Lakshmi Narasimha Ashtakam In Hindi
लक्ष्मी नरसिंह अष्टकम् (Lakshmi Narasimha Ashtakam)एक प्राचीन और पवित्र स्तोत्र है, जो भगवान नरसिंह को समर्पित है। भगवान नरसिंह भगवान विष्णु के चौथे अवतार हैं, जो भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने और अधर्म के नाश के लिए प्रकट हुए थे। यह स्तोत्र भक्तों के लिए न केवल आध्यात्मिक बल प्रदान करता है, बल्कि भगवान नरसिंह की कृपा और उनके संरक्षण को प्राप्त करने का एक प्रमुख साधन भी है।
लक्ष्मी नरसिंह अष्टकम् का महत्व Importance of Lakshmi Narasimha Ashtakam
इस अष्टकम् में भगवान नरसिंह और उनकी शक्ति देवी लक्ष्मी की स्तुति की गई है। इसे पढ़ने से भक्तों को भय, मानसिक तनाव, और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है। यह जीवन में सुरक्षा, सुख, शांति, और विजय प्राप्त करने का माध्यम माना जाता है।
लक्ष्मी नरसिंह अष्टकम् का पाठ कब और कैसे करें?
- समय: इस अष्टकम् का पाठ प्रातःकाल या संध्याकाल में करना शुभ माना जाता है।
- स्थान: स्वच्छ और शांत वातावरण में इसका पाठ करना चाहिए। पूजा स्थल आदर्श स्थान होता है।
- आसन: कुश या रेशमी आसन पर बैठकर पाठ करें।
- संकल्प: पाठ से पहले भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का ध्यान करें और उनके सामने दीपक जलाएं।
- पाठ की विधि: शुद्ध उच्चारण के साथ पाठ करें। यदि संभव हो, तो इसे गाने के स्वर में पढ़ें।
लक्ष्मी नरसिंह अष्टकम् का पाठ करने के लाभ Benifits of Lakshmi Narasimha Ashtakam
- भय से मुक्ति: भगवान नरसिंह को “भयनाशक” कहा जाता है। यह पाठ भय और मानसिक तनाव को समाप्त करता है।
- शत्रुओं का नाश: यह स्तोत्र शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सहायक है।
- सुरक्षा: भगवान नरसिंह की कृपा से हर प्रकार की बुरी शक्तियों और आपदाओं से सुरक्षा मिलती है।
- धन और समृद्धि: देवी लक्ष्मी की कृपा से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह पाठ आत्मा को शुद्ध करता है और ईश्वर के प्रति समर्पण को बढ़ाता है।
- दृग तुम चपलता तजि देहु – Drg Tum Chapalata Taji Dehu
- हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे – He Hari Brajabaasin Muhin Keeje
- नाथ मुहं कीजै ब्रजकी मोर – Naath Muhan Keejai Brajakee Mor
- साँवलियाकी चेरी कहाँ री | Sanvaliyake Cheri Kahan Re
- बिलावल तान्न तेघरा मन तुम मलिनता तजि देहु | Bilaaval Taann Teghara Man
- अन्न मन कृष्ण कृष्ण कहि लीजे | Ann Man Krishna Krishna Kahi Lije
- जय जय मोहन मदन मुरारी | Jay Jay Mohan Madana Murari
- लागो कृष्ण-चरण मन मेरौ | Laago Krishna Charan Man Merau
- जय जय श्रीकृष्णचंद्र नंदके दुलारे | Jay Jay Shree Krunachandra Nandake Dulaare
श्री लक्ष्मी नरसिंह अष्टकम् के श्लोक Lakshmi Narasimha Ashtakam
स्तोत्र के श्लोक इस प्रकार हैं:
यं ध्यायसे स क्व तवास्ति देव इत्युक्त ऊचे पितरं सशस्त्रम्।
प्रह्लाद आस्तेऽखिलगो हरिः स लक्ष्मीनृसिंहोऽवतु मां समन्तात्।
तदा पदाताडयदादिदैत्यः स्तम्भो ततोऽह्नाय घुरूरुशब्दम्।
चकार यो लोकभयङ्करं स लक्ष्मीनृसिंहोऽवतु मां समन्तात्।
स्तम्भं विनिर्भिद्य विनिर्गतो यो भयङ्कराकार उदस्तमेघः।
जटानिपातैः स च तुङ्गकर्णो लक्ष्मीनृसिंहोऽवतु मां समन्तात्।
