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मंगलवार, अक्टूबर 22, 2024

नवग्रह सुप्रभातम् Navagraha Suprabhatam

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नवग्रह सुप्रभातम् Navagraha Suprabhatam

नवग्रह सुप्रभातम् हिंदू धार्मिक परंपरा में एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है, जो नवग्रहों की उपासना के लिए समर्पित है। इसे नवग्रहों को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के उद्देश्य से गाया या पढ़ा जाता है। नवग्रह हिंदू ज्योतिष शास्त्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इन्हें मानव जीवन पर विशेष प्रभाव डालने वाले ग्रहों के रूप में देखा जाता है। इस स्तोत्र का पाठ सुबह-सुबह किया जाता है, क्योंकि इस समय को धार्मिक अनुष्ठानों के लिए सबसे शुभ माना गया है।

नवग्रह क्या हैं?

नवग्रहों में नौ ग्रह आते हैं, जिनके नाम इस प्रकार हैं:

  1. सूर्य (Sun) – आत्मा और ऊर्जा का प्रतीक।
  2. चंद्रमा (Moon) – मन और भावनाओं का कारक।
  3. मंगल (Mars) – साहस और शक्ति का प्रतीक।
  4. बुध (Mercury) – बुद्धि और ज्ञान का कारक।
  5. गुरु (Jupiter) – धार्मिकता और समृद्धि का प्रतीक।
  6. शुक्र (Venus) – प्रेम और सौंदर्य का कारक।
  7. शनि (Saturn) – कर्म और न्याय का प्रतीक।
  8. राहु (North Node) – छाया ग्रह, जो संसारिक भ्रम और इच्छाओं का प्रतीक है।
  9. केतु (South Node) – मुक्ति और आध्यात्मिकता का कारक।

नवग्रह सुप्रभातम् का महत्व

नवग्रहों को समर्पित स्तोत्रों और मंत्रों का नियमित पाठ करना जातक के जीवन में सकारात्मकता लाता है। ऐसा माना जाता है कि अगर किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में कोई ग्रह अशुभ स्थिति में होता है, तो उस ग्रह के लिए उपासना करने से उसकी अशुभता कम हो सकती है। नवग्रह सुप्रभातम् का पाठ विशेष रूप से ग्रहों की अशुभ दशा को समाप्त करने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने के लिए किया जाता है। यह स्तोत्र नवग्रहों की कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण साधन है।

नवग्रह सुप्रभातम् का पाठ और विधि

नवग्रह सुप्रभातम् को पढ़ने से पहले स्नान आदि कर के स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल में दीप जलाएं। इस स्तोत्र का पाठ प्रातःकाल में करने से इसका अधिक लाभ प्राप्त होता है। पाठ के दौरान पूर्ण ध्यान और श्रद्धा रखनी चाहिए। नवग्रहों के मंत्रों का उच्चारण सही ढंग से करना आवश्यक है, क्योंकि इससे उनके सकारात्मक प्रभाव को और अधिक बढ़ाया जा सकता है।

नवग्रहों के विशेष मंत्र

प्रत्येक ग्रह के लिए विशेष मंत्र होते हैं, जिनका उच्चारण नवग्रह सुप्रभातम् के साथ करना लाभकारी माना जाता है। यहाँ पर नवग्रहों के मंत्र दिए जा रहे हैं:

  1. सूर्य मंत्र: ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।
  2. चंद्र मंत्र: ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः।
  3. मंगल मंत्र: ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।
  4. बुध मंत्र: ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।
  5. गुरु मंत्र: ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः।
  6. शुक्र मंत्र: ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः।
  7. शनि मंत्र: ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
  8. राहु मंत्र: ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।
  9. केतु मंत्र: ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः।

नवग्रहों का जीवन पर प्रभाव

हिंदू ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवग्रहों का व्यक्ति के जीवन पर सीधा प्रभाव होता है। किसी की जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति उसके जीवन की घटनाओं को प्रभावित करती है। अगर ग्रह शुभ स्थिति में होते हैं, तो व्यक्ति का जीवन सुखमय होता है। लेकिन अगर ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं, तो जीवन में समस्याएँ आ सकती हैं। इसीलिए नवग्रहों की पूजा और उनके मंत्रों का जाप करना अत्यंत आवश्यक माना जाता है।

नवग्रह सुप्रभातम् का पाठ किसके लिए उपयोगी है?

