए। देवताओं की शक्ति से एक दिव्य तेज उत्पन्न हुआ, जिससे देवी चंडिका (दुर्गा) प्रकट हुईं। यही देवी आगे चलकर निशुंभासूदिनी के नाम से प्रसिद्ध हुईं, जब उन्होंने युद्ध कर निशुंभ का वध किया।

Nishumbhasoodani Stotram

Nishumbhasoodani Stotram

सर्वदेवाश्रयां सिद्धामिष्टसिद्धिप्रदां सुराम्|
निशुम्भसूदनीं वन्दे चोलराजकुलेश्वरीम्|
रत्नहारकिरीटादिभूषणां कमलेक्षणाम्|
निशुम्भसूदनीं वन्दे चोलराजकुलेश्वरीम्|

चेतस्त्रिकोणनिलयां श्रीचक्राङ्कितरूपिणीम्|
निशुम्भसूदनीं वन्दे चोलराजकुलेश्वरीम्|
योगानन्दां यशोदात्रीं योगिनीगणसंस्तुताम्|
निशुम्भसूदनीं वन्दे चोलराजकुलेश्वरीम्|

जगदम्बां जनानन्ददायिनीं विजयप्रदाम्|
निशुम्भसूदनीं वन्दे चोलराजकुलेश्वरीम्|
सिद्धादिभिः समुत्सेव्यां सिद्धिदां स्थिरयोगिनीम्|
निशुम्भसूदनीं वन्दे चोलराजकुलेश्वरीम्|

मोक्षप्रदात्रीं मन्त्राङ्गीं महापातकनाशिनीम्|
निशुम्भसूदनीं वन्दे चोलराजकुलेश्वरीम्|
मत्तमातङ्गसंस्थां च चण्डमुण्डप्रमर्द्दिनीम्|
निशुम्भसूदनीं वन्दे चोलराजकुलेश्वरीम्|

वेदमन्त्रैः सुसंपूज्यां विद्याज्ञानप्रदां वराम्|
निशुम्भसूदनीं वन्दे चोलराजकुलेश्वरीम्|
महादेवीं महाविद्यां महामायां महेश्वरीम्|
निशुम्भसूदनीं वन्दे चोलराजकुलेश्वरीम्|

निशुंभासूदिनी स्तोत्रम् के पाठ से लाभ

  1. आत्मबल की वृद्धि – व्यक्ति के भीतर अद्भुत आत्मबल, साहस और आत्मविश्वास उत्पन्न होता है।
  2. नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा – तंत्र-मंत्र, काले जादू, बुरी नजर आदि से रक्षा करता है।
  3. मानसिक शांति – पाठ करने से चित्त में शांति, स्थिरता और एकाग्रता आती है।
  4. भय, रोग व संकट से मुक्ति – देवी की कृपा से जीवन में आने वाले भय, रोग व कष्ट दूर होते हैं।
  5. धार्मिक उन्नति – साधक को आध्यात्मिक उन्नति व ध्यान में गहराई मिलती है।

निशुंभासूदिनी स्तोत्रम् के पाठ करने का विधि-विधान

  1. स्थान: स्वच्छ और शांत स्थान पर आसन लगाकर बैठें।
  2. समय: प्रातःकाल या संध्या समय सर्वोत्तम है। नवरात्रि में विशेष फलदायक माना गया है।
  3. दीप व नैवेद्य: माँ दुर्गा के समक्ष दीपक जलाकर नैवेद्य अर्पित करें।
  4. ध्यान मुद्रा: मन को एकाग्र कर स्तोत्र का पाठ करें। संभव हो तो उसे कंठस्थ करें।
  5. मंत्र समर्पण: पाठ के बाद “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” मंत्र का जाप करें।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

सर्व शिरोमणि विश्व सभा के आत्मोपम विश्वंभर के – Sarv Shiromani Vishv Sabhaake

सर्व शिरोमणि विश्व सभा के आत्मोपम विश्वंभर केसर्व-शिरोमणि विश्व-सभाके,...

सौंप दिये मन प्राण उसी को मुखसे गाते उसका नाम – Saump Diye Man Praan Useeko

सौंप दिये मन प्राण उसी को मुखसे गाते उसका...

भीषण तम परिपूर्ण निशीथिनि – Bheeshan Tamapariporn Nishethini

भीषण तम परिपूर्ण निशीथिनिभीषण तमपरिपूर्ण निशीथिनि, निविड निरर्गल झंझावात...

अनोखा अभिनय यह संसार

Anokha Abhinay Yah Sansarअनोखा अभिनय यह संसार ! रंगमंचपर...
error: Content is protected !!