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रविवार, फ़रवरी 23, 2025

Narasimha Mangala Panchakam

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Narasimha Mangala Panchakam In Hindi

नृसिंह मंगल पंचकम(Narasimha Mangala Panchakam) एक अत्यंत प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण स्तोत्र है, जिसे भगवान श्री नृसिंह के दर्शन, उपासना और उनकी महिमा का गायन करने के लिए रचित किया गया है। यह पंचकम पांच श्लोकों का समूह है, जो विशेष रूप से भक्तों को नृसिंह देव के प्रति समर्पण और आस्था को प्रगट करने के लिए प्रेरित करता है।

Narasimha Mangala Panchakam नृसिंह मंगल पंचकम

घटिकाचलश‍ृङ्गाग्रविमानोदरवासिने।
निखिलामरसेव्याय नरसिंहाय मङ्गलम्।
उदीचीरङ्गनिवसत्सुमनस्तोमसूक्तिभिः।
नित्याभिवृद्धयशसे नरसिंहाय मङ्गलम्।
सुधावल्लीपरिष्वङ्गसुरभीकृतवक्षसे।
घटिकाद्रिनिवासाय श्रीनृसिंहाय मङ्गलम्।
सर्वारिष्टविनाशाय सर्वेष्टफलदायिने।
घटिकाद्रिनिवासाय श्रीनृसिंहाय मङ्गलम्।
महागुरुमनःपद्ममध्यनित्यनिवासिने।
भक्तोचिताय भवतात् मङ्गलं शाश्वती समाः।

  1. घटिकाचलशृङ्गाग्रविमानोदरवासिने।
    • इस श्लोक में भगवान नृसिंह को घटिकाचल (जो कि एक पर्वत या स्थान है) के शृंगाग्र (शीर्ष) पर विराजमान बताया गया है। उनका निवास स्थान उनके अद्भुत रूप और शक्ति का प्रतीक है। वे नृसिंह रूप में विश्व के सभी भयंकर संकटों से मुक्ति देने वाले हैं।
  2. निखिलामरसेव्याय नरसिंहाय मङ्गलम्।
    • इस श्लोक में भगवान नृसिंह के निखिल अमर से (सभी देवताओं और शक्तियों द्वारा पूजा) होने का उल्लेख किया गया है। यह श्लोक यह भी दर्शाता है कि भगवान नृसिंह हर समय और हर अवस्था में भक्तों के कल्याण के लिए उपयुक्त हैं।
  3. उदीचीरङ्गनिवसत्सुमनस्तोमसूक्तिभिः।
    • यहां भगवान नृसिंह की पूजा और आराधना के तरीके का उल्लेख किया गया है, जिसमें विशेष रूप से उत्तरी दिशा (उदीची) में निवास करने वाली शक्तियों द्वारा उन्हें समर्पित पुष्पों और स्तोत्रों का उपयोग किया गया है।
  4. नित्याभिवृद्धयशसे नरसिंहाय मङ्गलम्।
    • इस श्लोक में भगवान नृसिंह की नित्य व्रृद्धि और यश के बारे में कहा गया है। वे सदैव अपने भक्तों का कल्याण करने वाले, उनका यश और कीर्ति बढ़ाने वाले होते हैं।
  5. सुधावल्लीपरिष्वङ्गसुरभीकृतवक्षसे।
    • इस श्लोक में भगवान नृसिंह के सुंदर और सशक्त शरीर का वर्णन किया गया है, जिनके वक्षस्थल पर सुधावल्ली (पवित्र और प्रेमपूर्ण बेल) का स्पर्श होता है, जो उनकी कृपा का प्रतीक है। उनका रूप अत्यधिक आकर्षक और दिव्य है, जो भक्तों को अपने प्रेम से अभिभूत करता है।
  6. घटिकाद्रिनिवासाय श्रीनृसिंहाय मङ्गलम्।
    • इस श्लोक में भगवान नृसिंह का निवास स्थान “घटिकाद्रि” (घटिकाचल या एक पर्वत) बताया गया है, जो उनकी अद्वितीय शक्ति का प्रतीक है। इस स्थान पर भगवान नृसिंह का वास सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान और सभी संकटों को नष्ट करने वाला है। यह श्लोक भगवान नृसिंह के इस रूप में श्रद्धा और भक्ति का संदर्भ देता है, जो उनके भक्तों को हर प्रकार की बाधाओं से उबारता है।
  7. सर्वारिष्टविनाशाय सर्वेष्टफलदायिने।
    • इस श्लोक में भगवान नृसिंह के शरण में आने से सभी प्रकार के संकटों का नाश होने का उल्लेख किया गया है। “सर्वारिष्टविनाशाय” का अर्थ है सभी अशुभ या नकारात्मक शक्तियों का नष्ट होना और “सर्वेष्टफलदायिने” का मतलब है सभी इच्छाओं और मनोकामनाओं का पूर्ण होना। यह श्लोक यह बताता है कि नृसिंह भगवान अपनी कृपा से अपने भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त करके उन्हें सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करते हैं।
  8. घटिकाद्रिनिवासाय श्रीनृसिंहाय मङ्गलम्।
    • इस श्लोक में फिर से भगवान नृसिंह के निवास स्थान “घटिकाद्रि” का उल्लेख किया गया है, जो इस बात को दोहराता है कि नृसिंह भगवान का वास स्थल अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली है। यह श्लोक उन भक्तों के लिए विशेष रूप से है जो भगवान के निवास स्थल की महिमा और उनकी शक्ति को जानना चाहते हैं।
  9. महागुरुमनःपद्ममध्यनित्यनिवासिने।
    • इस श्लोक में भगवान नृसिंह को “महागुरु” के रूप में पूजा गया है, जो अपनी दिव्य ज्ञान और शिक्षा के साथ भक्तों का मार्गदर्शन करते हैं। “मनःपद्ममध्यनित्यनिवासिने” का अर्थ है भगवान नृसिंह का निवास स्थान मन के भीतर स्थित, जिसका अर्थ है कि वे हर समय और हर अवस्था में अपने भक्तों के हृदय में विराजमान होते हैं और उन्हें निरंतर मार्गदर्शन देते हैं।
  10. भक्तोचिताय भवतात् मङ्गलं शाश्वती समाः।
    • इस अंतिम श्लोक में भगवान नृसिंह से यह प्रार्थना की जाती है कि वे अपने भक्तों को शाश्वत मंगला और आशीर्वाद प्रदान करें। “भक्तोचिताय” का मतलब है उन भक्तों के अनुरूप, जो उनकी भक्ति करते हैं। शाश्वत मंगला का अर्थ है निरंतर और स्थायी सुख-शांति, जो भगवान नृसिंह के आशीर्वाद से ही प्राप्त होती है। यह श्लोक भगवान नृसिंह की कृपा और आशीर्वाद के स्थायी प्रभाव की घोषणा करता है।