पञ्चाननास्यो मनुजाकृतिर्यो भयङ्करस्तीक्ष्णनखायुधोऽरिम्।
धृत्वा निजोर्वोर्विददार सोऽसौ लक्ष्मीनृसिंहोऽवतु मां समन्तात्।
वरप्रदोक्तेरविरोधतोऽरिं जघान भृत्योक्तमृतं हि कुर्वन्।
स्रग्वत्तदन्त्रं निदधौ स्वकण्ठे लक्ष्मीनृसिंहोऽवतु मां समन्तात्।
विचित्रदेहोऽपि विचित्रकर्मा विचित्रशक्तिः स च केसरीह।
पापं च तापं विनिवार्य दुःखं लक्ष्मीनृसिंहोऽवतु मां समन्तात्।
प्रह्लादः कृतकृत्योऽभूद्यत्कृपालेशतोऽमराः।
निष्कण्टकं स्वधामापुः श्रीनृसिंहः स पाति माम्।
दंष्ट्राकरालवदनो रिपूणां भयकृद्भयम्।
इष्टदो हरति स्वस्य वासुदेवः स पातु माम्।
लक्ष्मी नरसिंह अष्टकम् भक्तों के लिए एक अत्यंत पवित्र और लाभकारी स्तोत्र है। इसका नियमित पाठ करने से न केवल सांसारिक समस्याओं का समाधान मिलता है, बल्कि आत्मिक शांति और भगवान नरसिंह की कृपा भी प्राप्त होती है। यह स्तोत्र भगवान की करुणा और उनकी दिव्य शक्ति का प्रत्यक्ष अनुभव करने का मार्ग है।
श्री लक्ष्मीनृसिंहाष्टकम्(श्री लक्ष्मी नरसिंह अष्टकम्) पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs for Lakshmi Narasimha Ashtakam
श्री लक्ष्मी नरसिंह अष्टकम् क्या है?
श्री लक्ष्मी नरसिंह अष्टकम् एक प्रसिद्ध स्तोत्र है जो भगवान नरसिंह और देवी लक्ष्मी की स्तुति में लिखा गया है। इसमें आठ श्लोक होते हैं, जिनमें भगवान नरसिंह की महिमा और उनकी कृपा से भक्तों को मिलने वाले लाभों का वर्णन किया गया है। इसे वैष्णव परंपरा में विशेष महत्व प्राप्त है।
श्री लक्ष्मी नरसिंह अष्टकम् का पाठ कब और क्यों किया जाता है?
इसका पाठ सुबह और शाम को किया जाता है, विशेष रूप से संकटों और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति पाने के लिए। भगवान नरसिंह को प्रलयकारी संकटों को दूर करने वाला देवता माना जाता है। यह स्तोत्र मानसिक शांति, समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी प्रभावी है।
क्या श्री लक्ष्मी नरसिंह अष्टकम् का पाठ किसी विशेष विधि से किया जाता है?
हाँ, इसे शुद्ध मन और पवित्र स्थान पर बैठकर किया जाना चाहिए। पाठ शुरू करने से पहले भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का ध्यान करना आवश्यक है। इसके बाद दीप जलाकर और पुष्प अर्पित कर पाठ करना उत्तम माना जाता है।
श्री लक्ष्मी नरसिंह अष्टकम् के लाभ क्या हैं?
इस स्तोत्र के नियमित पाठ से व्यक्ति को भय, दु:ख, और दुर्भाग्य से मुक्ति मिलती है। यह जीवन में धन, सुख, और समृद्धि लाने में सहायक है। इसके अतिरिक्त, यह भगवान नरसिंह की कृपा से आध्यात्मिक साधना को प्रगाढ़ बनाता है।
श्री लक्ष्मी नरसिंह अष्टकम् को किसने लिखा है?
श्री लक्ष्मी नरसिंह अष्टकम् के रचयिता का श्रेय भगवान वेदांत देशिकर को दिया जाता है। वे एक महान संत और वैष्णव आचार्य थे। उनकी रचनाएँ भक्ति और वैदिक ज्ञान का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करती हैं।
- दृग तुम चपलता तजि देहु – Drg Tum Chapalata Taji Dehu
- हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे – He Hari Brajabaasin Muhin Keeje
- नाथ मुहं कीजै ब्रजकी मोर – Naath Muhan Keejai Brajakee Mor
- साँवलियाकी चेरी कहाँ री | Sanvaliyake Cheri Kahan Re
- बिलावल तान्न तेघरा मन तुम मलिनता तजि देहु | Bilaaval Taann Teghara Man
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