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मंगलवार, अक्टूबर 22, 2024

केतु कवचम् Ketu Kavacham

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केतु कवचम् Ketu Kavacham

केतु कवचम् हिंदू धर्म में केतु ग्रह से संबंधित एक महत्वपूर्ण स्तोत्र या कवच है, जो विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी माना जाता है जिनकी कुंडली में केतु ग्रह अशुभ स्थिति में होता है। वैदिक ज्योतिष में, केतु को ग्रहों में से एक ‘छाया ग्रह’ माना जाता है और इसका संबंध कर्म, आध्यात्मिकता, अज्ञानता, रहस्यमय शक्तियों और अचानक होने वाली घटनाओं से होता है। केतु को अशुभ प्रभाव से बचने के लिए और इसके शुभ प्रभाव को बढ़ाने के लिए केतु कवच का पाठ किया जाता है।

केतु ग्रह का महत्व: Importance of planet Ketu

केतु को राहु का सहयोगी ग्रह माना जाता है और इसे ‘छाया ग्रह’ कहा जाता है क्योंकि इसका भौतिक अस्तित्व नहीं है। ज्योतिष शास्त्र में, केतु आध्यात्मिकता, रहस्यमय ज्ञान, ध्यान और मोक्ष से जुड़ा हुआ है। इसके प्रभाव में व्यक्ति जीवन के सांसारिक मोह से दूर होकर आध्यात्मिक मार्ग की ओर अग्रसर होता है। इसके अशुभ प्रभाव से व्यक्ति को मानसिक अशांति, रोग, चोट और अचानक घटित होने वाली घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है।

केतु कवचम् का पाठ: Recitation of Ketu Kavacham

केतु कवचम् का नियमित पाठ केतु ग्रह के अशुभ प्रभावों को कम करता है और इससे जुड़े कष्टों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है। यह कवच व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक कष्टों से बचाता है और जीवन में शांति और स्थिरता लाने में मदद करता है। जिन लोगों की कुंडली में केतु नीच का होता है या अशुभ ग्रहों के साथ होता है, उन्हें विशेष रूप से केतु कवच का पाठ करना चाहिए।

केतु कवचम् के लाभ: Benefits of Ketu Kavacham

  1. आध्यात्मिक उन्नति: केतु का संबंध आध्यात्मिकता से है, इसलिए इस कवच का पाठ करने से साधक की आध्यात्मिक प्रगति होती है और उसे ध्यान व योग में सिद्धि प्राप्त होती है।
  2. रोगों से मुक्ति: केतु के अशुभ प्रभाव से शरीर में अज्ञात रोग उत्पन्न हो सकते हैं। केतु कवच का पाठ करने से रोगों से मुक्ति मिलती है।
  3. शारीरिक और मानसिक शांति: मानसिक अवसाद, अशांति और चिंता को दूर करने के लिए केतु कवच अत्यंत प्रभावी होता है।
  4. आकस्मिक दुर्घटनाओं से बचाव: केतु ग्रह अचानक घटनाओं और दुर्घटनाओं से संबंधित होता है। इस कवच का पाठ व्यक्ति को अकस्मात होने वाली दुर्घटनाओं से बचाता है।
  5. रहस्यमय शक्तियों की प्राप्ति: केतु ग्रह से जुड़ी शक्तियां रहस्यमय और गूढ़ होती हैं। केतु कवच का पाठ करने से साधक को ऐसी रहस्यमय शक्तियों की प्राप्ति हो सकती है।

केतु कवचम् पाठ करने की विधि: Method of reciting Ketu Kavacham

केतु कवच का पाठ किसी विद्वान ज्योतिषी या गुरु की सलाह से किया जाना चाहिए। इसका पाठ प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करके करना चाहिए। गुरुवार या शनिवार का दिन केतु के लिए विशेष माना जाता है, इसलिए इन दिनों में इस कवच का पाठ करना शुभ होता है।

केतु कवचम् का पाठ इस प्रकार है:

