28.4 C
Gujarat
बुधवार, नवम्बर 5, 2025

मन कछु वा दिनकी सुधि राख | Man Kachhu Va Dinakee Sudhi Raakh

Post Date:

मन कछु वा दिनकी सुधि राख

Man Kachhu Va Dinakee Sudhi Raakh

मन, कछु वा दिनकी सुधि राख । जा दिन तेरे तनु-दुकानकी उठि जैहैं सब साख ।।

इंद्रिय सकल न मानहिं अनुर्मात छोड़ चलें सब साथ सुत, परिवार, नारि नहिं कोऊ पूछें दुखकी गाथ ॥

वारंट लै जमदूत आइ तोहि पकरि बाँधि लै जाय । कोउ न बनै सहाय काल तिहि देखत हो रहि जाम ।।

जमके कारागार नरक मह अतिसय संकट पाय । बार-बार करनी सुमिरन करि सिर धुनि-धुनि पछिताय ।।

जो यहि दुखतें उबरो चाहै, तो हरि-नाम पुकार । राम-नामते मिटैं सकल दुख, मिलै परम सुख-सार ।।

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

धन्वन्तरिस्तोत्रम् | Dhanvantari Stotram

धन्वन्तरिस्तोत्रम् | Dhanvantari Stotramॐ नमो भगवते धन्वन्तरये अमृतकलशहस्ताय,सर्वामयविनाशनाय, त्रैलोक्यनाथाय...

दृग तुम चपलता तजि देहु – Drg Tum Chapalata Taji Dehu

दृग तुम चपलता तजि देहु - राग हंसधुन -...

हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे – He Hari Brajabaasin Muhin Keeje

 हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे - राग सारंग -...

नाथ मुहं कीजै ब्रजकी मोर – Naath Muhan Keejai Brajakee Mor

नाथ मुहं कीजै ब्रजकी मोर - राग पूरिया कल्याण...
error: Content is protected !!