परिचय
कटासराज मंदिर, पाकिस्तान में स्थित एक प्रमुख हिन्दू मंदिर है। कटास राज मंदिर का निर्माण खटाना गुर्जर राजवंश ने करवाया था। यहां एक प्राचीन शिव मंदिर है। यह मंदिर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के अंडरून में स्थित है, जिसे कटासराज कहा जाता है। यह मंदिर पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में स्थित है और विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल है। यह मंदिर पंजाबी हिन्दू समुदाय के लोगों के लिए महत्वपूर्ण स्थान है और इसे दुनिया भर के श्रद्धालुओं द्वारा प्रसन्नता से आवागमन किया जाता है।
कटासराज मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में हुआ था और यह मंदिर बारह मंदिरों का समूह है, जिसमें प्रमुख मंदिर श्री दरबार साहिब है। यहां के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है जहां संतों और महात्माओं के जीवन और उनके योगदान का विवरण दिया जाता है।
कटासराज मंदिर में प्रतिदिन भक्तों के आगमन होता है और साल के विशेष अवसरों पर यहां धार्मिक महोत्सव आयोजित किए जाते हैं। मंदिर के पास एक सरोवर (तालाब) है जिसे अमृत सरोवर के नाम से जाना जाता है। यहां की पवित्र जल को मान्यता है कि यह रोगों की छुट्टी दिलाता है और भक्तों को शुभता प्रदान करता है।
कटासराज मंदिर आधिकारिक रूप से पाकिस्तान की संख्या एक राष्ट्रीय यात्रा स्थल मानी जाती है और विभिन्न धार्मिक समुदायों के लोग यहां आकर अपनी आस्था को संदर्भित करते हैं। यह मंदिर संप्रदाय के बावजूद एक साथी और सौहार्दपूर्ण माहौल प्रदान करता है और विभिन्न सामाजिक और धार्मिक उत्सवों को संगठित करने का भी महत्वपूर्ण केंद्र है।
कटासराज मन्दिर का ऐतिहासिक महत्व
इतिहासकारों और पुरात्तत्त्व विभाग के अनुसार, कटासराज मंदिर प्राचीन काल में एक शिव मंदिर के रूप में मशहूर था। यह मंदिर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित है और इसका निर्माण प्राचीन काल में हुआ था। यह मंदिर शिव भक्ति और आराधना के लिए स्थानीय लोगों के लिए महत्वपूर्ण था। पुरात्तत्त्व विभाग के अनुसार, इस स्थान को शिव नेत्र माना जाता है। जब माँ पार्वती सती हुई तो भगवान शिव की आँखों से दो आंसू टपके। एक आंसू कटास पर टपका जहाँ अमृत बन गया यह आज भी महान सरोवर अमृत कुण्ड तीर्थ स्थान कटास राज के रूप में है और दूसरा आंसू राजस्थान में टपका और यहाँ पर पुष्करराज तीर्थ स्थान है।
पुरात्तत्त्व विभाग ने कटासराज मंदिर के निकट समय से अभियांत्रिकी और कला के अवशेषों की खोज की है, जिनमें प्राचीन शिवलिंग और अन्य पूजा संबंधित सामग्री शामिल है। इससे यह स्पष्ट होता है कि इस मंदिर का मूल उद्देश्य शिव भक्ति और पूजा का प्रचार-प्रसार था।
यह मंदिर अपने प्राचीनता, वास्तुकला और धार्मिक महत्व के कारण एक महत्वपूर्ण पुरातत्विक स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका है। इसके ऐतिहासिक महत्व ने इसे हिन्दू और शैव समुदाय के लोगों के लिए महत्वपूर्ण स्थान बना दिया है।
कटासराज मन्दिर की वास्तुकला और निर्माण