नवग्रह सुप्रभातम् का पाठ उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जिनकी कुंडली में ग्रहों की अशुभ दशा चल रही हो या जिन्हें ग्रहों की शांति के लिए उपाय सुझाया गया हो। इसके अलावा, यह स्तोत्र उन लोगों के लिए भी उपयोगी है जो अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति चाहते हैं। नियमित रूप से इसका पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं।

नवग्रहों की शांति के अन्य उपाय

  1. दान देना: प्रत्येक ग्रह से संबंधित वस्त्र, धातु, रत्न और अनाज का दान करना नवग्रहों की शांति के लिए बहुत प्रभावी होता है।
  2. रत्न धारण करना: ज्योतिष के अनुसार ग्रहों के अनुसार रत्न धारण करना भी लाभकारी माना जाता है।
  3. विशेष व्रत: नवग्रहों के लिए विशेष व्रत रखना भी अशुभ प्रभावों को कम कर सकता है।

नवग्रह सुप्रभातम् Navagraha Suprabhatam

पूर्वापराद्रिसञ्चार चराचरविकासक।
उत्तिष्ठ लोककल्याण सूर्यनारायण प्रभो।

सप्ताश्वरश्मिरथ सन्ततलोकचार
श्रीद्वादशात्मकमनीयत्रिमूर्तिरूप।

सन्ध्यात्रयार्चित वरेण्य दिवाकरेशा
श्रीसूर्यदेव भगवन् कुरु सुप्रभातम्।

अज्ञानगाहतमसः पटलं विदार्य
ज्ञानातपेन परिपोषयसीह लोकम्।

आरोग्यभाग्यमति सम्प्रददासि भानो
श्रीसूर्यदेव भगवन् कुरु सुप्रभातम्।

छायापते सकलमानवकर्मसाक्षिन्
सिंहाख्यराश्यधिप पापविनाशकारिन्।

पीडोपशान्तिकर पावन काञ्चनाभ
श्रीसूर्यदेव भगवन् कुरु सुप्रभातम्।

सर्वलोकसमुल्हास शङ्करप्रियभूषणा।
उत्तिष्ठ रोहिणीकान्त चन्द्रदेव नमोऽस्तुते।

इन्द्रादि लोकपरिपालक कीर्तिपात्र
केयूरहारमकुटादि मनोज्ञगात्र।

लक्ष्मीसहोदर दशाश्वरथप्रयाण
श्रीचन्द्रदेव कुमुदप्रिय सुप्रभातम्।

श्री वेङ्कटेशनयन स्मरमुख्यशिष्य
वन्दारुभक्तमनसामुपशाम्य पीदाम्।

लोकान् निशाचर सदा परिपालय त्वं
श्रीचन्द्रदेव कुमुदप्रिय सुप्रभातम्।

नीहारकान्तिकमनीयकलाप्रपूर्ण
पीयूषवृष्टिपरिपोषितजीवलोक।

सस्यादिवर्धक शशाङ्क विराण्मनोज
श्रीचन्द्रदेव कुमुदप्रिय सुप्रभातम्।

मेरोः प्रदक्षिणं कुर्वन् जीवलोकं च रक्षसि।
अङ्गारक ग्रहोत्तिष्ठ रोगपीडोपशान्तये।

आरोग्यभाग्यममितं वितरन् महात्मन्
रोगाद्विमोचयसि सन्ततमात्मभक्तान्।

आनन्दमाकलय मङ्गलकारक त्वम्
मेषेन्द्रवाहन कुजग्रह सुप्रभातम्।

सूर्यस्य दक्षिणदिशामधिसंवदानः
कारुण्यलोचन विशालदृशानुगृह्य।

त्वद्ध्यानतत्परजनाननृणान् करोषि
मेषेन्द्रवाहन कुजग्रह सुप्रभातम्।

बुध प्राज्ञ बुधाराध्य सिंहवाहन सोमज।
उत्तिष्ठ जगतां मित्र बुद्धिपीडोपशान्तये।

हे पीतवर्ण सुमनोहरकान्तिकाय
पीताम्बर प्रमुदिताखिललोकसेव्य।

श्रीचन्द्रशेखरसमाश्रितरक्षकस्त्वं
ताराशशाङ्कज बुधग्रह सुप्रभातम्।

