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बुधवार, नवम्बर 5, 2025

मिलने को प्रियतम से जिसके प्राण कर रहे हाहाकार -Milane ko Priyatama se Jisake Praan Kar Rahe Hahakaar

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मिलनेको प्रियतमसे जिसके प्राण कर रहे हाहाकार

Milane ko Priyatama se Jisake Praan Kar Rahe Hahakaar

मिलनेको प्रियतमसे जिसके प्राण कर रहे हाहाकार ।

गिनता नहीं मार्गकी कुछ भी दूरीको वह किसी प्रकार ।।

नहीं ताकता किंचित भी शत-शत बाधा-बिन्नोंकी ओर ।

दौड़ छूटता जहाँ बजाते मधुर वंशरी नंदकिशोर ॥

मिली हुई जो कभी भाग्यवश उसको हैं आँखें होतीं।

वही जानता कीमत, जो उस रूप-माधुरीकी होती ।।

कुछ भी कीमत हो, परंतु है रूपरसिक जन जो होता ।

दौड़ पहुँचता लेनेको तत्काल, नहीं पलभर खोता ।।

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