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शनिवार, अप्रैल 26, 2025

लक्ष्मी नरसिम्हा करावलम्ब स्तोत्रम्

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लक्ष्मी नरसिम्हा करावलम्ब स्तोत्रम्

लक्ष्मी नरसिम्हा करावलम्ब स्तोत्रम् एक प्रसिद्ध और प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसकी रचना आदिशंकराचार्य ने की थी। यह स्तोत्र भगवान नरसिम्हा को समर्पित है, जो भगवान विष्णु के चौथे अवतार हैं। इस स्तोत्र का उद्देश्य भगवान नरसिम्हा से उनकी कृपा, सुरक्षा और सहायता की प्रार्थना करना है। इसे भगवान नरसिम्हा की स्तुति और उनके करुणामय स्वभाव को दर्शाने के लिए गाया जाता है।

भगवान नरसिम्हा आधे मनुष्य और आधे सिंह के रूप में प्रकट हुए थे। यह अवतार हिरण्यकश्यप जैसे अधर्मी असुर का विनाश करने और अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए हुआ था। भगवान नरसिम्हा धर्म, न्याय और भक्तों की रक्षा के प्रतीक माने जाते हैं।

लक्ष्मी नरसिम्हा करावलम्ब स्तोत्रम् का महत्व

यह स्तोत्र उन लोगों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है जो भय, कष्ट, मानसिक अशांति और जीवन की समस्याओं से घिरे होते हैं। इसमें भगवान नरसिम्हा से सहायता और संरक्षण की याचना की जाती है। “करावलम्ब” का अर्थ है “हाथ पकड़ना” या “सहारा देना”। यह स्तोत्र दर्शाता है कि भगवान अपने भक्तों को कभी भी कठिन परिस्थितियों में अकेला नहीं छोड़ते।

कैसे करें लक्ष्मी नरसिम्हा करावलम्ब स्तोत्रम् का पाठ?

  1. शांत और पवित्र स्थान पर बैठकर इस स्तोत्र का पाठ करें।
  2. भगवान नरसिम्हा की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
  3. मन को एकाग्र कर श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ करें।
  4. प्रतिदिन प्रातः या संध्या के समय इसे पढ़ना अधिक फलदायी माना गया है।

Lakshmi Narasimha Karavalamba Stotram

श्रीमत्पयोनिधिनिकेतनचक्रपाणे
भोगीन्द्रभोगमणिराजितपुण्यमूर्ते।
योगीश शाश्वत शरण्य भवाब्धिपोत
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्।
ब्रह्मेन्द्ररुद्रमरुदर्ककिरीटकोटि-
सङ्घट्टिताङ्घ्रिकमलामलकान्तिकान्त।
लक्ष्मीलसत्कुचसरोरुहराजहंस
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्।
संसारदावगहनाकरभीकरोरु-
ज्वालावलीभिरतिदग्धतनूरुहस्य।
त्वत्पादपद्मसरसीरुहमागतस्य
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्।
संसारजालपतितस्य जगन्निवास
सर्वेन्द्रियार्थबडिशाग्रझषोपमस्य।
प्रोत्कम्पितप्रचुरतालुकमस्तकस्य
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्।
संसारकूपमतिघोरमगाधमूलं
सम्प्राप्य दुःखशतसर्पसमाकुलस्य।
दीनस्य देव कृपया पदमागतस्य
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्।
संसारभीकरकरीन्द्रकराभिघात-
निष्पीड्यमानवपुषः सकलार्तिनाश।
प्राणप्रयाणभवभीतिसमाकुलस्य
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्।
संसारसर्पविषदिग्धमहोग्रतीव्र-
दंष्ट्राग्रकोटिपरिदष्टविनष्टमूर्तेः।
नागारिवाहन सुधाब्धिनिवास शौरे
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्।
संसारवृक्षमघबीजमनन्तकर्म-
शाखायुतं करणपत्रमनङ्गपुष्पम्।
आरुह्य दुःखफलितं चकितं दयालो
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्।
संसारसागरविशालकरालकाल-
नक्रग्रहग्रसितनिग्रहविग्रहस्य।
व्यग्रस्य रागनिचयोर्मिनिपीडितस्य
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्।
संसारसागरनिमज्जनमुह्यमानं
दीनं विलोकय विभो करुणानिधे माम्।
प्रह्लादखेदपरिहारपरावतार
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्।
संसारघोरगहने चरतो मुरारे
मारोग्रभीकरमृगप्रचुरार्दितस्य।
आर्तस्य मत्सरनिदाघसुदुःखितस्य
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्।
बद्ध्वा गले यमभटा बहु तर्जयन्तः
कर्षन्ति यत्र भवपाशशतैर्युतं माम्।
एकाकिनं परवशं चकितं दयालो
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्।
लक्ष्मीपते कमलनाभ सुरेश विष्णो
यज्ञेश यज्ञ मधुसूदन विश्वरूप।
ब्रह्मण्य केशव जनार्दन वासुदेव
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्।
एकेन चक्रमपरेण करेण शङ्ख-
मन्येन सिन्धुतनयामवलम्ब्य तिष्ठन्।
वामेतरेण वरदाभयपद्मचिह्नं
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्।
अन्धस्य मे हृतविवेकमहाधनस्य
चोरैर्महाबलिभिरिन्द्रियनामधेयैः।
मोहान्धकारकुहरे विनिपातितस्य
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्।
प्रह्लादनारदपराशरपुण्डरीक-
व्यासादिभागवतपुङ्गवहृन्निवास।
भक्तानुरक्तपरिपालनपारिजात
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्।
लक्ष्मीनृसिंहचरणाब्जमधुव्रतेन
स्तोत्रं कृतं शुभकरं भुवि शङ्करेण।
ये तत्पठन्ति मनुजा हरिभक्तियुक्ता-
स्ते यान्ति तत्पदसरोजमखण्डरूपम्।