इन सभी श्लोकों का मूल उद्देश्य भगवान नृसिंह के महिमामय रूप को स्थापित करना और उनके भक्तों को उनके दिव्य आशीर्वाद से सन्मानित करना है। नृसिंह मंगल पंचकम का पाठ करते हुए भक्त उनके दिव्य रूप का ध्यान करते हैं, जिससे उन्हें जीवन में समृद्धि, सफलता और स्थायी शांति की प्राप्ति होती है।

नृसिंह मंगल पंचकम अक्सर पूछे जाने वाले कुछ प्रश्न और उनके उत्तर

  1. नृसिंह मंगल पंचकम क्या है?

    उत्तर: नृसिंह मंगल पंचकम भगवान नृसिंह के उपासना हेतु रचित पांच श्लोकों का समूह है। यह पंचकम भगवान नृसिंह की महिमा, उनकी शक्ति और भक्तों के कल्याण के लिए उच्चारित किया जाता है। यह श्लोक नृसिंह भगवान से संकटों से मुक्ति, शांति और समृद्धि की प्राप्ति की कामना करते हैं।

  2. नृसिंह मंगल पंचकम का पाठ किस समय करना चाहिए?

    उत्तर: नृसिंह मंगल पंचकम का पाठ किसी भी शुभ अवसर पर, विशेष रूप से संकट और संकटमोचन के लिए किया जा सकता है। यह स्तोत्र नृसिंह भगवान के साथ भक्ति और विश्वास को बढ़ाने का एक उत्तम तरीका है। इस स्तोत्र का पाठ मंगलवार या शनिवार के दिन विशेष रूप से किया जाता है, क्योंकि ये दिन भगवान नृसिंह के लिए शुभ माने जाते हैं।

  3. नृसिंह मंगल पंचकम का प्रभाव क्या होता है?

    उत्तर: नृसिंह मंगल पंचकम का पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, समृद्धि, और जीवन में सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। यह स्तोत्र भगवान नृसिंह की कृपा को आकर्षित करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का एक प्रभावी तरीका है। भक्तों को इस मंत्र के पाठ से मानसिक तनाव से छुटकारा मिलता है और उन्हें जीवन में सफलता प्राप्त होती है।

  4. क्या नृसिंह मंगल पंचकम का जाप किसी विशेष उद्देश्य के लिए किया जा सकता है?

    उत्तर: हां, नृसिंह मंगल पंचकम का जाप विशेष रूप से संकटों, शत्रु या विघ्नों से मुक्ति पाने के लिए किया जा सकता है। यह स्तोत्र घर, परिवार और व्यापार में समृद्धि, स्वास्थ्य और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए भी लाभकारी है। नृसिंह भगवान को दुष्टों से निपटने और भक्तों के कष्ट दूर करने में अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।

  5. नृसिंह मंगल पंचकम को किस तरह से पढ़ना चाहिए?

    उत्तर: नृसिंह मंगल पंचकम का पाठ श्रद्धा और विश्वास के साथ करना चाहिए। इसे एकाग्रचित्त होकर, शांति से और भक्ति भाव से पढ़ने से अधिक लाभ मिलता है। यदि संभव हो तो इसे नित्य या किसी विशेष समय पर एक स्थान पर बैठकर नियमित रूप से पढ़ने का प्रयास करें। इससे मानसिक शांति और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है।

  6. क्या नृसिंह मंगल पंचकम का पाठ घर में अकेले किया जा सकता है?

    उत्तर: हां, नृसिंह मंगल पंचकम का पाठ घर में अकेले भी किया जा सकता है। इसे एकांत स्थान पर, जहाँ मन शांत हो, वहां किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करें कि पाठ के समय वातावरण शांति और ऊर्जा से भरपूर हो, ताकि भगवान नृसिंह की कृपा अधिक प्रभावी हो।

  7. क्या नृसिंह मंगल पंचकम का जाप किसी विशेष दिन पर करना चाहिए?

    उत्तर: नृसिंह मंगल पंचकम का जाप विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को किया जाता है, क्योंकि इन दिनों को भगवान नृसिंह से जुड़ा हुआ माना जाता है। साथ ही, नृसिंह जयंती (जो कि विशेष दिन होता है) पर इस स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से फलदायक माना जाता है।

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