नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्रम्(Navagraha Peedahara Stotram) एक प्रसिद्ध वैदिक स्तोत्र है, जो नवग्रहों के अशुभ प्रभावों को शांत करने और शुभ फल प्राप्त करने के लिए पाठ किया जाता है। यह स्तोत्र देवता व्यास जी द्वारा रचित माना जाता है। इसमें सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु – इन नवग्रहों की स्तुति की गई है। यह स्तोत्र ग्रहों के प्रतिकूल प्रभावों से रक्षा करता है और जीवन में शांति, समृद्धि और संतुलन लाने में सहायक होता है।
नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्रम् का पाठ क्यों करें?
- ग्रह दोष शांति: यदि आपकी कुंडली में किसी ग्रह का अशुभ प्रभाव हो, जैसे कि शनि की साढ़े साती, राहु-केतु का कालसर्प दोष या मंगल दोष, तो यह स्तोत्र पढ़ने से उनका प्रभाव कम हो सकता है।
- शांति और समृद्धि: यह स्तोत्र मानसिक शांति और घर में सुख-शांति लाने में मदद करता है।
- कार्यक्षेत्र में सफलता: ग्रहों के अनुकूल होने से करियर में उन्नति और सफलता प्राप्त होती है।
- स्वास्थ्य में सुधार: ग्रहों के अशुभ प्रभाव के कारण होने वाले स्वास्थ्य समस्याओं में भी राहत मिलती है।
नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्रम् का पाठ विधि
- प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूर्व दिशा की ओर मुख करके शांत मन से आसन पर बैठें।
- भगवान सूर्य या नवग्रहों की मूर्ति/चित्र के सामने दीपक जलाएं।
- पुष्प, अक्षत, और धूप अर्पित करें।
- नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्रम् का पाठ करें। यह पाठ किसी शुभ मुहूर्त में, विशेष रूप से शनिवार, रविवार या ग्रहों से संबंधित वार को करना अधिक फलदायी होता है।
नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्रम् (पाठ) Navagraha Peedahara Stotram
ग्रहाणामादिरादित्यो लोकरक्षणकारकः।
विषमस्थानसंभूतां पीडां हरतु मे रविः।
रोहिणीशः सुधामूर्तिः सुधागात्रः सुधाशनः।
विषमस्थानसंभूतां पीडां हरतु मे विधुः।
भूमिपुत्रो महातेजा जगतां भयकृत् सदा।
वृष्टिकृद्धृष्टिहर्ता च पीडां हरतु मे कुजः।
उत्पातरूपो जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युतिः।
सूर्यप्रियकरो विद्वान् पीडां हरतु मे बुधः।
देवमन्त्री विशालाक्षः सदा लोकहिते रतः।
अनेकशिष्यसम्पूर्णः पीडां हरतु मे गुरुः।
दैत्यमन्त्री गुरुस्तेषां प्राणदश्च महामतिः।
प्रभुस्ताराग्रहाणां च पीडां हरतु मे भृगुः।
सूर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्षः शिवप्रियः।
मन्दचारः प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनिः।
महाशिरा महावक्त्रो दीर्घदंष्ट्रो महाबलः।
अतनुश्चोर्ध्वकेशश्च पीडां हरतु मे तमः।
अनेकरूपवर्णैश्च शतशोऽथ सहस्रशः।
उत्पातरूपो जगतां पीडां हरतु मे शिखी।
नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्रम् पाठ के लाभ Benifits of Navagraha Peedahara Stotram
- यह पाठ ग्रहों के अशुभ प्रभाव को समाप्त कर उनके शुभ प्रभाव को बढ़ाता है।
- पारिवारिक, आर्थिक और सामाजिक जीवन में सुधार करता है।
- मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
- अध्यात्मिक उन्नति के लिए सहायक होता है।
नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्रम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs of Navagraha Peedahara Stotram
नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्रम् क्या है?
नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्रम् एक पवित्र स्तोत्र है जो नवग्रहों के दोषों और उनकी वजह से होने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए पाठ किया जाता है। यह स्तोत्र नवग्रहों की कृपा प्राप्त करने और उनके अशुभ प्रभावों को कम करने में सहायक माना जाता है।
नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्रम् का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?
नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्रम् का पाठ सूर्योदय के समय करना शुभ माना जाता है। पाठ करते समय स्वच्छता और एकाग्रता का ध्यान रखना चाहिए। यदि संभव हो तो इसे एक शांत और पवित्र स्थान पर बैठकर करें। यह स्तोत्र कम से कम 7 या 11 बार पाठ करना फलदायी होता है।
नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्रम् का महत्व क्या है?
नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्रम् का महत्व उन लोगों के लिए विशेष है, जिनकी कुंडली में ग्रह दोष या अशुभ योग बने हुए हैं। यह स्तोत्र नवग्रहों की शांति के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और सफलता प्राप्त होती है।
नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्रम् पाठ के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
1.पाठ से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2.पाठ करते समय एकाग्रता बनाए रखें और मन को शांत रखें।
3.पूजा स्थल पर दीपक जलाएं और नवग्रहों को प्रणाम करें।
4.पाठ के दौरान श्रद्धा और भक्ति का भाव होना अनिवार्य है।नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्रम् से किस प्रकार की समस्याएं दूर हो सकती हैं?
इस स्तोत्र के नियमित पाठ से ग्रह दोष, विवाह में विलंब, नौकरी में बाधा, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, आर्थिक कठिनाइयाँ, और पारिवारिक कलह जैसी समस्याएं दूर हो सकती हैं। यह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और नवग्रहों का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक अद्भुत साधन है।