लक्ष्मी नरसिम्हा करावलम्ब स्तोत्रम् के पाठ के लाभ

  1. भय और संकट से मुक्ति: यह स्तोत्र भक्तों को भय, मानसिक अशांति, और जीवन की कठिनाइयों से बचाने में सहायक है।
  2. आत्मविश्वास और मानसिक शांति: इसे पढ़ने से आत्मबल और विश्वास में वृद्धि होती है।
  3. पारिवारिक शांति: यह स्तोत्र परिवार में शांति और सुख-समृद्धि बनाए रखने में सहायक माना जाता है।
  4. भक्ति और आध्यात्मिकता में वृद्धि: भगवान नरसिम्हा के प्रति भक्ति को गहरा करने के लिए यह स्तोत्र अत्यंत प्रभावी है।

FAQs on Lakshmi Narasimha Karavalamba Stotram

  1. लक्ष्मी नृसिंह करावलंब स्तोत्र क्या है?

    लक्ष्मी नृसिंह करावलंब स्तोत्र एक 17-श्लोकों का स्तोत्र है जो भगवान लक्ष्मी नृसिंह की स्तुति में है। यह स्तोत्र भक्तों की मुश्किलों को दूर करने और उन्हें भगवान से रक्षा की भावना प्रदान करने के लिए विकसित किया गया है। प्रत्येक श्लोक के अंत में एक समान छंद होता है, “लक्ष्मी नृसिंह मम देहि करावलंबम्,” जिसका अर्थ है “हे भगवान नृसिंह, कृपया मुझे अपना हाथ दीजिये”

  2. इस स्तोत्र का पाठ कब करना चाहिए?

    लक्ष्मी नृसिंह करावलंब स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन करना अत्यधिक फायदेमंद माना जाता है। इसे अपने घर में सुनने से व्यक्ति की क्रोध को कम किया जाता है और घर में शांति बनी रहती है 

  3. लक्ष्मी नृसिंह करावलंब स्तोत्र का विवरण किसने लिखा?

    इस स्तोत्र की रचना श्री आदि शंकराचार्य ने की थी। यह भगवान नृसिंह के विभिन्न रूपों की स्तुति करता है और भक्तों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रार्थना करता है

  4. क्या मैं लक्ष्मी नृसिंह करावलंब स्तोत्र को समूह में पाठ कर सकता हूँ?

    हाँ, इस स्तोत्र का सामूहिक पाठ करने से भी विशेष लाभ होता है। इससे सभी उपस्थित भक्तों को सकारात्मक ऊर्जा और साक्षात भगवान के आशीर्वाद की अनुभूति होती है

  5. क्या लक्ष्मी नृसिंह करावलंब स्तोत्र के पाठ से लाभ होते हैं?

    हाँ, यह स्तोत्र भगवान लक्ष्मी नृसिंह के प्रति भक्ति को बढ़ाता है और आर्थिक, स्वास्थ्य, समृद्धि जैसे लाभों की प्राप्ति में मदद करता है। इसके नियमित पाठ से जीवन में सुख-शांति और भय से मुक्ति प्राप्त होती है

  6. लक्ष्मी नरसिम्हा करावलम्ब स्तोत्रम् का पाठ कब और क्यों करना चाहिए?

    लक्ष्मी नरसिम्हा करावलम्ब स्तोत्रम् का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन इसे सुबह के समय या विशेष धार्मिक अवसरों पर करना शुभ माना जाता है। इसे करने से भक्त को मानसिक शांति, भय से मुक्ति, और भगवान की कृपा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन परिस्थितियों में उपयोगी है जब कोई संकट में हो।

  7. लक्ष्मी नरसिम्हा करावलम्ब स्तोत्रम् का पाठ करने की विधि क्या है?

    लक्ष्मी नरसिम्हा करावलम्ब स्तोत्रम् का पाठ करने के लिए शांत स्थान का चयन करें। भगवान नरसिम्हा की तस्वीर या मूर्ति के सामने दीप जलाएं। फिर शुद्ध मन और भक्ति के साथ स्तोत्र का पाठ करें। अगर संभव हो, तो इसका उच्चारण सही ढंग से करने का प्रयास करें। अंत में भगवान से अपनी इच्छाओं और सुरक्षा की प्रार्थना करें।

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