ॐ अस्य श्रीकेतुकवचस्तोत्रमहामन्त्रस्य त्र्यम्बक-ॠषिः।

अनुष्टुप् छन्दः। केतुर्देवता। कं बीजम्। नमः शक्तिः।

केतुरिति कीलकम्। केतुकृतपीडानिवारणार्थे सर्वरोगनिवारणार्थे

सर्वशत्रुविनाशनार्थे सर्वकार्यसिद्ध्यर्थे केतुप्रसादसिद्ध्यर्थे च जपे विनियोगः।

केतुं करालवदनं चित्रवर्णं किरीटिनम्।
प्रणमामि सदा केतुं ध्वजाकारं ग्रहेश्वरम्।

चित्रवर्णः शिरः पातु भालं धूम्रसमद्युतिः।
पातु नेत्रे पिङ्गलाक्षः श्रुती मे रक्तलोचनः।

घ्राणं पातु सुवर्णाभश्चिबुकं सिंहिकासुतः।
पातु कण्ठं च मे केतुः स्कन्धौ पातु ग्रहाधिपः।

हस्तौ पातु सुरश्रेष्ठः कुक्षिं पातु महाग्रहः।
सिंहासनः कटिं पातु मध्यं पातु महासुरः।

ऊरू पातु महाशीर्षो जानुनी मेऽतिकोपनः।
पातु पादौ च मे क्रूरः सर्वाङ्गं नरपिङ्गलः।

य इदं कवचं दिव्यं सर्वरोगविनाशनम्।
सर्वशत्रुविनाशं च धारयेद्विजयी भवेत्।

केतु कवचम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs Ketu Kavacham

1. केतु कवचम् क्या है?

केतु कवचम् एक वैदिक स्तोत्र है, जिसका पाठ करने से व्यक्ति केतु ग्रह के अशुभ प्रभावों से रक्षा प्राप्त कर सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, केतु एक छाया ग्रह है जो जीवन में अज्ञात समस्याओं, रोगों, और आध्यात्मिक संकटों का कारण बन सकता है। केतु कवच का नियमित रूप से पाठ करने से केतु ग्रह की शांति होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

२. केतु कवच का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?

केतु कवच का पाठ करने का सबसे शुभ समय मंगलवार या शनिवार होता है, खासकर सूर्योदय के समय। इसे शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठकर किया जाना चाहिए। पाठ करते समय साफ-सुथरे वस्त्र पहनें और धूप, दीप जलाएं। मंत्रों का उच्चारण स्पष्ट और सजीव होना चाहिए। पाठ के दौरान भगवान केतु का ध्यान करना आवश्यक है।

3.केतु कवच का पाठ किन लोगों को करना चाहिए?

जिन व्यक्तियों की कुंडली में केतु ग्रह अशुभ स्थिति में हो या जिन्हें केतु दशा या महादशा चल रही हो, उन्हें केतु कवच का पाठ करना चाहिए। इसके अलावा, जो लोग मानसिक अशांति, शारीरिक रोग, या आध्यात्मिक बाधाओं का सामना कर रहे हैं, वे भी इसका लाभ प्राप्त कर सकते हैं। ज्योतिषी से परामर्श करके पाठ प्रारंभ करना उचित रहता है।

4.केतु कवच के लाभ क्या हैं?

केतु कवच के पाठ से व्यक्ति को कई लाभ प्राप्त हो सकते हैं, जैसे कि मानसिक शांति, शारीरिक रोगों से मुक्ति, और आध्यात्मिक उन्नति। यह व्यक्ति को केतु ग्रह के नकारात्मक प्रभावों से बचाता है और उसकी सृजनात्मकता और बुद्धिमत्ता को बढ़ाता है। इसके अतिरिक्त, यह जीवन में आने वाली अप्रत्याशित बाधाओं को कम करता है और व्यक्ति को आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर करता है।

5.क्या केतु कवच का पाठ सभी समस्याओं का समाधान है?

केतु कवच एक शक्तिशाली स्तोत्र है, लेकिन यह सभी समस्याओं का एकमात्र समाधान नहीं है। यह विशेष रूप से केतु ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए प्रभावी है। अन्य ग्रहों या जीवन की अन्य समस्याओं के समाधान के लिए अलग-अलग कवच, मंत्र या उपायों की आवश्यकता हो सकती है। ज्योतिषी से परामर्श लेकर समस्या के अनुसार उपाय करना चाहिए।

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