27.3 C
Gujarat
बुधवार, अक्टूबर 29, 2025

Lalitamba Stotram

Post Date:

Lalitamba Stotram

ललिताम्बा स्तोत्रम् (Lalitāmbā Stotram) एक अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली स्तुति है, जो देवी ललिता त्रिपुरासुंदरी को समर्पित है। यह स्तोत्र देवी की महिमा, सौंदर्य, करुणा और शक्ति का भावपूर्ण वर्णन करता है। ललिताम्बा का अर्थ है “कोमलता और सौंदर्य की अधिष्ठात्री देवी”, जिन्हें श्रीविद्या परंपरा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। यह स्तोत्र साधकों को आत्मशुद्धि, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।

ललिताम्बा कौन हैं?

ललिता त्रिपुरासुंदरी, दस महाविद्याओं में से एक हैं और श्रीविद्या परंपरा की मुख्य देवी मानी जाती हैं। वे शिव की शक्ति हैं और संपूर्ण ब्रह्मांड की अधीश्वरी हैं। त्रिपुरासुंदरी का अर्थ है “तीनों लोकों में सुंदरतम”। वे श्रीचक्र के केंद्र में विराजमान होती हैं और उनकी पूजा श्रीसूक्त, ललिता सहस्रनाम और ललिताम्बा स्तोत्रम् के द्वारा की जाती है।

स्तोत्र की विशेषताएँ

  1. सरल भाषा में लिखा गया होता है जिससे सामान्य भक्त भी इसे समझ और पढ़ सकते हैं।
  2. कविता के रूप में रचा गया है जो इसे मधुर और गेय बनाता है।
  3. देवी की करुणा, सौंदर्य, शक्ति और महिमा का अत्यंत सुंदर वर्णन करता है।
  4. ललिता सहस्रनाम या त्रिपुरा रहस्य जैसे ग्रंथों की तुलना में यह छोटा और सुलभ स्तोत्र है।

ललिताम्बा स्तोत्रम्

सहस्रनामसन्तुष्टां देविकां त्रिशतीप्रियाम्|
शतनामस्तुतिप्रीतां ललिताम्बां नमाम्यहम्|
चतुर्भुजां चिदाकारां चतुःषष्टिकलात्मिकाम्|
भक्तार्तिनाशिनीं नम्यां ललिताम्बां नमाम्यहम्|

कञ्जपत्रायताक्षीं तां कल्याणगुणशालिनीम्|
कारुण्यसागरां कान्तां ललिताम्बां नमाम्यहम्|
आदिरूपां महामायां शुद्धजाम्बूनदप्रभाम्|
सर्वेशनायिकां शुद्धां ललिताम्बां नमाम्यहम्|

भक्तकाम्यप्रदां भव्यां भण्डासुरवधोद्यताम्|
बन्धत्रयविमुक्तां च ललिताम्बां नमाम्यहम्|
भूतिप्रदां भुवन्यस्थां ब्राह्मणाद्यैर्नमस्कृताम्|
ब्रह्मादिभिः सर्जिताण्डां ललिताम्बां नमाम्यहम्|

रूप्यनिर्मितवक्षोज- भूषणामुन्नतस्तनाम्|
कृशकट्यन्वितां रम्यां ललिताम्बां नमाम्यहम्|
माहेश्वरीं मनोगम्यां ज्वालामालाविभूषिताम्|
नित्यानन्दां सदानन्दां ललिताम्बां नमाम्यहम्|

मञ्जुसम्भाषिणीं मेयां स्मितास्याममितप्रभाम्|
मन्त्राक्षरमयीं मायां ललिताम्बां नमाम्यहम्|
संसारसागरत्रात्रीं सुराभयविधायिनीम्|
राजराजेश्वरीं नित्यं ललिताम्बां नमाम्यहम्|

ललिताम्बा स्तोत्र का पाठ विधि

  1. सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. पूजन स्थान पर देवी ललिता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  3. दीपक जलाकर पुष्प, चंदन, अक्षत आदि से पूजा करें।
  4. स्तोत्र का श्रद्धा और भक्ति से पाठ करें।
  5. पाठ के बाद देवी से मनोकामना व्यक्त करें और आरती करें।

ललिताम्बा स्तोत्र के लाभ (Benefits of Lalitāmba Stotram):

  • मानसिक शांति और तनाव में राहत
  • रोगों से मुक्ति और स्वास्थ्य लाभ
  • वाणी, विद्या और बुद्धि की वृद्धि
  • आध्यात्मिक साधना में सफलता
  • गृहकलह, शत्रु बाधा और अशुभ ग्रहों से राहत
पिछला लेख
अगला लेख

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

धन्वन्तरिस्तोत्रम् | Dhanvantari Stotram

धन्वन्तरिस्तोत्रम् | Dhanvantari Stotramॐ नमो भगवते धन्वन्तरये अमृतकलशहस्ताय,सर्वामयविनाशनाय, त्रैलोक्यनाथाय...

दृग तुम चपलता तजि देहु – Drg Tum Chapalata Taji Dehu

दृग तुम चपलता तजि देहु - राग हंसधुन -...

हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे – He Hari Brajabaasin Muhin Keeje

 हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे - राग सारंग -...

नाथ मुहं कीजै ब्रजकी मोर – Naath Muhan Keejai Brajakee Mor

नाथ मुहं कीजै ब्रजकी मोर - राग पूरिया कल्याण...
error: Content is protected !!