कटासराज मन्दिर का वास्तुकला और निर्माण बेहद आकर्षक है। यह मन्दिर के संरचनात्मक और वास्तुशास्त्रीय निर्माण के कारण विख्यात है। मुख्य मंदिर के साथ-साथ, इस कॉम्प्लेक्स में अन्य संरचनाएँ भी हैं जिनमें कुछ का निर्माण तत्पश्चात किया गया है। इस मंदिर में शिल्पकला का विशेष महत्व है और यहाँ पर देवताओं की मूर्तियाँ और वास्तुकला के अद्भुत कार्य देखने को मिलते हैं।कटासराज मंदिर की वास्तुकला और निर्माण गुरु अर्जुन देव जी ने करवाया था। वास्तुकला में इस मंदिर का महत्वपूर्ण योगदान था। यह मंदिर अपनी दक्षिणी-पश्चिमी वास्तुकला और भारतीय स्थापत्यकला की एक अद्वितीय उदाहरण है। मुस्लिम आक्रांताओ ने इन सब का विध्वंश कार दिया और आज ये हिन्दू धर्मं की धरोहर विनाश के कगार पर है।
कटासराज मन्दिर और पांडवो से जुड़ी कथा
महाभारत काल के समय में जब पांडवोको अज्ञातवास मिला था तब वो इन्ही पहाडियों में रहे थे। यहीं वह कुण्ड है जहाँ पांडव प्यास लगने पर पानी की खोज में पहुंचे थे। इस कुण्ड पर यक्ष का अधिकार था सर्वप्रथम नकुल पानी लेने गया जब पानी पीने लगा तो यक्ष ने चेताया और आवाज़ दी की इस पानी पर उसका अधिकार है पीने की चेष्टा मत करो अगर पानी पीना है तो सर्वप्रथम मेरे प्रश्नों का उत्तर दो परन्तु नकुल उसके प्रश्नों का उत्तर न दे सका और पानी पीने लगा। यक्ष ने उसको मूर्छित कर दिया ठीक उसी तरह एक एक कार सहदेव, अर्जुन और भीम सभी चारों भाई एक एक करके पानी लेने गये लेकिन कोई भी यक्ष के प्रश्नों का उत्तर न दे सके और फिर भी पानी लेने की चेष्ठा की तो यक्ष ने चारों भाइयों को मूर्छित कर दिया अंत में चारों भाइयों को खोजते हुए युधिष्ठिर कुण्ड के किनारे पहुचे और चारों भाइयों को मूर्छित पड़े देखा वह बोले की मेरे भाइयों को किसने मूर्छित किया है वह सामने आये,यक्ष राज सामने आए और उसने कहा कि इन्होने बिना मेरे प्रश्नों का उत्तर दिए पानी लेने का दुस्साहस किया हें अत: इनकी यह दुर्दशा हुई हे अगर तुम ने भी ऐसा व्यवहार किया तो तुम्हारा भी यही हाल होगा। परन्तु युधिष्ठिर ने नम्रतापूर्वक कहा की आप प्रश्न पूछो मैं अपने उनका उत्तर दूँगा यक्ष राज ने कई प्रश्न पूछे युधिष्ठिर ने बड़ी नम्रता से यक्षराज के सभी प्रश्नों के उत्तर दे दिए और यक्ष ने प्रसन्न होकर पांडवों को जीवित कर दिया तत्पश्चात ये पांडव अपने गंतव्य की और चले गए।
निष्कर्ष
कटासराज मन्दिर, पाकिस्तान एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल है जिसे उच्चतम स्तर की कारिगरी और सुंदरता से निर्मित किया गया है। इसकी ऐतिहासिक महत्वपूर्णता, पौराणिक कथाएं, और प्रार्थना-पूजा का माहौल इसे एक आध्यात्मिक स्थल के रूप में उभारते हैं। इसका पर्यटन स्थल के रूप में महत्वपूर्ण योगदान है और यहाँ आने वाले पर्यटकों को धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करता है। यह मंदिर अपनी भव्यता, ऐतिहासिकता, और सामर्थ्य के कारण अद्वितीय माना जाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1.कटासराज मन्दिर कहाँ स्थित है?
कटासराज मन्दिर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के अंडरून में स्थित है
2.कटासराज मन्दिर की विशेषताएँ क्या हैं?
यह मन्दिर के संरचनात्मक और वास्तुशास्त्रीय निर्माण के कारण विख्यात है।
3.कटासराज मन्दिर का निर्माण किसने किया था?
कटास राज मंदिर का निर्माण खटाना गुर्जर राजवंश ने करवाया था।
4.मंदिर में किस देवी-देवता की मूर्तियाँ स्थापित हैं?
यह एक प्राचीन शिव मंदिर है। और शिवलिंग मोजूद हैं?