द्राक्षागुलुच्छपदबन्धकवित्वदातः
आनन्दसंहितविधूतसमस्तपाप।

कन्यापते मिथुनराशिपते नमस्ते
ताराशशाङ्कज बुधग्रह सुप्रभातम्।

धनुर्मीनादिदेवेश देवतानां महागुरो।
ब्रह्मजात समुत्तिष्ठ पुत्रपीडोपशान्तये।

इन्द्रादिदेवबहुमानितपुत्रकार
आचार्यवर्य जगतां श्रितकल्पपूज।

तारापते सकलसन्नुतधीप्रभाव
श्रीधीष्पतिग्रह जनावन सुप्रभातम्।

पद्मासनस्थ कनकाम्बर दीनबन्धो
भक्तार्तिहार सुखकारक नीतिकर्तः।

वाग्रूपभेदसुविकासक पण्डितेज्य
श्रीधीष्पतिग्रह जनावन सुप्रभातम्।

तुलावृषभराशीश पञ्चकोनस्थितग्रह।
शुक्रग्रह समुत्तिष्ठ पत्नीपीडोपशान्तये।

श्वेताम्बरादिबहुशोभितगौरगात्र
ज्ञानैकनेत्र कविसन्नुतिपात्र मित्र।

प्रज्ञाविशेषपरिपालितदैत्यलोक
हे शुक्रदेव भगवन् कुरु सुप्रभातम्।

सञ्जीविनीप्रमुखमन्त्ररहस्यवेदिन्
तत्त्वाखिलज्ञ रमणीयरथाधिरूढ।

राज्यारियोगकर दैत्यहितोपदेशिन्
हे शुक्रदेव भगवन् कुरु सुप्रभातम्।

मण्डले धनुराकारे संस्थित सूर्यनन्दन।
नीलदेह समुत्तिष्ठ प्राणपीडोपशान्तये।

चापासनस्थ वरगृध्ररथप्रयाण
कालाञ्जनाभ यमसोदर काकवाह।

भक्तप्रजावनसुदीक्षित शम्भुसेविन्
श्रीभास्करात्मज शनैश्चर सुप्रभातम्।

संसारसक्तजनदुष्परिस्वप्रदातः
भक्तिप्रपन्नजनमङ्गलसन्निधातः।

श्रीपार्वतीपतिदयामयदृष्टिप्रपूत
श्रीभास्करात्मज शनैश्चर सुप्रभातम्।

तैलान्नदीपतिलनीलसुपुष्पसक्तः
कुम्भादिपत्यमकराधिपये वहित्वम्।

निर्भीक कामितफलप्रद नीलवासः
श्रीभास्करात्मज शनैश्चर सुप्रभातम्।

गौहुते-अधिदेवता राहो सर्पाः प्रत्यधिदेवताः।
राहुग्रह समुत्तिष्ठ नेत्रपीडोपशान्तये।

नीलाम्बरादिसमलङ्कृत सैंहिकेय
भक्तप्रसन्न वरदानसुखावहस्त्वम्।

शूर्पासनस्थ सुजनावह सौम्यरूप
राहुग्रहप्रवर नेत्रद सुप्रभातम्।

सिंहाधिपश्च तनु सिंहगतासनस्त्व-
मेर्वप्रदक्षिणचरदुत्तरकायशोभिम्।

आदित्यचन्द्रग्रसनाग्रहलग्नचित्त
राहुग्रहप्रवरनेत्रद सुप्रभातम्।

चित्रगुप्तब्रह्मदेवौ अधिप्रत्यधिदेवते।
केतुग्रह समुत्तिष्ठ ज्ञानपीडोपशान्तये।

चित्रं च ते ध्वजरथादिसमस्तमेव
सयेतरं च गमनं परितस्तु मेरुम्।

सूर्यस्य वायुदितिसञ्चरतीह नित्यम्
केतुग्रहप्रवर मोक्षद सुप्रभातम्।

त्वन्मन्त्रजापपरसज्जन संस्तुतस्सन्
ज्ञानं तनोषि विमलं परिहार्य पीडाम्।

एवं हि सन्ततमनन्तदयां कुरु त्वम्
केतुग्रहप्रवर मोक्षद सुप्रभातम्।

नित्यं नवग्रहदेवतानामिह सुप्रभातम्।
ये मानवाः प्रतिदिनं पठितुं प्रवृत्ताः।

तेषां प्रभातसमये स्मृतिरङ्गभाजां
प्रज्ञां परार्धसुलभां परमां प्रसूते।

आदित्याय च सोमाय मङ्गलाय बुधाय च।
गुरुशुक्रशनिभ्यश्च राहवे केतवे नमः।

Faqs of Navgrah Suprabhatam

1.नवग्रह पूजा क्यों महत्वपूर्ण है?

नवग्रह पूजा हमारे जीवन में ग्रहों के प्रभाव को संतुलित करने के लिए की जाती है। यह पूजा हमारे कर्मों को सही दिशा देने और जीवन में शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य बनाए रखने में मदद करती है। नवग्रहों की कृपा से जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सकता है।

2.नवग्रहों का जीवन में क्या प्रभाव होता है?

हर ग्रह हमारे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव डालता है। जैसे सूर्य आत्मविश्वास और नेतृत्व का प्रतीक है, जबकि चंद्रमा मन और भावनाओं को नियंत्रित करता है। नवग्रहों का सामूहिक प्रभाव जीवन की घटनाओं और परिस्थितियों को निर्धारित करता है।

3.नवग्रह पूजा कब करनी चाहिए?

नवग्रह पूजा को शुभ समय, जैसे अमावस्या, पूर्णिमा या विशेष ग्रह परिवर्तन के समय करना उचित होता है। यह पूजा विशेष रूप से किसी विशेष ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम करने या जीवन में अनुकूलता लाने के लिए की जाती है।

4.नवग्रहों की पूजा कैसे की जाती है?

नवग्रह पूजा में नौ ग्रहों के मंत्रों का जाप किया जाता है। प्रत्येक ग्रह के लिए विशिष्ट रंग, फूल और धूप का उपयोग किया जाता है। नवग्रह यंत्र की स्थापना के साथ सही विधि से पूजा करना अनिवार्य होता है ताकि सभी ग्रहों का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।

5.क्या नवग्रह पूजा से कर्मों का असर बदलता है?

हां, नवग्रह पूजा से व्यक्ति के जीवन पर ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है। यह पूजा व्यक्ति के शुभ कर्मों को बढ़ाने और नकारात्मक ऊर्जा को कम करने में मदद करती है। इससे जीवन की चुनौतियों का सामना करने की क्षमता भी बढ़ती है।

6.नवग्रह पूजा कौन कर सकता है?

कोई भी व्यक्ति नवग्रह पूजा कर सकता है, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या पृष्ठभूमि का हो। यह पूजा उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होती है, जो ग्रह दोष, जैसे शनि दोष या राहु-केतु के प्रभाव से पीड़ित होते हैं।

7.क्या नवग्रह पूजा का कोई वैज्ञानिक आधार है?

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, ग्रहों का मानव शरीर और मन पर गहरा प्रभाव होता है। ग्रहों के विशेष स्थान और चाल से व्यक्ति की मनोवृत्ति, स्वास्थ्य और जीवन की घटनाएं प्रभावित होती हैं। नवग्रह पूजा इन ग्रहों के संतुलन को प्राप्त करने का उपाय है।

8.नवग्रहों के कौन-कौन से मंत्र हैं?

हर ग्रह का अपना विशेष मंत्र होता है, जैसे सूर्य के लिए “ॐ सूर्याय नमः”, चंद्रमा के लिए “ॐ चंद्राय नमः” आदि। इन मंत्रों का सही उच्चारण और नियमित जाप नवग्रहों की कृपा प्राप्त करने का प्रभावी तरीका है।

9.नवग्रह पूजा के लाभ क्या हैं?

नवग्रह पूजा के अनेक लाभ हैं, जैसे जीवन में शांति और समृद्धि प्राप्त करना, स्वास्थ्य में सुधार, मानसिक शांति और नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाव। यह पूजा व्यक्ति के समस्त ग्रह दोषों को कम करती है और शुभता लाती है।

10.नवग्रह पूजा के समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

पूजा करते समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पूजा स्थल को साफ-सुथरा रखें और शुद्ध वस्त्र पहनें। नवग्रहों की पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामग्री भी शुद्ध और सही होनी चाहिए, जिससे पूजा का पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके।

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